कहिया भेटत मिथिलाक नेना सबकें मातृभाषामे पढ़बाक अधिकार?
---------------------------------------------------------------------------भारतक संविधानमे जतेक भाषाकें आठम अनुसूचीमे दर्जा देल गेलैक अछि प्रायःभाषामेअपना राज्यमे प्राथमिक विद्यालयमे मातृभाषाक माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षा देल जा रहल छै।मैथिली भाषा -भाषीक तँ कोनो राज्य छैके नहि।जाहि कारण मैथिलीक संग सतौतवला बेबहार कयल जाइत रहल अछि।मैथिलीक संग बोडो भाषाकें मान्यता भेटल रहैक।असममे असमी आओर बंगाली भाषाक अतिरिक्त बोडोमे सेहो नेना सबकें प्राथमिक शिक्षा देल जा रहल छैक फेर मैथिलीएक संग एहन भेदभाव कियैक? मिथिलाक जनप्रतिनिधि,सामाजिक ओ राजनीतिक कार्यकर्ता एहि समस्यासँ भिज्ञ रहितो सब मौन छथि।गपसपक क्रममे किछु नेता लोकनि कहैत छथि जँ हम मैथिलीक माध्यमसँ शिक्षा देबाक ओकालति करब तँ पटनामे बैसल सुप्रिमो सब नाराज भ' जेताह। मगध ओ भोजपुरक राजनेता लोकनिक सोच छनि जँ मैथिली माध्यमसँ शिक्षा देब आरंभ भ' जायत तँ भ' सकयै ओ बादमे मिथिला राज्यक आधार ने बनि जाय।इएह राजनीतिक भय नहि होब' द' रहल अछि मिथिला क्षेत्रमे मैथिली माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षा।मिथिला राज्यवला भयसँ ग्रसित भ'क'बिहारक शासन मैथिलीक बोली दक्षिणी मैथिलीकें अंगिका नाम द'क' पश्चिमी मैथिलीकें बज्जिका नाम द'क' मैथिली भाषाकें तोड़बाक गहींर षडयंत्र क' रहल अछि।ई दुनू घोषित रुपसँ मैथिलीक बोली छी।एहि बोली सबहक सम्प्रति ने कोनो व्याकरण छैक आ ने कोनो भाषा विज्ञान नहिये कोनो साहित्य ओ सांस्कृतिक परिवेश।मात्र एक व्यक्ति राहुल संकृत्यायनक एकटा अनर्गल ओ अवैज्ञानिक कथनकें आधार बनाक' मैथिलीसन समृद्ध भाषा ओ साहित्यकें खंड-खंडमे बँटबाट तैयारी क' रहल अछि।सरकारकें बिहारक जे तीनटा भाषा अछि भोजपूरी,मैथिली ओ मगही तकर तँ विकास कयले नहि हैइत छैक आ नबनब भाषा बनब' चलल अछि।बिहार सरकारक भाषायी अकादमी सबहक हालति देखिक' सहजहिं एकर अनुमान लगाओल जा सकैत अछि।दक्षिणी मिथिला आ पच्छिमी मिथिलाक जे बन्धु /बान्धबी एहि भूल भूलैया मे छथि तिनकासँ हम विनम्र अपील करबनि।मैथिली अहाँक पुरखाक भाषा छी।सरकारक षडयंत्रमे नै फँसू सबटा गोटा मिलिक'अपन भाषाक विकास करू।हिन्दीक अंध समर्थक सब अनेकानेक क्षेत्रीय भाषाक उन्मूलन करय चाहैत छथि ओहि उन्मूलन अभियानक हिस्सा अछि अंगिका,बज्जिका विवाद। भारतमे भेल भारतीय भाषा सर्वेक्षण-1902 भाषाक सीमांकनक लेल एकमात्र आधार अछि।मैथिली भाषाकें लेल सेहो ओहि आधारपर सीमांकन कयल जाय।सैह आम मिथिलावासीक इच्छा ओ आकांक्षा अछि।सरकार जनभावनाक सम्मान करत से उमेद अछि।
