Friday, September 20, 2024

राम लोचन ठाकुरक गाम बाबूपालीक स्मरणीय यात्रा

 राम लोचन ठाकुरक गाम बाबूपालीक स्मरणीय यात्रा



जहिया-जहिया  राम लोचन ठाकुरजीक बिषयमे हम किछु लिखय बैसैत छी हमरा मोन पड़ैत अछि प्रसिद्ध साहित्यकार जीवकान्तक ई कथन जे ओ रामलोचन ठाकुरक बिषयमे कतहुँ लिखने छलाह 'राम लोचन ठाकुरक समकालीन मैथिलीक साहित्यकार संगी सभ  कतहुँ ने कतहुँ  कें मठाधीश भ' गेल छथि ओहो चाहितथि तँ आइ मठाधीश भेल रहितथि मुदा एतेक पैघ मैथिलीक सेनानी नहि भेल रहितथि जतेकटा एखन छथि। रामलोचन ठाकुर मैथिली भाषा -साहित्यक लेल काज करैवला विरल साहित्यकार छलाह।एकठाम राम लोचनजी लिखने छथि-लिख' बैसैत छी गंगावतरणक कथा लिखा जाइत अछि कोसी प्रांगणक व्यथा।' 

रामलोचन ठाकुर आइ नहि छथि।आइ हुनक मुइना एक बर्ष भ' गेलनि।तारीख अछि १३अप्रैल २०२२ ई.। मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष चन्द्र यादव,डा.शिवशंकर श्रीनिवास आओर केदार काननक संग हम विदा भेल छी राम लोचन ठाकुरक गाम पाली।पाली गाम मधुबनी जिलाक खजौली प्रखंड अन्तर्गत पड़ैत अछि।मधुबनी जिला मुख्यालय सँ पन्द्रह किलोमीटर ठीक उत्तर अछि पाली।राम लोचन ठाकुरक मानब रहनि जे वर्ण रत्नाकरक लेखक ज्योतिरीश्वरक जन्म एतहि भेल रहनि।



मधुबनीक गौशाला चौकपर गाड़ीमे बैसैत छी। आदरणीय अग्रज साहित्यकार लोकनिक सान्निध्यसँ  मोन गदगद  भ' गेल अछि।रामलोचन ठाकुरक चर्च आरंभ भ' जाइत छनि।केना ने होइन रामलोचन ठाकुरक अत्यन्त प्रिय साहित्यिक मित्र सुभाष चन्द्र यादव आओर डा.शिवशंकर श्रीनिवासक ल'ग अनेक संस्मरण छनि रामलोचनजीक  प्रसंग।

जखने गाड़ीमे बैसलहुँ सुभाष भाइकें प्रणाम केलियनि ओ हालचाल बिल्कुल साहित्यिक शैलीमे पुछि बैसलाह--

ऐं हौ दिलीप! पार्थ के बिआह तँ करौलहक मुदा  संतोषक बिआह कियै ने करौलहक?हम बुझि गेलहुँ जे सुभाष भाइ हमर टटका प्रकाशित उपन्यास 'सिराउर' पढ़ि लेलनि अछि।तकरे समीक्षा अछि ई  सुभाष भाइक शैलीमे।सुभाष भाइ उपन्यासपर आर किछु-किछु कहलनि।ओनाहियो सुभाष भाइ अपने माजल कथाकार ओ उपन्यासकार छथि बजितो दिने तका क' छथि।माने एकदम कम,नापल-तौलल, जतबे जरूरी ततबैक बजताह। आदरणीय केदार कानन ल'ग सेहो रामलोचनजीक प्रसंग  अनेक संस्मरण छनि से रामलोचनजीपर गपसप होब' लागल।बीचमे हुनक पार्किंसन बेमारी आओर घर सँ जे बौर गेलाह ताहि प्रसंग मर्मान्त पीड़ा!क चर्चासँ  थोड़ेक कालक लेल चुप्पी पसरि गेल‌।हुनक दुखद मृत्युक पछताबा समस्त मैथिली साहित्यिक संसारकें सीदित करैत रहैत छैक। बहुत दिन धरि सीदित करैत रहतै‌।जखन - जखन मैथिली आन्दोलन पर चर्चा हैत रामलोचन ठाकुर मोन  पड़ैत रहताह। 



