Monday, September 28, 2020

Maithili Poem on Kashi by Dilip Kumar Jha

                                                              

एतय अहां पढ़ि सकैत छी हमर काशी श्रृंखलाक कविता।




काशी संसारक अति प्राचीन नगर अछि संगहि कतेको मामिलामे शेष संसार फराक।अल्हर,मस्तमौलापन, वैचारिक स्वतंत्रता काशीक एकदम खांटी आ नीजी पहिचान अछि।अनेक भाषा संस्कृतिकें समेटने सहजतासँ अपन पहिचान कोना बचाओल जा सकैछ से काशी सँ सिखल जा सकैछ। काशी हमरा जीवनकें प्रभावित करैत रहल अछि।अदौसँ काशी आ मिथिलाक अटुट सम्बन्ध रहलैक अछि।एना कही अद्यावधि काशी हमरा जीवनमे बसल अछि।काशीमे कयल गेल रचना कर्म एखनि धरि सर्वाधिक प्रभावित  कयने अछि,से ओ तुलसी होथि कि कबीर।नजीर होथि कि रैदास।कविवर सीताराम होथि कि वैदेह वैद्यनाथ।से काशी हमरा अपना बिषयमे किछु लिखबाक लेल उकसाबैत रहल अछि।हम एहि उकस पाकसमे किछु कविताक सृजन क' रहल छी।एहि श्रृखलाक छौ गोट कविता हमर पोथी 'बनिजाराक देसमे'प्रकाशित भेल अछि।सम्प्रति हम काशी श्रृंखलाकें विराम नहि देल अछि।किछु आर रचना एहिमे जोड़ल अछि।अपने लोकनिकें रुचय तं पढ़ि सकैत छी एतय काशी श्रृंखलाक कवितासभ ।पढ़ी आ जं मोनमे कोनो बात आबय तं ओकरा एतय अंकित करी तं नीक लागत।


काशी-१

वरुणा आ अस्सीक मध्य अवस्थित वाराणसी

अर्थात प्राचीन काशी

जतय उत्तरवाहिनि जाह्नवीक

अविरल धारा ओहिना वहि रहल अछि

ब्रम्हमुहूर्तमे स्नान करैबला सभ ओहिना अपन क्रिया क' रहल अछि

संध्यावन्दन,जप ,तिलक,रोली छापा सब ओहिना चलि रहल अछि

पण्डा पुरोहित लोकनिक 

दान- दक्षिणा,ठक-ठकैती

सब ओहिना

फूल माला नैवेद्य सब ओहिना

कम भेल अछि गली-गलीसँ निकसयवला सामवेदक ध्वनि

गछारल गेलाह अछि

कतेको स्तरीय सुरक्षामे विश्वनाथ

मंदिर जाइतकाल आभास होइत रहैये जेना जाइत होइ सेल्युलर जेल 

गंगाजल धरि जांचल जा रहल अछि मेटल डिटेक्टसँ

एतेक भेलाक बादो काशीस्थ लोकमे एकोरती कम नहि भेल उत्साह

बात -बातमे एकहिटा उद्घोष

हरहर महादेव

हरहर महादेव।   


काशी-२

काशीक जीवन अपना अनुसार चलैत अछि

जे शेष संसारसँ काशीकें फराक रखैत अछि

काशी आइयो अपनाआपमे मस्त अछि

देश-विदेशक लोक काशीक कल्पना जाहि रुपें करय

अपने चालिमे चलि रहलए काशी

गुरु लोकनि तेलमालिस करबा 

ल ए जाइत छथि गंगाक पार

नहा निपटि क' आबि

लगबैत छथि चानन भस्म भरि कपार

नहि कोनो खेती  तेहनसन बनिज व्यापार

हरहर महादेवक उद्घोषक संग

चिंता करैत छथि अजुका बुतातक

भेटि जाय कोनो जजमान

द' दिअ किछु दक्षिणा दान

बिका जाय किछु सामान

चढ़ि हमर नाहपर किछु यात्री  श्रीमान

जाहिसँ भ' जाय इन्तजाम दू साँझक बुतात 

पाव भरि राबरी,मलाइ  तँ हेबाके चाही

पान आ भांग त' काशीक अपन खांटी नीजी परिचिति अछि

बस आर की? लोक अभावग्रस्त अछि

मुदा तकर कनियों परवाहि नै

लोक कोनो अरबपति सँ बेसी मस्त अछि

हजार दू हजार बर्ष पूर्व काशीक वर्णित जीवन आइयो अपने चालिमे चलि रहल अछि

एम्हर टी.वी.क परदापर काशीक अनघोल कने बेसिये मँचल अछि

कियो होथि प्रधानमंत्री

काशीकें कोनो फर्क नै

काशीक गंगाक जल जकां प्रवाहमान

 बस चलि रहलए!


