Sunday, August 31, 2025

जे.जे. कालोनी: भाग १



इलाका मादीपुर  जे पंजाबी बागसँ सटले छै।रोहतक रोड जे बेस नमगर चौड़गर रोड अछि जे पश्चिमी दिल्लीक  नागलोइ दिस गेलयै‌ आगाँ ओ सड़क  हरियाणाक रोहतक धरि जाइये ।मादीपुर नमहर मोहल्ला अछि,बीस बरख पहिने तँ बहुत असार पसार नहि रहै।जेना अपन सभक बेनीपट्टी बजार अछि एकदम सँ रोडक काते कात तेहनेसन पसरल बजार।जाट गुज्जरक संख्या बेसी,हेबाको चाही दिल्लीक मूलवासी तँ ओएह लोकनि  छथि।

ओहि मादीपुरमे एकटा नमहर झुग्गी रहै।ओहि झुग्गियोमे बेसी स्थानीय अर्थात् दिल्ली -हरियाणाक बेसी लोक रहैत रहथि‌।जाहिमे बेसी अनुसूचित जातिक गरीब लोकसभ झुग्गी बना क' रहैत छल।किछु बिहारी लोकसभ सेहो ओहिमे झुग्गी बना लेने रहय जे मादीपुर एक समयमे दिल्लीक बाहरी इलाका मानल जाइत रहै से रसे-रसे दिल्लीक बीचोबीच आबि गेल।आब मादीपुरक जमीनक महत्व बढ़ि गेलै।बिल्डर सभ बड़का-बड़का बहुमंजिला भवन बनाब' लगलै।शौपिंग मौल सभ खुज' लगलै मुदा तीन सितारा  कालोनीक बीचमे ई झुग्गी सब बहुत असभ्य जकाँ  लगै से संभ्रांत लोकसभ एमहर फ्लैट लेबाक लेल नहि तैयार होइ।फेर बिल्डर सब सरकार पर दबाब बनेलक। मुख्यमंत्रीक बेटाकें पकड़लक जे एहि झुग्गी सभकें हटबा दियौ।  एक दिन सरकार घोषणा केलकै जे मादीपुरक झुग्गी सभकें हटा देल जेतै।ई सरकारी जमीन अछि झुग्गीवला  सभ जमीन खाली करय।मुदा गरीब लोक सभ जाइत कतय? कियो खाली नहि केलक।फेर सरकार सभकें लिखित आश्वासन देलकै जे सब एखन एहि झुग्गीमे रहि रहल अछि सरकार सभकें दू कोठरीक घर बनाक' देतै।सबटा झुग्गी टुटि गेलै।सरकार अपन आश्वासनक अनुकूल सभकें एकटा क' घर बना क' द' देलकै।शेष जमीन लिजपर बिल्डरसभ ल' लेलक।ओहिमे बहुमंजिला भवन  बनि गेल।ओहि झुग्गी बस्तीक नाम आब  जे.जे.कालोनी मादीपुर पड़ि गेलै।ओहि जे.जे कालोनीक एकटा कोठरीमे रहैत रहथि कमिथिलासँ पलायन क'क' गेल  सातटा बैचलर नौजवान।ओ मकान एकटा धोबीक रहै।धोबीकें सरकार दिससँ दू कोठरीक घर देल गेल रहै।नीचाँ कोठरीमे अपन परिवार संग रहैत रहय।उपरका भाड़ा पर लगा लेलक।नीचाँमे अपन घरक आगाँमे एकटा चौकी लगाक' एकटा आयरन प्रेस करबाक दोकान सेहो चलब' लागल।एहि जे.जे.कालोनीक प्राय:सभ मकानक बनाबट आओर बसाबट एहने रहै।सभ नीचाँक कोठरीमे अपने रहय आओर उपरका भाड़ापर द' देने रहै।प्राय:मकानमे बिहारी दिहारीवला मजदूर सभ रहैत रहय। मिथिलामे चिन्नीक मिल सभ बन्न भ' गेल रहै।  