आजुक यात्राक सूत्रधार सुभाष भाइ छलाह।ओना  रामलोचनजीक बर्षी मे पाली  जेबाक हमय नेयार पहिने सँ छल ताहि प्रसंग श्री नबोनारायण मिश्र(कुसमौल)सँ बातचीत भेल छल।मुदा हिनका लोकनिक अयबाक समाद पाबि हम बहुत प्रफुल्लित भेल रही।रस्तामे रामलोचन ठाकुरक जीवन संघर्षपर बहुतरास गप भेल। कोना गामसँ आगाँक पढ़ाइक करबाक लेल  कोलकाता  गेलाह आओर अपन पितियौत सुकदेव ठाकुरक संरक्षणमे पढ़य लगलाह। लगले फेर ओ कोना कोलकाता विश्वविद्यालयमे मैथिली बिषय पढबाक लेल संघर्ष कयलनि तकर कहानी सभ।सुभाष भाइ अपन कोलकाता प्रवास मे सुकान्त सोम ओ रामलोचनजीक प्रसंग कैकटा रोचक बात सभ कहलनि।हम सबटा सुनि रहल छलहुँ।मोन लागि रहल छल। कोना रामलोचन ठाकुर मैथिली रंगमंच सँ जुटि गेलाह  फेर मैथिली नाटकमे अभिनयक खिस्सा सभ।  रामलोचन ठाकुरक मादे अनेकानेक बिषयपर चर्च चलैत रहल। एतबेमे बेल्हवार,शीवीपट्टी ,दोस्तपुर,करमौली गाम टपैत पहुँच गेलहुँ पाली। रामलोचन ठाकुरक गाम।ऐतिहासिक ज्योतिरीश्वर ठाकुरक गाम।एहिसँ पहिने हम दू बेर गेल रही बाबूपाली।दुनू बेर रामलोचन जीसँ भेट करबाक लेल गेल रही।आइ पहिलबेर जा रहल छी जहियाओ स्वयं नहि छथि। उपस्थित छनि हुनक साहित्यकार।हुनक साहित्यिक कृति।मातृभाषाक मादे हुनक संघर्षक इतिहास।कृति कहियो मरैत नहि छैक तें रामलोचन ठाकुर मुइल नहि छथि! ओ जीबैत छथि।हुनका घरपर पहुँचैत छी।छोटसन दरबज्जा,अँगनामे  दू कोठरीक बिनु प्लास्टर कयल पजेबाक घर।ज्येष्ठ पुत्र पिताक  एकोदिष्टक कर्म करैत छथि।स्वागत लेल ठाढ़ि छथिन हुनक पत्नी सहृदया,आदरणीया श्रीमती सीता ठाकुर। हुनक पुत्र सभ आओर पौत्र आलोक।ओना तँ सभकें देखि क'अतिव प्रसन्न भेलीह सीता ठाकुर' मुदा सुभाष भाइक आगमनसँ सीता ठाकुरक अह्लादक कोनो सीमा नहि रहनि। ओ स्मृतिमे हेरा गेलीह।कंठ अवरूद्ध भ' गेलनि।साहित्यकार लोकनिकें देखैते देरी रामलोचन ठाकुरक जे अवसाद रहनि से लगलनि जेना क्षणहिमे मेटा गेल होइन।हमसभ पहुँचलहुँ लगले कोलकाता प्रवासी दूगोट आओर साहित्यकार सेहो पहुँच गेलाह सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक आओर साहित्यकार श्री योगेन्द्र पाठक वियोगी आओर श्री विजय कुमार इस्सर।योगेन्द्र पाठक वियोगीजी रामलोचनजीकें बहुत प्रिय छलखिन। जहाँ धरि जनतब अछि वियोगीजी आओर केदारनाथ चौधरीजीकें  मैथिली साहित्य लेखन दिश आकर्षित करबामे रामलोचन ठाकुरक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका छलनि‌।एहन कर्मठ व्यक्तित्वक दलानपर एहन नामी साहित्यकार सभक संग बैसि क' विमर्श करब अपना आपमे बहुत महत्वपूर्ण अछि। हमरा लेल तँ विशेष अवसर सौभाग्यक बात। एहि यात्राक मैथिली साहित्यक दृष्टिसँ सेहो बहुत महत्व अछि। बात हुनक अनुवाद कर्मक होबय लागल।हम कहल जे हुनक अनुदित पोथी पद्मानदीक माझी हमरा बड़ पसिन पड़यै ,अनेक बेर हम पढ़ि चुकल छी। ई माणिक वन्द्योपाध्याय लिखित बांग्ला उपन्यास पद्मानदीर माझीक अनुवाद अछि।से एहन विलक्षण अनुवाद जे मूल सँ कनियों कम नहि। एहि क्रममे हमरा नदी संस्कृतिपर तकषि शंकर पिल्लैक मलयालम उपन्यास  'चेम्मिन' मैन पड़ल  जाहि उपन्यासकें मलाहिन नाम सँ मैथिली अनुवाद कयने छथि राम नारायण सिंह।हम डा.शिवशंकर श्रीनिवास पुछलियनि  श्रीमान! मैथिलीमे नदीक कछेर वा नदीक जीवनपर कोन-कोन उपन्यास अछि।तत्काल ओ दूगोट नाम कहलनि साकेतानन्दक सर्वस्वांत आओर धीरेन्द्रक 'ठुमकि बहु कमला'।