काशी -३

काशीकें कोनो फर्क नहि

प्रधानमंत्री चलाबथु कोदारि

की माननीय मंत्री लोकनि लगाबथु झाड़ू

अस्सी घाटक सीढ़ीपर

काशीनाथ सिंह डण्ड बैसकी मारि क' लिखि रहलाह अछि खास्सा- पिहानी

एहि अस्सी चौराहाक प्रतापें

कवि ज्ञानेन्द्रपतिक पांती

अपन गतिमे अबाध यात्रा क' रहल अछि

शैल,सांढ़ चकाचक ओ नजीर बनारसीक खांटी पहिचान बला एहि नगरकें

कोनो अन्तर ने

जे एहाठामक सांसद छथि प्रधानमंत्री

पाण्डेय गुरु भांग छानि

पाव भरि मलाइ मारि

राग भीमपलासी सुनि रहलाह अछि

सुरसरिक कछेरमे

विश्वविद्यालयक अगिला छात्रसंघक चुनावमे उम्मीदवारीक लेल

कोनो धनपतिक निमोछिया छौंड़ाकें हेरि रहलाह अछि

भुवनेश्वर द्विवेदी ओ अशोक पाण्डेय अस्सीक चौराहापर।


काशी-४

दस बर्खक पछाति आयल छी काशी

घुमि रहल छी विश्वविद्यालयक परिसरमे

आइ तारिख भेल पच्चीस दिशम्बर दू हजार चौदह

महामनाक जन्मदिवस छनि आइ

महमह क' रहल अछि परिसर

भारतबर्षक बहुरंगी संस्कृतिक छटा उतारल गेल अछि एहि परिसरमे

मैथिलीक दूटा ख्यातिलब्ध कवि

विभूति आनन्द ओ अशोक मेहताक संग आनन्दसं घुमि रहलहुं अछि परिसरमे

परिसर हरेक लतागुल्म जेना पुछि रहल हो

एतेक दिनक बाद मोन परलौं हमसब

से बात नहि 

कोना बिसरि सकब एहि परिसरक सुख

सोझां अछि ई मैत्री जलपानगृह

छात्र जीवनमे नित्तह एतै पिबैत छलहुं हम चाह काफी

परिसरक सभटा कैफटेरिया

चाह काफीक दोकान

गज-गज क' रहल अछि नवयुवक 

नवयुवतीसं

एहि शीतलहरियोमे

'मधुबन' बनल अछि मधुमास

राधा कृष्णक भ' रहल अछि रास

आइ मोन पड़लखिनहें महामना देशक शासनकें

आयल छथि प्रधानमंत्री स्वयं 

भ' रहल अछि समारोह

साक्षी बनल  छी हमहुं

नीक लागल जे  आइ महामना आइसं भारतरत्न कहौता

मुदा काशीकें कोनो फर्क नहि

काशी

ओ तं कतेको बर्ख पहिने हुनका

विश्वरत्न मानि नेने अछि।


काशी-५

ठाढ़ छी
काशीक हरिश्चन्द्र घाटपर
सोचैत छी
आजुक एकैसम शताब्दीक दौड़मे
की कहियो
काशीमे देवता सेहो रहैत छलाह?
केहेन मनुक्ख रहल हेताह ओ
जे
माँगि लेलनि
श्मशान-कर
अपना पत्नीसँ
जे स्वयं असहाय छलीह
निरुपाय छलीह
ओहो
अपना मुइल पुतक दाह संस्कार करबाक लेल;
की?
एतेक कठोर भ' सकैछ परीक्षा
सत्यक!
कर्तव्यक!
कोन माटिसँ बनल छल हुनका सभक देह
कतेक ऊँच रहल होयत काशीक आकाश
कतेक पवित्र रहल होयत एतुका माटि
हम अपनाकें आस्वस्त करैत छी
जे काशीक धरा आइयो धारण करैत अछि देवत्वकें
काशीक मानसपुत्र सभ आइयो
कतहुँ द' रहल हेताह परीक्षा 
जीवनक घाटपर।

