Sunday, January 23, 2022

Maithili in primary Education

 कहिया भेटत मिथिलाक नेना सबकें मातृभाषामे पढ़बाक अधिकार?

---------------------------------------------------------------------------



जँ अपने कोनो व्यक्तिसँ ओहि भाषामे बात करैत छी जे ओ अपना विद्यालयमे सिखने छथि,बात हुनका दिमाग धरि पहुँचैत अछि।मुदा जँ कोनो व्यक्तिसँ जँ ओहेन भाषामे बात करैत छी जे ओ अपना मायसँ सिखने छथि तँ ओ बात हुनका हृदयकें स्पर्श करैत अछि,मोनकें छुबैत आछि।भाषा बहुत संवेदशील चीज छियै।जँ कोनो भाषाकें जड़ि मूलसँ समाप्त करबाक अभियान चलाओल जाय ओ बहुत खतरनाक भ' सिद्ध भ' सकैत अछि।एकटा भरल-पुरल संस्कृति नष्ट भ' सकैत अछि।मिथिला एकटा भूखण्डक टुकड़ा मात्र नहि छी।मिथिलाक एहि संसारमे एकटा फराक परिचिति रहल अछि। मिथिला सगर संसारमे अग्रगण्य,विकसित संस्कृतिक प्रतीक स्थल छी। एक दिस किछु गोटे मैथिली भाषाकें शास्त्रीय भाषाक दर्जा देबाक माँग उठा रहल छथि दोसर दिश मैथिलीकें जड़ियेमे समाप्त करबाक षडयंत्र चलि रहल अछि।जखन सहरजमीनपर मैथिली भाषा जान'वला रहबे ने करत तँ महाविद्यालय,विश्वविद्यालय ओ शोध संस्थानमे के पढ़त मैथिली?के शोध करत मैथिली भाषा ओ साहित्यपर ?मैथिली भाषाक बिना मिथिलाक सामाजिक, आर्थिक संरचनाकें फरीछसँ नहि बुझल जा सकैत अछि। एहि गंभीर बिषयक एकमात्र समाधान अछि, से बहुत सरल समाधान अछि जकरा समय अछैते पूरा करब बहुत जरूरी अछि। युनेस्को कहि रहल अछि जे दुनियाँक हजारों भाषा समाप्तिक कछेरपर अछि।हमराअबैवला अपन संततिक लेल,प्रिणसँ प्रिय मिथिला भूमिक लेल हर हालतिमे अपन मातृभाषा मैथिली बचाबय पड़त ।ताहि लेल यथा शीघ्र आरंभ हुए मिथिला क्षेत्रक नेना सबहक लेल मातृभाषा मैथिलीक माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षा। युनेस्कोक कहब अछि जे संसारक 2471टा भाषाक अस्तित्व समाप्त हेबाक कछेरपर अछि जाहिमे भारतक सेहो 197टा भाषा शामिल अछि। ईसारा एम्हरो अछि।स्वाभाविके अछि सरकारी उपेक्षा आ अंग्रेजीक प्रति दिन- दिन बढ़ल जा रहल लोकक विश्वास कतहुँ ने कतहुँ मातृभाषाक जड़ि कमजोर क' रहल अछि।मिथिलाक लोकमे मातृभाषाक प्रति गौरवबोध कहियो रहबे नै केलनि,जेना-जेना मिथिलाक लोकक पैसार नगर -महानगरमे भ' रहल अछि लोक रोजी- रोजगारक खोजमे जतय जाइत छथि सनेशमे ओतुका भाषा सेहो उघने अबैत छथि।दोसरठामक भाषा सीखब कोनो आधलाह बात नै अछि किंतु अपन मातृभाषासँ विमूख हैयब,बजनाइ छोड़ब अपना मातृभाषाक प्रति हीनभावना राखब निश्चिते आपत्तिजनक अछि।दुखद अछि। जेना -जेना बजारक प्रभाव बढ़ल जा रहल अछि तेना-तेना भारतीय भाषा सब तिरोहित भ' रहल अछि।जाहि भारतीय भाषाक जड़ि जोड़गर छैक।लोककें अपना भाषाक प्रति गौरवबोध छैक ओ सब अपना भूमिसँ पलायन केलाक पछातियो यथासंभव अपन मातृभाषाक रक्षा करैत छथि।ताहिमे बंगाली,गुजराती,मराठी,तमिल,ते
लगू,कन्नर,मलयालम आदि भाषाक नाम आदरपूर्वक हम ल' सकैत छी।एते दिन जे भेल से भेल, जेना-तेना जनकंठमे मैथिली सुरक्षित रहल मुदा आब जँ लिखित रुपमे मैथिलीकें बचेबाक निर्णायक कोशिश नहि कयल जायत तँ स्थिति बहुत भयाओन भ' सकैतअछि।एकरा लेल आवश्यकअछि तत्काल प्रारंभिक कक्षामे मैथिलीक माध्यमसँ पठन -पाठन आरंभ कयल जाय।भारत सरकार द्वारा जे नब शिक्षा नीति-2020 घोषित कयल गेल अछि जकर मूल अवधारणाअछि नेना सबकें प्राथमिक शिक्षा अपना मातृभाषाक माध्यमसँ बिलहल जाय।कतहुँ ने कतहुँ भारतक शिक्षाविद सब सेहो अंग्रेजीक बढ़ैत प्रसारसँ चिंतित छथि तें ने शिक्षा नीतिमे मातृभाषापर एतेक जोड़ देल गेल छैक। नब शिक्षा नीति-2020 कहैत अछि,"It is well understood that young children learn and grasp notrivial concepts more quickly in their home language/mother tongue. आगाँ शिक्षाक माध्यमक बिषयमे स्पष्ट रुपसँ लिखल अछि जे,"Wherever possible,the medium of instruction until at least Grade 5,but preferaly till Grade 8, will be home language /mother tonge.
