कमला नदी मिथिलाक हृदय छथि,प्राण छथि । अदौसँ मिथिलाक समृद्धिक प्रतीक रहलीह
कमला । से कमला आब आसीने मास सुखा जाइत छथि।बान्ह छेकसँ कमलाक मोन मौलायल छनि। कमला नदीक एहन दुःस्थितिकें देखैत हमर मोन कतेको बर्षसँ कूही होइत रहैत अछि।एकर कारण अछि,जे हम नेनपनेसँ कमलाक स्पर्श ओ अनुभूतिसँ आप्लावित होइत रहलहुँ अछि।जाहि दिन कमला नदीपर बान्ह नै बनल रहय ताहि दिनक कमला नदीमे अबैत बाढ़िक अनेक खिस्सा (घटना)अपना नानीक मुँहे सुनने छी।नानीक संगे हम कातिक पूर्णिमा,चैतवारिणी,जेठक दशहारामे कमलामे डुबकी लगौने छी।नेनपनमे देखल ई दृश्य सब कहियो बिसरल नहि जा सकैत अछि। कमलामे अबैत अबारमे हरियरका मारा,चानी सन सुहा आ गीलटसन छही माछ जे मलाहिन सभ पथियाक पथिया ल' क' गामेगाम बुलि-बुलि बेचैत छली,मलाह सभ भरि -भरि दिन कमलाक कलकल पानिमे माछ मारैत रहैत छलाह,से सबटा दृश्य एखनो आँखिक सोझाँ नचैत रहैत अछि। बाढ़िसँ थोड़- बहुत नोकसानक खिस्सा सेहो हम अपना नानीसँ सुनने छी।ओ कहथि एकबेर आयल रहै बुढ़िया बाढ़ि जाहिमे बड़ नोकसान भेल रहय। बिनु कोनो अंदेशाकें सुतलि रातिमे मे आबि गेल रहै बाढ़ि।जकरा एखनो कमला कछेरक लोक बुढ़िया बाढ़ि कहैत छैक। घर -आँगन जलप्लावित भ' गेल रहै।मुदा ककरो जानक नोकसान नै भेल रहै।माल आ मनुक्ख सब सुरक्षित रहय।कने मने फसिलक नोकसान भेलै।बाढ़िक पानि आँगनसँ चौबीस घंटाक भीतरे बाध दिश बढ़ि गेल रहै।बाध ओहि साल मोन सम्पय उपजल रहय।तेहने धानक फसिल आ तेहने रब्बी।से जहियासँ कमाला नदीपर बान्ह बान्हल गेल आब ओहेन बाढ़ि नै अबैत अछि।अबैत अछि तँ बान्ह तोड़ि क' जल प्रलय।आब बरिसकालमे मात्र मास दू मास कमलामे पानि रहैत अछि शेष मासमे तँ नहाइयो लेल भरि छाती पानि नहिरहैत अछि।कमलाक एहन हृदयवेधक दृश्य सभ हम स्वयं अपन पचास बर्ष उमेर बितैत-बितैत देखि रहल छी,से एक दिन हमर कवि हृदयमे एहि दृश्यकें एकटा कवितामे समेटबाक प्रयास केलक।पहिने देखल जाय ई कविता फेर हम आगाँ बढ़ैत छी |
एना नै रूसु हे कमलमुखी कमला
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हमरा देस -कोसक नायिका छथि कमला
जे पहिने कमलमुखी छलि
कलशल रहैत छलि
हलसल चलैत छलि
से कमला कातिके मास सुखायल छथि
मुखमंडल मौलायल छनि
जलहि आसन
जलहि बासन
जलधिसँ करै छथि सिंगार
विलटलकें बसाबथि कमला
सभकें मनमे आश जगाबथि विमला
से कमला कियै छथि रूसल ?
बान्ह छेकसँ अकसक भेली
मोन भेलनि जबदाह
खोलि दएह मोर बान्ह छान हो भैया
भरि मोन गाबय दएह कलकल निर्मल गीत
जेना -जेना भूमि भेल उस्सर
तेना- तेना होइत गेलहुँ हमहुँ निसोख
कतय गेलह दूलरा मोर भैया?