काशी-६

बड़ पैघ दायित्व छैक काशीक कान्हपर
जतय सूर्यवंशी हरिश्चन्द्र सत्यक रक्षाक लेल देने छलाह कठिनतम परीक्षा
ओतहि भेला निज भाषाकें
सभ उन्नतिक मूल कहनिहार
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
काशी मूड़ी हिलाकय पाछाँ नहि हटि सकयै
सत्यक उद्घाटन
राष्ट्रीयताक उद्बोध
धर्मक उद्घोष
सांस्कृतिक दायित्वबोध
एहि सभटा भारकें
बहुत जीवटतासँ सम्हारैत रहलए काशी
बारैत रहलए नव इजोत
जगमग कयने रहल अछि 
गंगाक कछेर कें |

काशी-७

एहि काशीक भूमिपर भेल छथि
पैघ-पैघ साहित्यक संत 
एतहि लहरतारामे  प्रकट भेलाह कविवर संत कबीर
तुलसी रचलनि चरित रामकें
बनला संत सरोवर हंस
अगुण सगुण कें मिलाजुला क'
देलनि जीवनमंत्र
एहि नगरसं प्रतिष्ठापित भेल
आधुनिक हिन्दी भाषा ओ साहित्य 
बनल विश्व साहित्यक अंग
भारतेन्दु जी एतहि भेल छथि
शुक्ल,प्रसादक कर्मभूमि ई
गंगा बहथि जतय अपन निर्मल ओजक संग
 अनेक मत -मतान्तर समेटने काशीक छबि- छटा अद्यावधि बनल अछि अनमोल
एहि भूमिसं भेटलनि यात्री,किरणकें
 मातृभूमि ओ मातृभाषाक सेवाक
अद्भुत प्रेरण शक्ति
एतहि भेलाह शहनाईक संत बिस्मिल्लाह भाई खान
एहि भूमिसं सितारक तारा बनला
रविशंकर श्रीमान
एइह कर्मभूमि थिक महामनाकें एतहि सिद्ध भेल छथि संत करपात्रीजी महाराज
प्राच्य- प्रतीच्यक मिलन बिन्दु ई
शिव- शक्तिक आधार लमहीमे प्रेमचन्द |


काशी-८

सनातन संस्कृतिक रक्षाक लेल
आक्रान्तासँ सुरक्षाक लेल
आर्यावर्तक चारि कोणपर
चारि पीठ बनबौलनि शंकराचार्य
ई इएह भूमि थिक
जतय कंकर-कंकरमे छथि शंकर
नगर सुरक्षाकें प्रहरी बनला आठो भैरव भाई
विशेश्वरगंजमे काल भैरव छथि
कामाख्यामे छथि बटुकभैरव ठाढ़
मीरघाटमे आनन्द भैरव
आश पुराबथि आनन्द भैरव
बास करै छथि सद्य: नीचीबाग
लाट सरैया लाट भैरव छथि
भूत भगाबथि भूतवैरव नाथ
क्षेत्र रक्षामे मस्त रहै छथि भैरव क्षेत्रपाल
आर्सतांग छथि अंग रक्षामे
सभक नैया पार लगाबथि भैया भैरवनाथ
आदौसँ
काशीक महिमा अपरम्पार बनल अछि
जतय विश्वनाथ बनि बैसल छथि सनमुख दिनानाथ |


काशी-९

काशी देखल 

घाट ने देखल त' की देखल?

एहि घाटपर रामानन्दसँ दीक्षित भ' क' बनला दास कबीर

अगुण सगुण कें मिलाजुला क'

सीतारामक महिमा गाबि क'

तुलसी तेजल.शरीर

एहि घाटपर रैदासकें

मन चंगासं गंगा भेटलनि

बनला संत सरोवर हंस

अंध विश्वासक खण्डन कयलनि

कयलनि कर्मक महिमा ठाढ़

चना चबेना गंगजल पीना

विश्वनाथ दरबार

एहिघाटपर कोटि -कोटि जन जीवन सुमिरय

गाबय मणिकर्णिका तीर्थमे

मुक्तिक गीत

घाट -घाट कें घुमि क' देखब

भेटत पूरा भारत ठाढ़

गंगाक अविरल धारसँ नैन जुरायत

भेटत ज्ञान अपार

बन्धु बान्धवी

काशीमे छै घाटक महिमा अपरम्पार |              

      