पण्डौलक सूता मिल,समस्तीपुरक अशोक पेपर मिल सेहो बन्न। बात अस्सी आओर नब्बेक दशकक अछि।बिहारक कालेजसँ पढ़ाइक वातावरण समाप्त भ' गेल रहै।तीन बर्षक स्नातक करैमे सात-आठ बर्ष धरि लागि जाइत रहै।बिहारक नवयुवक सभ  किंकर्तव्यविमूढ़ भ' गेल रहय।एक तँ खेतक जोतक छोट आकार दोसर दाही -रौदीक मारि।नोकरीक खोजमे नौजवान सभ जतय-ततय बौआइत टौआइत रहय।किछु नौवजान जे गामपर रहय से त्रिकाल विजया द'क' भरि दिन तास फेटयमे मस्त रहय लागल।भांग आ पान तँ हेबे करय जँ कतहुँ जोगार लागि जाय तँ किछु मधुरो भ' जाइ‌।एहन सन वातावरणमे मिथिलाक नौजवान सभक लेल एकटा नब ठेकाना उभरि क' जे शहर आयल ओ छल दिल्ली।दिल्लीकें मिथिलामे दिलवाला शहर कहल जाइत छैक।जाहि दिल्लीकें कुतुबुद्दिन एबक 'दिल्ली दूर अस्त'कहने रहै।से दिल्ली आब मिथिलिवला लोकसभक लेल पैर त'र भ' गेलै।सबहक कोनो ने कोनो सम्बन्धी ओहि दिल्ली महानगरमे रहिते रहै।ताहि दिल्ली लेल विदहा भेल रहथि कालिकापुर गामक मनोहर आओर देबू ।दुनू बचपनक मीत रहथि।समस्तीपुर सँ वैशाली एक्सप्रेस पकड़ि  दुनू दिल्ली पहुँचल रहथि।नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरि दुनू गोटे पुछारि करैत नागलोइ जायबला  डी .टी. सी क बस पकड़ि पहुँच गेल रहथि  जे.जे.कालोनी मादीपुर।ओहि जे.जे.कालोनी मे रहैत रहथिन हिनकर गौंवासभ।सभ दिहारीपर मजूरी करैवला।माने कोनो स्थायी नोकरी नहि रोज कमाउ रोज खाऊ।ओ लोकनि साधारणे पढ़ल -लिखल मुदा मनोहर आओर देबू तँ बी. ए पास रहथि। से जखन गौंवा सभक डेरापर पहुँचल रहथि तँ ओ लोकनि हिनका सभक स्वागत केलखिन आओर पन्द्रह दिन धरि संगमे रहबाक संगहिअपन संयुक्त मेसमे भोजन करबाक अनुमति सेहो द' देलखिन।एकटा अनजान महानगरमे ई बड़ पैघ बात भेलैक।

मनोहरक पड़ोसिया रहथि पुकारे झा से कहलखिन ," देखू मनोहर अहाँ सभ पढ़ल लिखल छी।एहि कोठरीमे रहैमे बहुत दिक्कत हैत।हमसब छ:गोटा पहिनहि सँ छी।जँ एहि दिक्कत-सिक्कत मे गुंजाइस करब तँ हमरा सभकें कोनो आपत्ति नहि।शौचालय  समगर्दा छै भोरे सँ लाइनमे लाग' पड़त।पन्द्रह दिन धरिक किरेया अहाँलोकनिसँ नहि लेल जायत जँ ओहि सँ बेसी दिन रहब तँ भाड़ा लागत।।"

मनोहर पुकारे झा कें जबाव दैत कहलखिन," भैया !अहाँ तँ जनिते छी पहिलबेर दिल्ली आयल छी।दोसर ककरा लग जायब।अपन आर जे किछु ग्रामीण सभ रहैत छथि वा कुटुमवर्गादि से सभ भी आइ पी इलाकामे परिवारक संग रहैत छथि।ओतय हमरा सभक  गुंजाइस नहि हैत तें अहीं लग हम दुनू गोटा एलहुँ।आब तँ आबि गेल छी।कोनो छोटोमोटो नोकरी भेटि जाय बस। हमसब एखन एतहि  रहब।आगाँ देखल जेतै।

पुकारे झा कहलनि,'मनोहर!तखन अटैची राखू आओर हाथ-पैर धो लिअ।जे किछु बनल अछि से खा लिअ।हमसब गोटा काजपर निकलैवला छी।हमसब सांझूपहर घुरब।अहाँसभ रेलक झमारल छी।आइ आराम करू। 

मनोहर- बेस भैया !

'जाउ अहाँ सब।'

'सांझूपहर भेटब  तँ बातचीत करब।'

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...