सम्प्रति मिथिलामे तँ कियो जननेता छथि ने जिनकासँ ई आशा ओ उमेद कयल जाय जे ओ मातृभाषाक पक्षमे मजगूतीसँ संघर्ष क' सकताह।सब पछलगुआ अछि मगध आ भोजपूरक नेता सबहक।मिथिलामे एहन नेतृत्व विहीनता पहिने कहियो नै देखल गेल छल।ओना जहिया मिथिलाक नेता लोकनिक सम्पूर्ण बिहारमे तूती बजैत रहनि मुख्यमंत्री,मंत्री होइत रहथि तहिया आइसँ बेसी अवघात भेल।कांग्रेस पार्टीक तीन बेर मुख्यमंत्री बनैवला डा.जगन्नाथ मिश्र मैथिलीक कोंढ़पर उर्दूकें द्वितीय राजभाषा बनाक' बैसा देलनि।दोसर मैथिल मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर पाठ्यक्रमसँ मैथिलीकें बाहर क' देलनि । मैथिली अभियानी आन्दोलनी सबहक दबाबमे बिहार सरकार द्वारा शिक्षा विभाग पत्रांक सं/एम-147/70शि०529 दिनांक 12/09/1973 के माध्यमसँ बिहारक मैथिली भाषी क्षेत्रमे वर्ग 01सँ 07 धरि मैथिली माध्यमसँ शिक्षा देब आरंभ कयल गेल।जाहिमे मुजफ्फरपुर,सीतामढ़ी,वैशाली,दरभं
पायब निज अधिकार कि बिनु झगड़ने।ई बेर चुप भ' बैसबाक नहि संघर्षक अछि।देखल जाय तँ मिथिलाक मुह जाबल अछि।जकरा भोट द'क' एतयसँ पठबैत छियै ओ पटना,दिल्लीमे जाक'गोंग भ' जाइए। किछु गोटा मैथिलीमे सदस्यताक शपथ लैत छथि संगहि एहुक जे अगिला पाँच बर्ष धरि मैथिलीक लेल किछु नै करब।मैथिली संस्थासब 'पाठशालामे मैथिली' अभियानक माध्यमसँ एहि महत्वपूर्ण माँगकें विभिन्न मोर्चापर उठबैत रहल अछि।किछु जनप्रतनिधि विधानमंडलमे एहि मुद्दाकें निरंतर उठबैत रहलाह अछि।जाहिमे कांग्रेस पार्टीसँ विधान पार्षद प्रेमचन्द्र मिश्र लगातार सदनमे एहि मुद्दाकें जोड़ -सोरसँ उठबैत रहलाह अछि।पछिला बर्ष सरकार दिशसँ शिक्षामंत्री विजय कुमार चौधरी जे स्वयं मिथिलाक छथि मैथिली माध्यमसँ शिक्षा देबाक बात सदनमे गछलनि मुदा एखन धरि एहि दिशामे कोनो अग्रेत्तर कारबाइ देखबामे नहि अबैत अछि। से चिंता भ' रहल अछि जे साल दर साल एहिना बितैत जा रहल अछि, नेना सब अखरकट्टू अंग्रेजी,हिन्दीक माध्यमसँ पढ़ि रहल अछि।नेनपनमे शुरूहेसँ दू दू तीन तीन भाषाक दबाब नेना सबकें कुंठित क' रहल अछि।हुनका सबहक व्यक्तित्वक समुचित विकास नै भ' पाबि रहल अछि। दोसर भाषाक प्रति अभिरुचि नै हेबाक कारणें बहुतो नेना अपन पढ़ाइ बीचहिमे छोड़ि दैत अछि।बिहारमे वर्ग आठ आओर वर्ग दसमे ड्रापआउट सबसँ बेसी अछि।भाषा वैज्ञानिक सबहक कहब छनि जे जँ नेना सबकें शुरूहेसँ मातृभाषामे शिक्षा देल जाय तँ ओ शीघ्रतासँ भाषा ओ अंक सिखैत अछि।आगाँ चलिक' वैज्ञानिक शोधमे सेहो बहुत नीक क' सकैत अछि।