भारतक संविधानमे जतेक भाषाकें आठम अनुसूचीमे दर्जा देल गेलैक अछि प्रायःभाषामेअपना राज्यमे प्राथमिक विद्यालयमे मातृभाषाक माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षा देल जा रहल छै।मैथिली भाषा -भाषीक तँ कोनो राज्य छैके नहि।जाहि कारण मैथिलीक संग सतौतवला बेबहार कयल जाइत रहल अछि।मैथिलीक संग बोडो भाषाकें मान्यता भेटल रहैक।असममे असमी आओर बंगाली भाषाक अतिरिक्त बोडोमे सेहो नेना सबकें प्राथमिक शिक्षा देल जा रहल छैक फेर मैथिलीएक संग एहन भेदभाव कियैक? मिथिलाक जनप्रतिनिधि,सामाजिक ओ राजनीतिक कार्यकर्ता एहि समस्यासँ भिज्ञ रहितो सब मौन छथि।गपसपक क्रममे किछु नेता लोकनि कहैत छथि जँ हम मैथिलीक माध्यमसँ शिक्षा देबाक ओकालति करब तँ पटनामे बैसल सुप्रिमो सब नाराज भ' जेताह। मगध ओ भोजपुरक राजनेता लोकनिक सोच छनि जँ मैथिली माध्यमसँ शिक्षा देब आरंभ भ' जायत तँ भ' सकयै ओ बादमे मिथिला राज्यक आधार ने बनि जाय।इएह राजनीतिक भय नहि होब' द' रहल अछि मिथिला क्षेत्रमे मैथिली माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षा।मिथिला राज्यवला भयसँ ग्रसित भ'क'बिहारक शासन मैथिलीक बोली दक्षिणी मैथिलीकें अंगिका नाम द'क' पश्चिमी मैथिलीकें बज्जिका नाम द'क' मैथिली भाषाकें तोड़बाक गहींर षडयंत्र क' रहल अछि।ई दुनू घोषित रुपसँ मैथिलीक बोली छी।एहि बोली सबहक सम्प्रति ने कोनो व्याकरण छैक आ ने कोनो भाषा विज्ञान नहिये कोनो साहित्य ओ सांस्कृतिक परिवेश।मात्र एक व्यक्ति राहुल संकृत्यायनक एकटा अनर्गल ओ अवैज्ञानिक कथनकें आधार बनाक' मैथिलीसन समृद्ध भाषा ओ साहित्यकें खंड-खंडमे बँटबाट तैयारी क' रहल अछि।सरकारकें बिहारक जे तीनटा भाषा अछि भोजपूरी,मैथिली ओ मगही तकर तँ विकास कयले नहि हैइत छैक आ नबनब भाषा बनब' चलल अछि।बिहार सरकारक भाषायी अकादमी सबहक हालति देखिक' सहजहिं एकर अनुमान लगाओल जा सकैत अछि।दक्षिणी मिथिला आ पच्छिमी मिथिलाक जे बन्धु /बान्धबी एहि भूल भूलैया मे छथि तिनकासँ हम विनम्र अपील करबनि।मैथिली अहाँक पुरखाक भाषा छी।सरकारक षडयंत्रमे नै फँसू सबटा गोटा मिलिक'अपन भाषाक विकास करू।हिन्दीक अंध समर्थक सब अनेकानेक क्षेत्रीय भाषाक उन्मूलन करय चाहैत छथि ओहि उन्मूलन अभियानक हिस्सा अछि अंगिका,बज्जिका विवाद। भारतमे भेल भारतीय भाषा सर्वेक्षण-1902 भाषाक सीमांकनक लेल एकमात्र आधार अछि।मैथिली भाषाकें लेल सेहो ओहि आधारपर सीमांकन कयल जाय।सैह आम मिथिलावासीक इच्छा ओ आकांक्षा अछि।सरकार जनभावनाक सम्मान करत से उमेद अछि।
सम्प्रति मिथिलामे तँ कियो जननेता छथि ने जिनकासँ ई आशा ओ उमेद कयल जाय जे ओ मातृभाषाक पक्षमे मजगूतीसँ संघर्ष क' सकताह।सब पछलगुआ अछि मगध आ भोजपूरक नेता सबहक।मिथिलामे एहन नेतृत्व विहीनता पहिने कहियो नै देखल गेल छल।ओना जहिया मिथिलाक नेता लोकनिक सम्पूर्ण बिहारमे तूती बजैत रहनि मुख्यमंत्री,मंत्री होइत रहथि तहिया आइसँ बेसी अवघात भेल।कांग्रेस पार्टीक तीन बेर मुख्यमंत्री बनैवला डा.जगन्नाथ मिश्र मैथिलीक कोंढ़पर उर्दूकें द्वितीय राजभाषा बनाक' बैसा देलनि।दोसर मैथिल मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर पाठ्यक्रमसँ मैथिलीकें बाहर क' देलनि । मैथिली अभियानी आन्दोलनी सबहक दबाबमे बिहार सरकार द्वारा शिक्षा विभाग पत्रांक सं/एम-147/70शि०529 दिनांक 12/09/1973 के माध्यमसँ बिहारक मैथिली भाषी क्षेत्रमे वर्ग 01सँ 07 धरि मैथिली माध्यमसँ शिक्षा देब आरंभ कयल गेल।