Friday, December 4, 2020

Mithila Makhaan - Movie Review by Dilip Kumar Jha




मिथिला मखान देलक अछि मैथिली सिनेमाकें नव पहिचान

मिथिलाक विकास ,मिथिलेक लोक क' सकयै ।लाग' पड़तै,भीड़' पड़तै। मिथिलाक लोककें ई बात बुझ' पड़तनि तखनहि अधोगतिसँ उबरि सकत मिथिला।बात हम मिथिला मखानक क' रहल छी ।मखान होइत अछि पानिमे,से पानि मिथिलाक लेल वरदान अछि की अभिशाप से सम्प्रति मिथिलाक लोक नहि बुझि पाबि रहलए।मुदा 'मिथिला मखान' चलचित्रक पटकथा लेखक, निर्माता, निर्देशक ओ कलाकार समवेत रुपसँ बधाइ के पात्र छथि जे मिथिलाक लोककें ई संदेश देबामे पूर्णरुपसँ सफल भेलाह अछि अछि पानि हमरा सभक लेल वरदान थिक।पानिक समुचित उपयोग मिथिलाक लेल सभसँ पहिल आवश्यकता अछि।भूमि पतिता नहि होइछ। पतित रहलैक अछि आ एतुका शासन - सत्ता जे मिथिलाक फराक भौगोलिक स्थितिक - परिस्थितिकें कहियो स्वीकार नहि केलकै।मिथिलाक लोककें मिथिलाक क्षेत्रक नेतृत्ववर्ग सभदिनसँ मूल समस्यासँ धियान भटकौने रहलकै आ अपन नीजी स्वार्थ सिद्धिपर गिद्धदष्टि गरौने रहलकै।ओकरे परिणाम छैक आइ मिथिलाक गाम उजरल अछि।खेत उपटल अछि।लोक पराक' परदेशमे कोनोना अपन पेट भरि रहल अछि।जीवन बचा रहल अछि। सम्प्रति मिथिलाक गामक सत्ता छैक ब्रम्हा सिंह सन-सन लोक लग जे अपन राजनीतिक आकाक समर्थनसँ मिथिलाक गामपर एकछत्र राज क' रहल अछि।समाजकें गोल-गोलैसीमे बाँटि क' सभटा सार्वजनिक सम्पत्ति तँ हरपनहिअछि।लोकक नीजी सम्पत्तिपर सेहो कब्जा कयने जा रहल अछि।लोक भयसँ परा क' यत्र तत्र शहरमेशरणागत भ' रहल अछि। कियो दिल्लीक झुग्गी झोपड़ीमे, कियो मुंबइ के स्लममे अत्यन्त विकट परिस्थितिमे अपन जिनगीक शेष दिन काटि रहल अछि।ई ओहेन व्यक्तिक लेल तँ क्षम्य अछि, जे निरीह छथि,अशिक्षित छथि। मुदा जे ज्ञानी छथि शिक्षित छथि।नवजुआन छथि हुनका लेल क्षम्य नहि अछि।से एहि सिनेमामे बहुत तरीकासँ देखाओल गेलए।नायक क्रान्ति प्रकाश अपन परिजनक विरोधक बावजूद कनाडामे अपन एकटा स्थापित व्यवसायकें छोड़ि आबि जाइ छथि अपन गाम।आरंभ करै छथि अपन मखान व्यवसाय।संघर्ष होइत छनि। विरोध होइत छनि ।मुदा समाज विरोधी तत्व जे समाजक सत्तापर काबिज अछि तकर करै छथि प्रतिवाद। आओर स्थापित करैत छथि 'मिथिला मखान'क प्रतिष्ठा। से नव पीढ़ीकें ओ करय पड़तनि । मिथिलाक नव पीढ़ीमे एकटा नव जोश आ उत्साहक संचार भेलैए।देश- विदेशमे शिक्षा प्राप्त हमर टटका पीढ़ी मिथिलाक मादे थोड़े फराक ढंगसँ सोचय लगलाह अछि से शुभसंकेत अछि।ओहि बात दिश चलचित्र सेहो ईशारा केलक अछि मुदा एहिमे बाधक अछि वर्तमान स्थापित मिथिलाक मध्यम वर्ग जे कोनो कारणसँ गामसँ पलायन क' गेल ओ गाम आपसी नहि चाहैत अछि।के ओहि झमेलमे पड़य! मुदा सिनेमामे एहि पूर्वाग्रहकें सेहो तोड़ल गेल अछि।पहिने तँ नायक क्रान्तिप्रकाशक माय हुनक एहि सोचक विरोध करैत छथिन जखन बिनु हुनका जनतब देनहि मुंबइ हवाइअड्डासँ ओ घुरि गाम आबि जाइत छथि आ गाममे रहिक' किछु काज रोजगाड़ करबाक निर्णय लैत छथि।मुदा नायकक लगन ओ संघर्ष देखि क' हुनक माय,एकमात्र अभिभावक ( प्रेमलता मिश्र) जे सहमल - सहमल रहैत छथि।कारण मखानेक व्यवसायक कारणें हुनक ससुरक हत्या भेल रहैत छनि।