मिथिला संस्कृत विद्याक केन्द्र छल ।संस्कृतक शास्त्रीयताक कारण जनभाषाकें ओ महत्व कहियो नै भेटलै जकर अधिकारी छल।सरकारी भाषा पहिने फारसी,फेर अंग्रेजी आब अंग्रेजी आओर हिन्दी।एहि भाषाक चक्रब्यूहमे पिसाइत मैथिली एखनो धरि बाँचल अछि से कोनो कम आश्चर्यक बात नहि। हमर भाषाक जड़िये एतेक गहींर अछि जकरा उकन्नन करब कोनो आसान बात नै छैक।आधुनिक कालमे जाहि दिन अंग्रेजी सरकार वर्नाकुलर शिक्षा लागू कयलक तहिये बिहारी भाषाक नामपर मिथिलामे सेहो हिन्दी माध्यमसँ शिक्षा आरंभ भेल।जखन कि मिथिलाक लोककें हिन्दी भाषासँ दूर-दूर धरि कोनो सम्पर्क नै छलैक।1912 मे उड़िसा सँ बिहार प्रान्त अलग भेल।सम्पूर्ण बिहारक राजकाजक भाषा हिन्दी घोषित कयल गेल।जे मिथिलाक संग अन्याय छल। कोनो प्रतिरोध नै भेल।मिथिलाक बात रखनिहार कियो एहन वीर पुरुष जन्म नहि लेलनि। अद्यावधि ई खेल चलि रहल अछि।मिथिलामे हिन्दी माध्यमसँ शिक्षापर एकटा अंग्रेज अधिकारी जी.कैम्पवेल वायसराय के अपन रिपोर्टमे लिखलनि,"It is astonished on lately visiting Bihar to find this bastard language not only flourishing in its fullest course in our official proceeding but not that we are perpetuating it by teaching i our schools...
I found that in all our so called vernacular this monstrous language if it can be calted a language is being taught by maulvis instead of the vernacular I am determined to put a stop to the teaching of this language in our schools ."
एतहिसँ दुर्भाग्य शुरूह भेल मैथिली भाषाक।जे थम्हबाक नाम नै ल' रहल अछि।आइयो मिथिला क्षेत्र शिक्षाक मामिलामे बहुत पिछड़ल अछि।जाहि अभिवंचित वर्गक उत्थानक बात सब सरकार करैत अछि ओहि वर्गक अधिकांश लोक लग एखनो एकमात्र अपन भाषा अछि मातृभाषा मैथिली।मुदा हुनका लोकनिक बीच भाषिक चेतनाक अभाव अछि। 'पाठशालामे मैथिली'अभियानक स्पष्ट कहब अछि मातृभाषाक माध्यमसँ शिक्षा देल जयबासँ सबसँ बेसी लाभ हेतनि ओहि अभिवंचित वर्गकें जिनक पहिल पीढ़ी शिक्षित भ' रहल छनि वा जे एखनो आखर ज्ञानसँ दूर छथि। विश्व प्रसिद्ध समाजशास्त्री पाल ब्रास अपन पोथी 'Language, Religion and Politics' मे लिखैत छथि कोनो भाषाक बचेबाक लेल सबसँ जरुरी अछि ओहि समुदायमे भाषिक चेतना होइ। एहि बिषयपर चिंता व्यक्त करैत प्रसिद्ध भाषाशास्त्री सुनीति कुमार चटर्जी वर्णरत्नाकरक भूमिकामे लिखैत छथि," ई अत्यन्त दुखक बिषय अछि जे मैथिली अपना घरहि मे गवारू बोली बुझल जाइत अछि।"
बर्ष 2022 एवं 2023 नब शिक्षा नीतिक लेल निर्णायक बर्ष अछि।देशमे एहि बर्ष शिक्षा नीति सम्पूर्ण रूपसँ लागू कयल जायत।प्राथमिक शिक्षाक माध्यम मातृभाषाकें बनायल जायत।मैथिलीक संग न्याय कयल जायत से हमसब उमेद करी।जागल रही।जागल लोकक विनाश नै छैक।