जाहिमे मुजफ्फरपुर,सीतामढ़ी,वैशाली,दरभंगा,मधुबनी,समस्तीपुर, बेगुसराय,सहरसा,(मधेपुरा,सुपौल),पूर्णिया,कटिहार, भागलपुर, मुंगेर एवं गोड्डा जिला शामिल छल। पाठ्यपुस्तक छपल। विद्यालय सबमे मैथिली माध्यमसँ पढ़ाइ आरंभ भेल।सोभाग्य बात जे हम स्वयं पहिला ओ दूसरा वर्गमे इएह पाठ्य -पुस्तक पढ़ने छी।मैथिलीमे भाषाक पोथीक नाम रहय 'मीरा कमल दिनेश'।मुदा किछुए बर्षक बाद मैथिलीकें पाठ्यक्रमसँ बाहर क' देल गेल से अद्यावधि बाहर अछि। भले क्षीण रुपमे सही मिथिलाक लोक मातृभाषाक माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षाक माँग करैत रहलाह अछि।सरकार कोनो कान बात नै देलक।प्रसिद्ध मैथिली अभियानी डा.जयकान्त मिश्र पटना उच्च न्यायायलमे वाद दायर कयलनि। न्यायालय मैथिलीमे पढ़ेबाक आदेश देलक तथापि सरकार एकरा लागू नहि कयलक।कोनो ने कोनो प्रकारें अनठियबैत रहल।टालैत रहल।अवमानना आदेशपर सरकार एकबेर फेर 1999मे पाठ्यक्रम तैयार केलक।जेना कि बिहार टेक्सट बुक कार्पोरेशन द्वारा पुस्तकक प्रकाशित सूचीसँ ज्ञात होइत अछि जे ओहिमे वर्ग एकसँ आठ धरिक सब बिषयक पोथी मैथिली भाषामे छापल गेल अछि मुदा गलत तथ्य अछि।हम स्वयं 1994 सँ शिक्षण कार्य कय रहल छी कहियो कोनो पुस्तक नै देखल।बिहारक विद्यालयमे मैथिली माध्यमसँ पठन-पाठनक कोनो पाठ्यक्रम स्वीकृत नै भेल।ने बजारमे आ ने प्राथमिक पाठशालामे मैथिलीक पोथी पहुँचल।फेर 28 दिसम्बर 1999 क' बिहारक हिन्दुस्तान अखबारमे मैथिली पोथीक सूची कोना प्रकाशित कयल गेल।एकरा मिथिलाक प्रति गहींर षडयंत्र नहि तँ आर की कही ! एकबेर फेर समय तुलायल अछि।भारत सरकारक कानून फेरसँ एकटा अवसर प्रदान केलक अछि।मोन पाड़ू कविवर सीताराम झाक ओ पाँती 'अछि सलाइमे आगि बरत कि बिनु रगड़ने
पायब निज अधिकार कि बिनु झगड़ने।ई बेर चुप भ' बैसबाक नहि संघर्षक अछि।देखल जाय तँ मिथिलाक मुह जाबल अछि।जकरा भोट द'क' एतयसँ पठबैत छियै ओ पटना,दिल्लीमे जाक'गोंग भ' जाइए। किछु गोटा मैथिलीमे सदस्यताक शपथ लैत छथि संगहि एहुक जे अगिला पाँच बर्ष धरि मैथिलीक लेल किछु नै करब।मैथिली संस्थासब 'पाठशालामे मैथिली' अभियानक माध्यमसँ एहि महत्वपूर्ण माँगकें विभिन्न मोर्चापर उठबैत रहल अछि।किछु जनप्रतनिधि विधानमंडलमे एहि मुद्दाकें निरंतर उठबैत रहलाह अछि।जाहिमे कांग्रेस पार्टीसँ विधान पार्षद प्रेमचन्द्र मिश्र लगातार सदनमे एहि मुद्दाकें जोड़ -सोरसँ उठबैत रहलाह अछि।पछिला बर्ष सरकार दिशसँ शिक्षामंत्री विजय कुमार चौधरी जे स्वयं मिथिलाक छथि मैथिली माध्यमसँ शिक्षा देबाक बात सदनमे गछलनि मुदा एखन धरि एहि दिशामे कोनो अग्रेत्तर कारबाइ देखबामे नहि अबैत अछि। से चिंता भ' रहल अछि जे साल दर साल एहिना बितैत जा रहल अछि, नेना सब अखरकट्टू अंग्रेजी,हिन्दीक माध्यमसँ पढ़ि रहल अछि।नेनपनमे शुरूहेसँ दू दू तीन तीन भाषाक दबाब नेना सबकें कुंठित क' रहल अछि।हुनका सबहक व्यक्तित्वक समुचित विकास नै भ' पाबि रहल अछि। दोसर भाषाक प्रति अभिरुचि नै हेबाक कारणें बहुतो नेना अपन पढ़ाइ बीचहिमे छोड़ि दैत अछि।बिहारमे वर्ग आठ आओर वर्ग दसमे ड्रापआउट सबसँ बेसी अछि।भाषा वैज्ञानिक सबहक कहब छनि जे जँ नेना सबकें शुरूहेसँ मातृभाषामे शिक्षा देल जाय तँ ओ शीघ्रतासँ भाषा ओ अंक सिखैत अछि।आगाँ चलिक' वैज्ञानिक शोधमे सेहो बहुत नीक क' सकैत अछि।
