अनचोके आयल ई खबरि स्तब्ध क' देलक।ललितेश मिश्र जीक निधनक खबरि सँ मैथिली साहित्य जगतमे शोकक लहरि पसरि गेल।वनगाँव,जिला सहरसाक निवासी ललितेश मिश्र अंग्रेजी साहित्यक विद्वान छलाह ओ बी.एन.मंडल विवविद्यालयक अंग्रेजी विभागक अध्यक्ष पद सँ अंग्रेजीक प्राध्यापकक रूपमे पढ़ौनी करबैत सकुशल सेवानिवृत भेल छलाह।ओ स्थायी रूप सँ अपन गाम वनगाँव मे रहैत छलाह।पुत्र सब नगर-महानगर मे रहैत छथिन से ऐन- गेन लागल रहैत छलनि।सम्प्रति ओ दिल्लीमे छलाह।किछु मास पहिने हुनक एकटा शल्य चिकित्सा भेल छलनि मुदा ओ स्वस्थ छलाह।सप्ताह भरि पहिने हुनकासँ दूरभाषपर गपसप भेल छल।स्वास्थ्य द' पुछलियनि त'ओ कहलनि आब ठीक छी।हालहिमे अपन सद्य:प्रकाशित आलोचनाक पोथी परख पठौने छलाह।पढ़ि क' प्रतिक्रिया पठेबाक रहय तकर अवसर नहि देलनि से शिकायत सब दिन रहत।ललितेश बाबू जेहने नीक साहित्यकार तेहने नीक लोक।हिनक वनगाँव आवासपर डा.शिवशंकर श्रीनिवासजीक संग हम सपरिवार पहुंचल रही।संगमे पत्नी पुष्पा ओ पुत्री मैत्रेयी सेहो छलीह।जहिया फोनपर बात होइत छल ओ मैत्रेयीक बिषयमे अवश्य पुछैत छलाह।हिनक आतिथ्य सत्कार देखि अभिभूत भ' गेल रही।ओ निर्भिक आलोचक,समीक्षक छलाह।जे नीक-खराप लगैत छलनि से ठांहि-पठाहि बजैत छलाह।विशेष क' कविताक समीक्षा ओ पश्चात्य समीक्षाशास्रक अनुसार करैत छलाह। हमर कविता संग्रह 'बनिजाराक देस मे' के विस्तृत समीक्षा क' अपन पोथी रचना रसायनमे स्थान देलनि ।ताहि लेल कृतज्ञता ज्ञापन कयने रहियनि।एखन हुनकासँ मैथिली समीक्षा ,आलोचनाक बहुत काज शेष छल।ओह! बहुत असमय चलि गेलहुँ!
ललितेश मिश्रजी मैथिली साहित्यक यात्रा मिथिला मिहिरमे कथा लेखन सँ भेल रहनि।बाद किछु दिन ठमकल रहनि सेवानिवृत्तिक बाद फेर सँ बहुत सक्रिय छलाह।हिनका दोसर पालीमे सक्रियतामे अनबामे श्री केदार कानन ओ किसुन संकल्प लोकक महत्वपूर्ण योगदान अछि जकरा ओ स्वयं गछैत छलाह।दोसर पालीमे मैथिली कविताक अंग्रेजी अनुवाद'पाइड पोइजी' ताहिमे नब- पुरान दुनू पीढ़ीकें स्थान देने छलथि।हिनक प्रकाशित एकमात्र कथा संग्रह 'बीच वैतरणी मे' पोथीपर हिनका मैथिल समाज,रहिका द्वारा 'किरण पुरस्कार' देल गेल छलनि।अनेक संस्था हिनका सम्मानित कयने छलनि।अपन गाम -समाजमे सेहो एकटा परोपकारी ओ प्रतिष्ठित सामाजिक लोकमे गनल जाइत छलाह।साहित्यिक गोष्ठीमे यदा-कदा भेट भयै जाइय छल। अंतिम भेट संभवत:अप्रैलमे सुपौलमे केदार कानन जी सुपुत्री ऋजिस्वा ओ कवि विकास वत्सनाभक विवाहमे भेल छल। बहुतरास संस्मरण अछि।कोनो पोथी छपैत छलनि सभसँ पहिने फोन करैत छलाह।प्रतिक्रिया पुछैत छलाह।बहुत अह्लादित होइत छलहुँ।
निरंतर चितनशील एहन साहित्य मनीषीक जायब निश्चिते मैथिली साहित्यक लेल अपूरणीय क्षति अछि। आलोचनामे हुनक स्वतंत्र दृष्टिबोध छलनि।ककरो किछु कहलापर हुनका कोनो असरि नहि होइत छलनि।ओ मैथिली आलोचनाकें एकटा विस्तार देलनि।नब दृष्टिकोण देलनि जाहिपर विद्वान लोकनि बहुत दिन धरि विमर्श करैत रहताह। कोनो शब्द नहि फुरा रहल अछि।एतेक लिखब बहुत जरूरी छल।श्रद्धाक ई शब्द सुमन स्वीकार करू श्रीमान !
ललितेश मिश्रक
जन्म: ०३मार्च १९५०ई. मे वनगाँव,ससरसा मे भेल छलनि।
निधन:३१अगस्त, २०२३,(श्रावणी पूर्णिमा) दिल्लीमे
पुस्तक प्रकाशित-बीच वैतरणी (कथा संग्रह),प्रस्तावना,रचना रसायन,परख (आलोचना),पेइड पोइजी( मैथिली कविताक अंग्रेजी अनुवाद)
संपादन: चांगुर (पत्रिका) कोसी महोत्सव (स्मारिका)सह-रसा एवं सत्यसंघ पंडित बबुआ खाँ आदि।