तथापि ओ अन्तमे बेटाक सोचक समर्थनमे मजगूतीसँ ठाढ़ होइत छथि।एहने समर्थनकें दरकार छैक नबका पीढ़ीकें।जे आगाँ आबथि, हुनका चाही सकारात्मक सहयोग ओ समर्थन।हुनक उत्साह बढ़ाबैवला चाही लोक,से संदेश देबामे सिनेमा बहुत सफल यहल अछि। व्यक्तिकें किछु नव करबाक लेल कियो ने कियो प्रेरक तत्व रहैत छैक से एतहु नायकक प्रेरक रहलीह अछि सिनेमाक नायिका (अनुरिता झा) ।हुनक काजसँ प्रेरित भेलाह अछि जे मैथिली (अनुरिता) गाममे रहिक' मिथिला चित्रकलापर काज करै छथि। मिथिलाक भत्तिचित्रक सिनेमामे बहुत प्रदर्शन भेल अछि। एकटा स्त्री भ' क' मिथिलाक प्रति हुनक सोच नायककें कतहुँ ने कतहुँ प्रेरित करैत अछि। बेर- बेर एकटा डायलाग जे नायिका बजैत छथि ' गाममे रहि क' काज करब बड़ हिम्मत के काज छैक' से नायककें उत्प्रेरित करैत रहल अछि।ओना नायिकाक भूमिका कने आओर बढ़ाओल जयबाक चाहैत छल।कियै कि स्त्री सशक्तीकरणक एहि दौड़मे स्त्रीक वास्तविक भूमिका वास्तवमे महत्वपूर्ण अछि।ओना जतबा भूमिका छनि नायिका नीकसँ निर्वहन कयलनि अछि। मायक भूमिकामे प्रेमलता मिश्र 'प्रेम'क अभिनय बहुत प्रभावित करैत अछि। किशुनजी एवं मुखियाजीक अभिनय सेहो बेस प्रभावित केलक अछि। सिनेमाक स्क्रीन प्ले सेहो उत्तम छैक।गीत आ संगीत पक्ष तँ नीक छैहे।विद्यापतिक गीत ओ विद्यापतिपर अभिनय सेहो मिथिलाक सांस्कृतिक पक्षकें उजागर केलक अछि मुदा ससिनेमा मिथिलाक प्राचीन गौरवगानमे ओझरायल नहि सिनेमा मिथिलाक समकालीन स्थिति परिस्थितिक दिश दर्शकें ल' जाइत अछि।मिथिलाक वर्तमान स्थितिपर एकबेर फेरसँ विचार करबाक लेल वाध्य करबैत अछि।ई सिनेमाक सफलताक पहिल सूत्र अछि। सिनेमामे ' बेर - बेर मिथिला राज्यक' चर्चा आयल अछि।से ओहि दिश इंगित करैत अछि जे मिथिलाक विकासक लेल मिथिला राज्य चाही मुदा एकठाम ईहो डायलाग अछि जे एखन मिथिला राज्य भेटिये जायत तँ कि होएत? सिनेमामे ईशारा साफ छै पहिने हम सब आर्थिक सशक्तीकरण दिश धियान दी।भाषायी ओ सांस्कृतिक एकता पुनर्स्थापित करी तखन मिथिला राज्य।एखन जे मिथिलाक नव धनाढ़य वर्ग वा दिल्ली ,मुंबइ जाक' छौ मासमे भाषा बिसरैवलाक अछि तिनको एहि सिनेमामे खबरि लेल गेलैए। नायक कनाडा सँ आबि क' मैथिली बजैत अछि एतुका किछु अखरकट्टू लोक जे हिन्दी छटैत अछि। फिल्मक सुटिंग कनाडाक टोरंटो सँ आरंभ भ'क' मिथिलाक गामक दृश्य।राजनगरसन सुन्दर जगहपर भेल अछि जे दर्शककें मोहित करैत अछि। नायक क्रान्तिप्रकाश सुन्नर अभिनय केलनि अछि।खलनायक के रुपमे पंकज झा एकटा माजल कलाकार जकाँ अपन अभिनय केलनि अछि। मैथिली भाषामे एहि तरहक संदेश प्रधान फिल्म एहन उत्कृष्ट अभिनय आ पटकथाक ' संग अबैवला निर्माता ,निर्देशक नितिन चन्द्र ओ नीतू चन्द्रा बधाइ के पात्र छथि।बधाइ के पात्र छथि ओहि जूड़ीक सदस्य लोकनि जे एकटा नीक सिनेमाकें राष्ट्रीय पुरस्कार देलनि। सिनेमा जनमानसक लेल एकटा सशक्त माध्यम अछि।हमरा सभ मिथिलावासीकें एहि सिनेमाकें देखबाक चाही ।एहि तरहक सिनेमाकें प्रोत्साहन भेटबाक चाही जे अबैवला समयमे एकटा विकसित ओ सुगढ़ मिथिलाक निर्माणमे सहायक भ' सकय। जय मिथिला - जय मैथिली |



जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...