मिथिला संस्कृत विद्याक केन्द्र छल ।संस्कृतक शास्त्रीयताक कारण जनभाषाकें ओ महत्व कहियो नै भेटलै जकर अधिकारी छल।सरकारी भाषा पहिने फारसी,फेर अंग्रेजी आब अंग्रेजी आओर हिन्दी।एहि भाषाक चक्रब्यूहमे पिसाइत मैथिली एखनो धरि बाँचल अछि से कोनो कम आश्चर्यक बात नहि। हमर भाषाक जड़िये एतेक गहींर अछि जकरा उकन्नन करब कोनो आसान बात नै छैक।आधुनिक कालमे जाहि दिन अंग्रेजी सरकार वर्नाकुलर शिक्षा लागू कयलक तहिये बिहारी भाषाक नामपर मिथिलामे सेहो हिन्दी माध्यमसँ शिक्षा आरंभ भेल।जखन कि मिथिलाक लोककें हिन्दी भाषासँ दूर-दूर धरि कोनो सम्पर्क नै छलैक।1912 मे उड़िसा सँ बिहार प्रान्त अलग भेल।सम्पूर्ण बिहारक राजकाजक भाषा हिन्दी घोषित कयल गेल।जे मिथिलाक संग अन्याय छल। कोनो प्रतिरोध नै भेल।मिथिलाक बात रखनिहार कियो एहन वीर पुरुष जन्म नहि लेलनि। अद्यावधि ई खेल चलि रहल अछि।मिथिलामे हिन्दी माध्यमसँ शिक्षापर एकटा अंग्रेज अधिकारी जी.कैम्पवेल वायसराय के अपन रिपोर्टमे लिखलनि,"It is astonished on lately visiting Bihar to find this bastard language not only flourishing in its fullest course in our official proceeding but not that we are perpetuating it by teaching i our schools...
I found that in all our so called vernacular this monstrous language if it can be calted a language is being taught by maulvis instead of the vernacular I am determined to put a stop to the teaching of this language in our schools ."
एतहिसँ दुर्भाग्य शुरूह भेल मैथिली भाषाक।जे थम्हबाक नाम नै ल' रहल अछि।आइयो मिथिला क्षेत्र शिक्षाक मामिलामे बहुत पिछड़ल अछि।जाहि अभिवंचित वर्गक उत्थानक बात सब सरकार करैत अछि ओहि वर्गक अधिकांश लोक लग एखनो एकमात्र अपन भाषा अछि मातृभाषा मैथिली।मुदा हुनका लोकनिक बीच भाषिक चेतनाक अभाव अछि। 'पाठशालामे मैथिली'अभियानक स्पष्ट कहब अछि मातृभाषाक माध्यमसँ शिक्षा देल जयबासँ सबसँ बेसी लाभ हेतनि ओहि अभिवंचित वर्गकें जिनक पहिल पीढ़ी शिक्षित भ' रहल छनि वा जे एखनो आखर ज्ञानसँ दूर छथि। विश्व प्रसिद्ध समाजशास्त्री पाल ब्रास अपन पोथी 'Language, Religion and Politics' मे लिखैत छथि कोनो भाषाक बचेबाक लेल सबसँ जरुरी अछि ओहि समुदायमे भाषिक चेतना होइ। एहि बिषयपर चिंता व्यक्त करैत प्रसिद्ध भाषाशास्त्री सुनीति कुमार चटर्जी वर्णरत्नाकरक भूमिकामे लिखैत छथि," ई अत्यन्त दुखक बिषय अछि जे मैथिली अपना घरहि मे गवारू बोली बुझल जाइत अछि।"
बर्ष 2022 एवं 2023 नब शिक्षा नीतिक लेल निर्णायक बर्ष अछि।देशमे एहि बर्ष शिक्षा नीति सम्पूर्ण रूपसँ लागू कयल जायत।प्राथमिक शिक्षाक माध्यम मातृभाषाकें बनायल जायत।मैथिलीक संग न्याय कयल जायत से हमसब उमेद करी।जागल रही।जागल लोकक विनाश नै छैक।






Critics of Maithili Book by Dilip Kr. Jha




डा.शिवशंकर श्रीनिवासक नव्यतम कथा संग्रह 'माटि'क समीक्षा।

----------------------------------------------------------------------