काशी- १०

 जागू यौ !काशी के मैथिल

 प्रवासी रहितहुँ मैथिला मैथिलीक बहुत काज अछि अहाँक नाम

सगरो मिथिलाकें छैक काशीपर अभिमान

एना किये मूड़ी छी अहाँसभ छिपने

कोनो निस्सन डेग उठाउ

पुनि काशीमे मिथिलाक पतक्खा फहराउ

एहि काशीसँ मैथिलीक शंखनाद भेल

'मिथिलामोद' प्रकाश

साहित्यक कएक नक्षत्र अवतरित भेलाह

कयलनि संसारक मध्य सत्य प्रकाश

 यात्री एतहि भाषा साहित्यक बीजमंत्रसँ दीक्षित भेला

गुरु भेटलखिन कविवर सीताराम

मैथिलीक अधिकार अधिष्ठाता बनला

कांचीनाथ किरण बनि मैथिलीक सूर्य कहेला

काशीसँ  उठि सगर देस ओ दुनियाँमे

झंडा फहरेला

एहि काशीसँ शिक्षा पाबि क'

कवि शिरोमणि भीमनाथ झा मैथिलीक कृपाचार्य बनल छथि

मनस्वी अशोक जी प्रतिष्ठित कथाकार बनल छथि

मोन पड़ै छथि नैयायिक रुद्रधर ओ

वैदिक सूर्यकान्त

काशी गौरव अनेक वैयाकरणी जे छलाह महान

ओहिमे गणेश दत्त ओ कृष्णमोहन ठाकुरक छल विशेष स्थान

बिरहि रहल पूर्बजक कयल कीर्ति

बाँसफाटक के राममंदिरमे छल

मैथिल छात्रक आवास

छात्र लोकनि जगह -जगह सँ आश्रय पाबथि

भेटनि प्रोत्साहन पुरस्कार

निर्धन सब सेहो पढ़ि लेथि 

छल काशीक एहन उद्गार

दरभंगाघाट अछि हमर धरोहर

श्यामा,तारा,कालीमंदिर ओ नीलकंठ अछि मिथिलाक पहिचान

जानथि नबका पीढ़ी

काशी हिन्दू विश्वविद्यालयक स्थापना अछि मिथिलाक बहुमूल्य योगदान

बास तिरोहित मुदा आश शेष अछि

मिथिलाक मान बढ़ेबा लय

मैथिलीक  जागरण करबा लेल

फेरसँ  होइयौ ठाढ़

हे काशीस्थ मैथिल!

अपनेपर अछि मिथिलाक संस्कृतिक रक्षाक भरिगर भार।         


काशी-११
 

कलाकर्मसँ भरल पुरल अछि काशी जतय कबीरा बुनकर बनि क'

शिल्पकला ओ श्रममार्गक राह बतौलनि

से काशी एखनो  शिल्पकला पर गौरव करय

 तनछुइ सँ मनछुइ तक साड़ी बुनिकय

पहिरक गोरवशाली बनथि सौंसे देशक नारी

ओएह बुनकर सभ श्रमशक्ति मान बढ़ाबथि,मुदा हुनकर जीवन भारी

जै काशीक

साड़ी के व्यापार बनिजपर

टिकल नगरनिवासीक अर्थअधार

एहि शिल्पकला पर

काशीक नाम होइछ जयजयकार

कबीरक उत्तराधिकारी बुनकर सभपर

छै काशीकें गुमान

हुनको हित धियान रहय

औ काशीक नगरक सभ माननीय श्रीमान।     


काशी-१२

आइ जखन आखर-आखर बिका रहल अछि

गरीब -गुरबाक नेना एहि शिक्षा नीतिमे पिसा रहल अछि

 मोन पड़ैत अछि महामनाक संघर्ष

भिक्षुक बनि क'

सभसँ लेलनि संग सहयोग

लाट फिरंगी राज रजबारा

सभक नदी नाव संयोग

तखन बनल काशी भूमिपर

मधुर मनोहर अतीव सुन्दर

सर्व विद्याक राजधानी

महामनाक तपोभूमि  एहि काशीमे

अद्भुत अछि हिन्दू विश्वविद्यालयक कहानी

प्राच्य प्रतीच्यक मिलन बिन्दु ई

प्राचीन ओ अर्वाचीनक उत्कृष्ट केन्द्र ई

एहि निर्माणसँ आर्यावर्तक माथ ऊँच भेल

शिक्षा संस्कृति नब विकास भेल

एहि संस्थानसँ उन्नत  भेल भारत देश

नित नब आयाम गढ़ि रहल अछि

परिसरक रमणीयता बढ़ि रहल अछि

कीर्ति अमर छनि 

सभ दिन जिता

प्रेरक छथि

उत्प्रेरक छथि

विश्वविद्यालयक सभ आचार्य महान

राष्ट्रहितमे लागल छथि

परिसरसँ निकसल लाख-लाख छात्र ओ छात्रा

नीज गुण शील कर्तव्यक छथि सभ खान   |


    

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...