राम लोचन ठाकुर एकटा महान अनुवादक छलाह।हुनका बंगला  भाषा पर बहुत पकड़ छलनि।बंगलाक अनेक महत्वपूर्ण उपन्यासक ओ मैथिलीमे अनुवाद कयने छलाह जाहिमे नंदित नरके (हुमायुँ अहमद) कोशी प्राँगणक चिट्ठी(विभूति भूषण मुखोपाध्याय) आदि महत्वपूर्ण अछि‌।डा.  शिवशंकर  श्रीनिवास, केदार कानन,सुभाष चन्द्र यादव,आओर हम दिलीप कुमार झा चारू गोटय पाली सँ घुरतीमे मिथिलाक प्रसिद्ध शक्तिपीठ दु:खहर स्थान गेलहुँ।राजराजेशश्वरी क प्राचीन मंदिर।केदार कानन आओर सुभाष भाई साइत पहिल बेर   डोकहर भगवती स्थान गेल रहथि।शिवशंकर पहिनहुँ ओहि स्थलपर आबि चुकल छलथि।एहि मंदिरमे शिव शक्तिक संयुक्त भव्य प्राचीन प्रतिमा अर्धनारीश्वरक रूपमे विद्यमान छथि।एहि मंदिरक मिथिलाक तंत्र पद्धतिमे बड़ ख्याति अछि।बहुत प्राचीन मंदिर अछि।एहि मंदिरपर लागल एकटा अपठित शीलालेख सेहो अछि। साहित्यकार सभकें दु:खहर(डोकहर) स्थानक शान्ति ओ नीरवता सम्मोहित कयलकनि। हमरा तँ एहि स्थानक नीरवता बहुत आकर्षित करैत रहयै।यदा-कदा जाइत रहैत छी।हम जहिया कहियो मधुबनी सँ अपन गाम उच्छाल जाइत-अबैत रहैत छी किछु क्षण एहि जगह पर बितेबाक इच्छ  रहैत अछि।एहि क्रममे शिवशंकर श्रीनिवास कहलनि जे किछु बर्ष पूर्ब रामलोचन ठाकुर लोहना आयल लहथि।शिवशंकर श्रीनिवसक ओतय रात्रि विश्राम कयलनि। प्रात:काल दुनू गोटे लोहनाक प्राचीन गौड़ीशंकर मंदिर टहल' गेलाह।ओतय कोनो सूचना  हिन्दी मे लिखल देखि रामलोचन ठाकुर क्षोभ व्यक्त कयलनि।मंदिरक प्रबंधन किछु दिन बाद ओतय  बसटा बात मैथिलीमे लिख देलनि।एहि सँ ई स्पष्ट होइत अछि जे समय स्थान देखि क' बाजब बड़ महत्वपूर्ण होइत अछि। मंदिरक परिसरमे मंदिरक गप होइत रहय एहि क्रममे हमरा मोन पड़ि गेल हुनक माटि पानिक गीत‌।राम लोचन ठाकुरकें मिथिलाक जन जीवनमे रचल-बसल मिथिलाक लोक संस्कृतिक अवयव सभ आकर्षित करैत रहैत छलनि।एक दिश परंपरा भंजक छलाह तँ दोसर दिश  अपना देस कोसक संस्कृति सँ आत्मीय लगाओ छलनि।तें मिथिलाक दोग-दोग मे छिड़िआयल लोक कथा सभक संग्रह कयलनि।तहिना माटि पानिक गीत--

'तीर पर अवस्थित पुनि यज्ञ तीर-तीर।

पावन एहि धरतीक तीर्थ गाम-गाम।

स्रष्टा जन पूजक आ पूजित ओ सृष्टि।

माटिक शिव बना पुनि प्रतिष्ठाक प्राण।

महिमा गबैछ जकर उपनिषद पुराण ।

मिथिले मम मातृभूमि तिरहूति ललाम।

फेर हम सभगोटा गाड़ी मे बैसैत छी आओर आबि जाइत छी मधुबनीक जानकी पुस्तक केंद्र पर।ओतय सुभाष भाइ आओर डा.शिवशंकर श्रीनिवास खाइ छथि पान  जयनाथक दोकानक।केदार कानन किन लगलाह मधुबनीक फोका मखान।यात्रा बहुत स्मरणीय,मर्मस्पर्शी तँ रहबे कयल,मनलग्गू सेहो। हमरा लेल बहुत आनन्ददायक क्षण जे एहन विशिष्ट साहित्यकार सभक सान्निध्य प्राप्त भेल।



जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...