अपन माटि ,अपन भूमि अपन भाव अपन भाषा सबकें नीक लगैत छै।सोहनगर लगैत छैक।हँ,किछु ओहनो अबूझ प्राणी अछि जिनका लेल अपन कहैवला वस्तु सभसँ कोनो माने मतलब नै।तेहन लोकक बिषयमे गपे कियै करब? आगाँ बढैत छी। एकटा सत्य घटनापर अबैत छी।दू सय बर्ष पहिने हमरा गामक एकटा परिवार उपटि क' राजस्थानक माउण्ट आबूमे बसि गेल।बसि तँ गेल मुदा कोनो ने कोनो तरहें गाममे अपन दियाद वादसँ सम्पर्क बनौने रहल।किछु बर्ष पूर्ब ओहि परिवारक पाँचम पीढ़ी गाममे फेरसँ घरारी कीनि क' घर बनौलनि अछि।पुछलियनि की जरूरति भेल एतय घर बनेबाक? ओ कहलनि माउण्ट आबूमे हमसब बहुत सुखी छी।मुदा की कही ,एतबे कहब जे माटि बजा लेलक। तहिना फिजी के राष्ट्रपति राम गुलाम जखन बिहारमे अपन पूर्बजक गाम गेल छलाह तँ कहलनि हमर पूर्बजक माटि हमरा भीतरे भीतर बेचैन कयने छल तकरे रजकण माथमे लगेबाक लेल हम एतय एलहुँ अछि।माटि चीजे सैह छैक।माटि मात्र अन्न,फल उपजेबाक लेल एकटा भौतिक अवयवे नहि माटि छी हमर पहिचान।माटि छी हमर जीवन।माटिसँ पृथक जीवनक कोनो परिकल्पना नहि कयल जा सकैछ।से प्राणी कतहुँ रहय खाहे ओ कोनो निर्जन गाममे वा आधुनिक महानगरीय सभ्यातामे रचल बसल,माटिसँ पृथक कियो नहि अछि।से हम माटिक बात क' रहलहुँ अछि हेबनियेमे प्रकाशित भेल कथा संग्रह 'माटि 'क प्रसंग।कथाकार छथि मैथिली कथाकें एकटा विशिष्ट पहिचान दिऔनिहार, समकालीन मैथिल कथाक प्रमुख स्वर डा.शिवशंकर श्रीनिवास।डा.श्रीनिवासक ई पाँचम कथा संग्रह छियनि लकधक पाँच दशकसँ मैथिलीमे कथा लिखि रहल छथि।हिनक कथाक अनेक भाषामे अनुवाद भेल अछि।वैद्यनाथ झा हिनक किछु चयनित कथाक हिन्दीमेअनुवाद कयने छथि। हिन्दीमे 'जमुनियाँ धार' नामसँ पुस्तक प्रकाशित भेल अछि।एहि पुस्तकक भूमिकामे हिन्दीक यशस्वी ओ वयोवृद्ध साहित्यकार रामदरश मिश्र हिनक कथाक बिषयमे लिखैत छथि,'शिवशंकरजी की कहानियों में व्याप्त कथा-रस उन्हें अत्यन्त पठनीय बनाता है।छोटी-छोटी उपकथाएं मुख्य कथा में सहजभाव से मिलकर कथ्य को अधिक सघन बनाती हैं। भिन्न -भिन्न चरित्र आपसी संबंधों को तो उजागर करते ही हैं, पाठकों को संवेदना में भिगोते भी हैं।कहानियों में व्याप्त मानववादी मूल्य-दृष्टि पाठकों को उजास के किसी बिंदु तक ले जाती हैं।'..।

माटि कथा संग्रहमे पहिल कथा अछि माटि।कमलनाथक कथा वस्तुतः मनुक्खक जीवनक अवसादक कथा थिक।कोना कमलनाथकें पत्नीक देहान्त पछाति अवसाद घेरि लैत छनि।प्रकृतिक सुन्नर वस्तु सभसँ ओ दूर भाग' लगैत छथि।सृजनक स्थानपर ढहल ढनमनायल चीजसब हुनका बेसी पसिन पड़ैत छनि।कथामे कथानायक कहैत छथि,'चाहे ओ पानिक बाढ़ि हो वा जीवनमे करुणाक बाढ़ि जे कहियौ जखन जीवन कोनो कारणसँ ठहरतै आ माटिसँ जुड़तै तखने फेरसँ कोनो अवसादग्रस्त,उदास जीवनमे फूल फूला सकैत अछि। से कमलनाथ जखन अपन अनाथ भागिनक पालन पोषण करय लगैत छथि।गाय पोसय लगैत छथि।फूल-पात रोप' लगैत छथि ।बाड़ीए फूलबाड़ीसन हुनको जीवन गमकि उठैत छनि।कथाक बुनाबटि तँ नीक छैहे ओहिमे प्रयुक्त अलंकार काव्यक अनुभूति दैत अछि।अपना अनाथ भागिनक बिषयमे कमलनाथ कहैत छथि-'की कहिय',ओ जखन आनन्दसँ हँसैए त' इजोड़िया रातिक अरिपन पर लाबा छिड़िया जाइए।' तहिना एकटा कथा अछि 'बदलैत रूप'।परिवारक बिखरैत तन्तु बरिष्ठ लोकनिक जीवनकें कतेक दुरूह बना देलक अछि तकर कथा कहयै बदलैत रूप।मथुरा ठाकुरक पत्नी अछि रानी जे बादमे रनियाँ कालान्तरमे रनियाँ बुढ़िया भ' जाइत अछि।मथुरा ठाकुरक बेटा बेचनक माय बापक ब्यवहारक कथा घर -घरक कथा छी।जाहि बेटा-बेटी कें एतेक जतनसँ लोक पालैत पोसैत अछि से संतान जखन होश सम्हारैत अछि तँ माय बापकें अपना परिवारक सदस्य नै बुझैत अछि।बापक मेहनतिक टाकाअपन बाल बच्चपर ,अपन नीजी रहन सहनमे,ऐसो आरामपर खर्च क' लैत अछि।से जखन अन्न,पानि,दवाइ ,पथ्यादिक वेत्रे मथुरा ठाकुर काहि काटि क' मरि जाइत अछि।रनियाँकें बेटा पुतहु साफे अबडेर दैत अछि तखन सहारा बनैत छैक नैहरक परिजन सभ।रनियाँ बुढ़ियाँ अपना भतिज पुतहु सबसँ प्रोत्साहन पाबि अपन लूड़ि क उपयोग क' फेरसँ नब जीवन शुरू करैत अछि।फेरसँ जीब' लगैत अछि रनियाँ।स्वरोजगार करैत अछि।अपन सहयोगी सबहक सम्बन्धमे कहैत अछि हम ई चारू स्त्रीगण मात्र ई पाँच गोटेयक हमर परिवार अछि।कथामे देखाओल गेलए जे आब रक्त सम्बन्ध धरि परिवार नहिअछि। जे जीवनमे संग दिए,सुख दुःखमे ठाढ़ हुए ओएह ने परिवार। परिवार आब नब रूप ल' रहल अछि से सम्पूर्ण संवेदना ओ वैचारिकताक संग।

