Thursday, July 18, 2019

Flood And Drought simultaneously in Mithila


अभिशाप केँ वरदानमे बदलबाक लेल सोचबाक इएह बेर थीक
संसारक कोनो भूभागक लेल एहि सँ बेसी त्रासद गप की भ' सकैछ जे एकहि भूभागपर किछु लोक पानिक लेल तड़पि रहल अछि,किछु लोक अवांछित पानि सँ जान गमा रहल अछि। एक दिस पानिक अभावमे खेतीक काज ठमकल अछि।दोसर दिस पानि सँ आबाद खेती बोहिया गेल ,जीवन अस्त व्यस्त अछि। प्रश्न अछि की मिथिलाक लोक प्रकृतिक अभिशाप बुझि सभदिनाक लेल ई दुख भोगैत रहत? की एकर कोनो उपायो भ' सकैत छैक? पछिला दस बर्खक मिथिला क्षेत्रमे बर्खाक रेकार्ड देखब त' बुझबामे आबि जायत जे एहि क्षेत्रमे प्रति बर्ख औसत सँ कम बर्खा भ' रहल छैक ,जकर भयावह परिणाम एहिबेर देखबामे आयल जे पेय जलक स्रोतसभ सुखाय लागल,मधुबनी एहन छोट शहरमे टैंकर सँ पानिक आपूर्तिक अक्षैतो कतेको लोक केँ घर छोड़ि पलायन करय पड़लैक।पछिला दस बर्ख सँ एतुका मुख्य फसिल धानक उपज औसत सँ दिन-दिन कम भ' रहल छैक। ई जानि थोड़ेक विस्मय हैत जे संसारक सभसँ पैघ जनघनत्वबला भूभागपर वास करैबला लोक छी हमरा लोकनि।लगभग पचास प्रतिशत आबादी मिथिला सँ मात्र अन्नक लेल पलायन क' गेल ! की जँ पानिक एहन भयावह समस्या रहत एकदिस बाढ़ि दोसर दिस अकाल आ पेयजल संकट तँ मिथिलाक जे वर्तमान आबादी से एहि कष्ट के सहन क' सकत! हमरा जनैत नहि। तखन हुए की? हमरा लोकनि प्रति बर्ख एहि क्षद्म बाढ़िक बिभीषिका देखैत रही।अकालक मारि सहैत रही नहि! इएह बेर अछि चिंतन करबाक आ एहि समग्र बिषयपर एकटा जनान्दोलन ठाढ़ करबाक।
आब प्रश्न अछि एहि सभ बिषयपर सोचबाक पलखति ककरा छैक? आम लोक नित्तह खाधि खुनैत अछि आ पानि पिबैत अछि। एतुका राजनीतिक लोक चेतना शून्य अछि।सत्तापक्ष अपना सत्ताक मदमे चूड़ अछि। अपन सभटा समय अगिला चुनावमे जातीय गणित फिट करबामे लागल रहैत अछि।विपक्षक सेहो ओएह दृष्टिकोण छैक।वर्तमान समयमे जाहि राजनीतिक चेतनाक लोक मिथिलामे अछि एहिसँ बेसीक उमेद हुनका लोकनि सँ नहि कयल जा सकैछ।ई समस्या मगध आ भोजपुर मे नहि छैक।ई सिर्फ आ सिर्फ मिथिलाक समस्या छैक तें सोचैयो मिथिले के पड़तै।
अपना क्षेत्रक राजनीति सँ इतर छात्र ,नौजवान, पत्रकार शिक्षक,लेखक,कवि,सामाजिक कार्यकर्ता लोकनिक ई दायित्व नहि जे एहि महत्वपूर्ण मुद्दा केँ बहसक केन्द्रमे लाबी।पानि जे बिनु मतलब बान्ह तोड़ि हमरा सभक जन- जीवन के तबाह क' रहल अछि तकरा अपना सुखायल खेत आ खाली घैलमे भरबाक जोगाड़ लगाबी।की सभदिन आपदा प्रबन्धन विभागक राहत सामग्रीक भरोसे जीबन खेपबाक ब्योंतमे लागल रही।
मिथिलाक लेल जलप्रबन्धन मिथिलाक परिप्रेक्ष्यमे हैत तखने कोनो निदान हैत,तेँ एहि क्षेत्रक जे विशिष्ट विषय विशेषज्ञ छथि हुनके हाथमे रहबाक चाही एकर निर्णयक अधिकार जे मगधिया शासन के स्वीकार नहि ,तखन शासन सूत्र चाही अपना हाथ ,से कोना आओत।शासनमे हस्तक्षेप हुए हमर से कोना हैत।ताहि के लेल चाही जनचेतना से त' नाममात्रो नहि अछि।मात्र होहकारा नहि एहिपर हुए गंभीर विमर्श।इएह अछि अभिष्ट ।जँ रुचय त' एहि बहस के आगाँ बढ़ायल जा सकैछ।

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...