भारतमे साम्प्रदायिकताक जहर कोन रूपमे पसरि रहल अछि से बहुत फरीछ भ'क' आयल अछि एहि संग्रहक कथा 'पसाही'मे।कोरोनासन भयावह महामारी जाहिसँ संसारक मानव समुदाय त्रस्त अछि।एहु समयमे जँ सब किछु जाति, सम्प्रदाय आ दलीय आधारपर संचालित होबय लागय तँ एहिसँ बेसी चिंताक बात की हैत? गामक एकघारा मुसलमान,गामक बेटी नूरो जखन मनमोहन पाठककें कहैत छनि-' अच्छा ई कह'बौआ,दिल्लीक ओ जमाती सब हमर के लागत?ओ जमाती सब कोरोना बेमारी फैलेलक ताहिमे हमर कोन दोख?' तों इहो कह' जे कोनो हिन्नू जँ कोनो मुसलमानकें मारि देलकै,तइमे दोसर हिन्नूक कोन दोख?गामक लोक नूरजहाँ उर्फ नूरोसँ हरियर तरकारी कीनब बन्न क' देलकै।दाहुरक बेटा ओकरा कहलकै जे ई गाम हिन्नूक छियै ।तों एहि गामसँ भाग।नूरो मनमोहन पाठकसँ प्रश्न करयै- से तों कह' की हम एहि गामसँ भागि जाउ? की ई हमर गाम नहि छी?गामो हिन्नू,मुसलमान होइ छै?ई कहि कान' लागलि नूरो।
से जाहि भरोसक संग नूरो मनमोहन पाठक लग आयल छल तकर ओ पूरा संज्ञान लेलनि आ कहलनि-'ई समाज सभ जातिक,सभ धर्मक छै।कियो नै भगा सकैत छौ तोरा फेर हमसब एहि गाममे की करै छियै?' एहने भरोस चाही एकटा लोकतांत्रिक देशमे कोनो प्रकार अल्पसंख्यककें। चाहे ओ धार्मिक अल्पसंख्यक हुए वा भाषायी वा कोनो अन्य प्रकार अल्पसंख्यक ।मुदा एकटा प्रश्न धरि एतय उठैत अछि जे हमरा देशमे एना कियै भ' रहल अछि? एतय अल्पसंख्यक के अर्थ फरीछा क' बूझ' पड़त।राजनीतिक दल जे अपन परिभाषा गढ़ने अछि से अपन राजनीतिक नफा नोकसानक लेल मुदा हमरा निरपेक्ष भ'क' एहिपर विचार करय पड़त।कश्मीरमे पंडित सबहक संग जखन अन्याय भेलै।ओतय हुनका सबपर अमानवीय अत्याचार भेलै।घर दुआरि छोड़ पड़लै की ताहिदिन कश्मीरक बहुसंख्यक अल्पसंख्यककें संग देलथिन? जँ तहिया कश्मीरक गाम गाममे जँ कोनो अब्दुल,कियो सत्तार,गफ्फार ओतुका अल्पसंख्यकक रक्षाक लेल अबैत तँ एहन हालति होइत! आग बत्तीस बर्षसँ बेचारा सब शरणार्थी शिविरमे दिन काटि रहल अछि।तहिना उत्तर प्रदेशमे कैरानामे कतेको मुस्लिम बहुल गामसँ हिन्नू सबकें पलायन करय पड़लै। मुजफ्फरनगरमे हिन्नू बहुल गामसँ मुसलमान सभकें भाग' पड़लै।तहिना कतहुँ ईसाइकें, कतहुँ सिक्ख तँ कतहुँ जैन आ बौद्धकें एहन तरहक समस्याक सामना करय पड़ैत छैक। एहन-एहन घटनापर जेना नूरोकें न्याय दियेबाक लेल मनमोहन पाठक,सरयुग यादव,हीरालाल कामति आगाँ एलाह तहिना आरो लोक सबकें, जे जतय बहुसंख्यक अछि,सबल अछि हुनका सबकें समुदायक संगआबय पड़तनि। तखने बाँचत हमर सौहार्द,सामाजिक सदभाव आओर अक्षुण्ण रहि सकत प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली।धधकैत साम्प्रदायिकतापर एकटा बहुत निस्सन कथा अछि पसाही।
डा.शिवशंकर श्रीनिवास गामकें बहुत ल'गसँ देखैत छथि। गामसँ मतलब गामक जीवनसँ अछि।गाममे होइत परिवर्तनसँ अछि।आब-सुख- सुविधाक मादे गाम आ शहरमे बेसी अन्तर नै छैक।मुदा गाम जेना हेरा रहल अछि।खेती उसरि रहल अछि।लोककें जेना अपना भूमि अपन सम्बन्ध-बन्धसँ जेना लगाव समाप्त भेल जा रहल छैक। से कोनो एक गामक कथा नहि भारतक प्रायः -गामक कथा छी।मिथिलामे पलायन बहुत बेसी छैक तें एतय गामक समस्या आर भयावह देखाइत अछि। से
श्रीनिवासजी अपन लेखनमे सेहो लकधक पचास बर्खसँ गाममे भ' रहल परिवर्तनकें देखि रहल छथि,अकानि रहल छथि।गाम बँचल रहय सेहो पूरा परिचितिक संग से लेखकक मोनमे ताहि बातक शुभेच्छा हरदम घुरिआइत रहैत छनि।आओर ओ कथा लेखनमे जखन-तखन प्रकट होइत रहैत अछि।
एहि कोरोनाकालमे जखन घरबन्दी भेलै तँ गमैया लोकसब शहरसँ पराय लागल।पराहि लागि गेलै।लोक कोनो धरानी अपन गाम पहुँच जाय चाहैत छल। कथा 'निज देश' मे एहि कोरोनाकालमे जे पराहि लागि गेलै से कोना एकटा बेदरा अपना गाम जेबा लेल आकुल अछि। रेल बस सभ बन्द अछि तैयो स्टेशनपर गाम जेबा लेल लोकक करमान लागल अछि।लोक अपन घर घुर' चाहैत अछि,एकटा आशा आओर उमेदक संग। अपन डीह डाबर बजा रहल छैक ।कहबाक अर्थ ई जे भले लोक रोजी रोजगार लेल शहर चलि गेल,मुदा बहुतो लोकक आत्मा एखनो गाममे बसैत छैक।जँ गामकें फेरसँ अपना पैरपर ठाढ़ करबाक ओरिओन हुए तँ कियै जैत लोक बाहर।एहि संग्रहमे एकटा कथा अछि 'शुभ इच्छा'।हीरानाथ ओ सुधीर मिलिक' गामकें फेरसँ बसेबाक जोगार करैत छथि।ओहिना जेना अशोक जीक कथा डैडी गामक डाक्टर अमेरिकासँ आबि गामकें फेरसँ आबाद करबाक लेल,गामक विकासक लेल फेरसँ काज करय लगलाह।' कथाकारक आत्मा गाममे बसैत छनि।गाममे भ' रहल सामाजिकताक क्षरणसँ व्यथित छथि।गाम आब ओ गाम नै रहल। ताहि चिंतासँ चिंतित छथि लेखक ।उजरैत गामकें कोना बसाओल जाय?से गामकें आबाद करबाक लेल हिनक अनेक पात्र नगरमे सेवा देलाक पछाति गाम घुरि अबैत अछि चाहे ओ'जकर टाङ तकर आम'क लालपरी देवी होथि वा 'जड़ी' कथाक श्रीश ठाकुर से ई सब शहरमे रहैत छथि मुदा गाम हिनका सबकें घिचि अनैत छनि।ओतबे नहि मित्र कथाक प्रयाग यादवक नाति अंशू जे महानगरमे पढ़ैत अछि।अंशूक गामक प्रति जिज्ञासा,ह'र बरद देखबाक सेहन्ता ई संकेत क' रहल अछि जे नबका पीढ़ी सेहो गामकें बिल्कुल समाप्त नहि होब' देबय चाहैत अछि।गाम अछि तँ हमर पहिचान अछि।हमर भाषा,बोली,सांस्कृतिक अवयव सब सुरक्षित अछि। 'मित्र' कथामे रामलखन कामति अंशूकें कहैत छथि-' तोरा गामकें बुझबाक छह त' बुझ' तों प्रयाग यादवक नाति छह त'पूरा गामक नाति छह।बुझलह ने?'

गाम बाँचत कोना? तकरो उत्तर कथाकार अपन कथा सबहक माध्यमसँ दैत छथि।गाम बाँचत काजसँ।काज जोड़ैत अछि लोककें।काज लोककें असगर नै होब' दैत अछि।काज सम्बन्ध मजगूत करैत अछि। से जँ गामकें बसेबाक अछि तँ गामकें चाही आत्मनिर्भता।गामके़ं चाही अपन ओ सब किछु जे पहिनेसँ गाम लग छल।ग्रामवासी कें एक- दोसराक बिना काज नै चलैत छल।सब पेशागत लोक एक दोसरापर निर्भर छल।मुदा आइ सबहक बेगरता बजार शान्त करैत अछि।सृजनसँ ककरो कोनो माने मतलब नै। तखन आत्मीयता कोना बढ़त?सामाजिक सद्भाव कोना बाँचत? एहि सब बातक बहुत फैलसँ आ फरीछसँ पड़ताल करैत छथि लेखक एहि संग्रहक अनेक कथामे। जेना 'जिनगी' कथाक सरस्वती देवीकें देखल जाय।सरस्वती देवीक पुतहु सब ,राग भास सिखबाक लेल हुनका शहर ल' जाय चाहलनि तँ ओ मना क' देलथिन।हुनका सबकें काकी (सरस्वती देवी)त' कम काकीक गुण बेसी आकर्षित केलकनि ओ हुनक संगीतमे बजार ताक' लगलीह।कोनो कमी नै रहनि हुनका सबकें मुदा बजार एकटा चीजे सैह छैक जतय लोक सब चीज बेच रहल अछि। जे नै बेचल जयबाक चाही सेहो सब।कहबाक नै चाही मुदा लोक अपन जबानी ओ सुन्दरता सेहो बेच रहल अछि।जीवन छी आनन्दक एकटा प'ल।से सरस्वती देवी जिनगी कथामे जखन कहैत छथि,'पराती एकटा बात बुझलहुँ।जिनगीमे कतेक सुविधा भेटयै ओ कोनो बात नहि छै।बात छै जे अहाँकें आनन्द कतय आ कोन तरहें भेटए?अहाँ सब हमर चिंता नहि करू।हम एहिठाम आनन्दसँ रहै छी।

'पिरीत'दाम्पत्य जीवनक एकटा खटमधुर कथा अछि।वास्तवमे दाम्पत्य जीवन तँ खटमधुर होइते अछि।दुनू रसक स्वाद जे लिए ओएह भेल असली गृहस्थ जीवन।मधुमती ओ श्रीकान्तक जीवन जेहने सोहनगर छलनि तेहने रसगर।गजब़कें तरलता अछि कथामे।मधुमती जँ कतहुँ चलि जाइत छथि तँ लगैत अछि जेना श्रीकान्त बीमार भ' गेलाह हुनका अबतहि एकाएक ओ स्वस्थ अनुभव करय लगैत छथि।'हँ, एहिना जेना अन्हार घरमे कोनो दीप सन रहथिन हिनका जीवनमे मधुमती।आ तहिना मधुमती हिनका कतहु कनियों दिनक लेल गेलाक बाद एकदमसँ तोड़ल गुलाबक फूल सदृश्य भ' जाइत छलीह,सेहो टहाटही रौदमे राखल फूल सदृश्य।
तहिना संवेदना कथामे कुमुदनाथक रुपक जे वर्णन अछि से अद्भुत अछि-
'हमरा तीनूमे कुमुदनाथ अद्भुत सुदर्शन छल।एकदम कमलक फूल जकाँ रतरत,पानिसँ टटके बहरायल सन। से प्रेम ओ सौन्दर्यक चासनी सेहो यत्र-तत्र छिड़िआयल भेटैत अछि एहि संग्रहक कथा सबमे।पर्यावरणीय सुन्दरताक वर्णन करबामे तँ महारति हासिल छनिहें कथाकारकें।ग्रामीण जीवनक गहेगह पसरल सुन्दरताकें कथानकक माध्यमसँ सटीक प्रस्तुतिक अद्भुत कलाशील्पी छथि कथाकार।
सम्बन्ध-बन्धमे आबि रहल क्षरण,पति-पत्नी के सम्बन्धमे भ' रहल टुटनक बीच कोना बचल अछि संवेदना कथा 'अन्तर' मे कतेक नीकसँ फरिछबैत छथि।पति द्वारा एकटा दोसर स्त्रीकें जे धोखा देल जाइत अछि संगहि सुगिया स्वयं प्रतारित होइत अछि।मुदा एकटा स्त्रीक पीड़ा स्त्रीए बुझि सकयै से सुगिया पतिक द्वारा एकटा दोसर स्त्रीकें देल गेल धोखासँ व्यथित होइत अछि आओर अपन पुत्र सूर्यनारायणक विरोधक बाबजूदो सतौत अरुणकें अपनबैत अछि। तहिना 'अखंड दीप' कथामे सेहो पाखीक संग धोखा होइत छैक।मुदा पाखी होस करैत अछि अपना मायक देखभाल करैत अछि।अखंड दीप बेटीक आत्मनिर्भर्ताक कथा अछि।उत्तरदायित्वक कथा अछि।जँ बेटा अपन माय-बापक भार नहि उठायत तँ की बेटियो छैड़ि दैतै बूढ़ ,बीमार माय बापकें।नै, बेटी सब आब साकांक्ष भेल अछि,आत्मविश्वासक संग अपन दायित्वक निर्वहन क' रहल छथि।
एहि तरहें एहि संग्रहक एक सोरहि कथा पढ़लाक बाद अहाँ एकैसम शताब्दीक मैथिली कथाक विकासकें अकानि सकैत छी।मिथिलाक समाज कोन नीक -बेजाय स्थितिसँ गुजरि रहल अछि से नीकसँ अनुभव क' सकैत छी।कथाकार गाममे रहैत छथि एकर मतलब ई नहि जे ओ नगर-महानगरक घटना-परिघटनासँ अनभिज्ञ छथि।ओ पूरा अद्यतन छथि।चाहे ओ घटना गामक कोनो गलीक हुए वा युरोप ,अमेरिकाक कोनो नगरक।हँ,हिनक ग्रामवाससँ मैथिली साहित्यकें एकटा पैघ लाभ ई भेटि रहल छैक जे आब संसारक प्रायः भाषाक प्रायः लेखक नगर-महानगरमे निवास करैत छथि।मैथिलीयोक बेसी एहने छथि।तखन जे किछु लोक गाममे रहिक' लेखन क' रहल छथि ओ बुझल जाय जे भाषाकें किछु विशिष्ट लाभ भ' रहल छैक।से शिवशंकर श्रीनिवासजीक कथा लेखनसँ मैथिली साहित्य बहुत समृद्ध भ' रहल अछि।हिनक कथा एकटा भरोस दैत अछि जे मैथिली कथा सेहो अन्य भारतीय भाषाक कथाक समक्ष सीना तानि क' ठाढ़ भ' सकयै।
कथा संग्रहः माटि
लेकखःशिवशंकर श्रीनिवास
प्रकाशकःनवारम्भ,मधुबनी
प्रथम संस्करणः२०२१
मूल्यः₹३००/






जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...