बनाबह फेरसँ नबका काठक नाह
ओहि चढ़ि हम झिलझरि खेलब
जायब देश- परदेश
मुंगा लायब,मोती लायब
नाह भरि लायब माछ
नबका जाल लय चलह हौ दुलरा
दुलरी लेल लबिह' नबका पटोर
कमला अऔती
कलकल बहती
उपजत खेत पथार
बढ़य लागत बनिज -व्यापार
मर्म कें बुझ' हो भैया
हमहीं छी सुखक श्रृंगार हे बिहिनी
हमहीं विपतिक आधार
डम्फाक थापपर नचै छथि भगत -भगतिनी
सभ मिलि गाबथि मनोहर कमला गीत
हम नहि जानी गंग -जमुन कें जलधार हे मैया
एक अहींपर आस लेगलहुँ
अहीं लगेबै बेड़ापार
अहीं कृपासँ अँगना फूल फूलेतै
ओहि फूलसँ डाली सजायब
करब विधि विधानसँ पूजा
हृदय बीच अहींक मुरूत बैसेबै
गाड़बै अहींक नामकें धूजा
एना नै रुसू हे कमलमुखी कमला
नैहर बिलटल जाय।
'कमला' मिथिलाक एकटा महत्वपूर्ण नदी छथि जे नेपालमे हिमालयक महाभारत पर्वत श्रृंखलासँ निकसि सिन्धुली गढ़ीमे नदीक रूप धारण करैत छथि।कमलाक लंबाइ सहरजमीनपर 328 किमी अछि।कमला एतुका लोकक जीवनधारा रहल अछि से जँ एहिना सुखाइत रहत तँ ओ दिन दूर नहि जे कमला विलोपित भ'जेतीह। कमलाक विलोपन निश्चितरूपसँ हमरा सबहक लेल चिंताक खबरि अछि। पूर्बमे कमला बहुत गहींर नदी छली पहाड़ सँ ल'क' गंगाक धार धरि तेहने चौरगर।उपन्यासकार ब्रज किशोर वर्मा'मणिपद्म'अपन उपन्यास "दुलरा दयाल'मे कमला नदीक बिषयमे लिखैत छथि 'कमलाक दुनू तटपर सात-सात कोस धरि नमछुरूक बसल एकछाहा मलाह लोकनिक गाम छल।से एखनो ओ गाम सब अछिये।एहिठामक मलाह सब सागरगामी नौका चालन करैवला प्रख्यात सार्थवाह सभ छलाह।हिनका सबहिक बाघ साँप गोहि घरियाल,बिहारी-ज्वारि,चोरि- डकैत आ भूत -पिसाच सब सँ दुरधर्ष संघर्ष करयवला गाथा सब घर-घर मे सुनल जा सकैत अछि।एतुका मलाह सब बड़ कलाप्रिय लोक सब।नृत्य गीत वाद्य यंत्र बजबै मे पारंगत।हिनक सबहिक नृत्य मे कमला 'भाओ' समन्वित कमला नृत्य बड़ प्रसिद्ध।"
मणिपद्य आगाँ ईहो लिखैत छथि जे एतुका नाविक सब जावा द्वीप, स्वर्ण द्वीप, सुमात्रा द्वीप धरि नाह सँ बनिज व्यापार करैत छलाह व्यापारिक नाह सबहक बेड़ाक सकुशल वापसीपर नाविक सब कमलाकें अपन चढ़ौआ चढ़ेबाक लेल धरौरा गामक कमलमण्डप मे जुटैत छलाह। ओतय आसीन मासक पूर्णिमा क' बहुत पैघ उत्सवक आयोजन कयल जाइत छल।
मणिपद्यजी कमलाक गाथाक परिप्रेक्ष्ययमे पहाड़सँ समतल मैदान धरि गहींर अनुसंधान कयने रहथि। से हिनक कथनके बहुत हदधरि प्रामाणिक मानल जायत।
मिथिलाक लोककें कमला नदीक प्रति अत्यन्त गहींर आस्था ओ श्रद्धा रहलनि अछि तकर कारण स्पष्ट अछि कमला जीवनदायिनी छथि एहि भूमिक।एतुका हाजरों गाम कमलाक कछेरमे बसल अछि।एतुका भूमिक उर्वरता कमलाक प्रतापें अछि।पहिने कमला निरन्तर अपन धारा बदलैत रहलीह अछि। कमला आ कोशी दूटा एहन नदी अछि जाहिसँ कोनो ने कोन रूपमे मिथिलाक अधिसंख्य गाम प्रभावित रहल अछि।जहिना कोशी प्रलयक लेल जानल जाइत छथि ठीक ओकर उनटा कमला सुख-समृद्धिक प्रतीक रहलीह।कमला कछेरक लोक कहियो उपटल नै, विलटल नै,से कमला छथि रूसल। ओना मिथिलाक समृद्धि मे कमला,कोशीक अतिरिक्त धेमुरा, खरिदहा, तिलयुगा, बलान, पतालिया, परूबाने, सोलहा, बागमती,अधबारा आदि अनेको छोट-पैघ नदीक योगदान छैक।एहि नदी सबहक तटवर्ती हेबाक कारणें मिथिला कहियो तीरहूत(तीरभुक्ति) कहबैत छल।
मिथिलामे एकटा जनश्रुति छैक जे छखन सीताजीक दुरागमन होइत रहनि तँ महफा रोकिक' स्त्रीगण लोकनि कहै छथिन 'हे सीतादाई कने ई जल पीबि लिअ।अयोध्यामे एहन अमृतसन जल नहि भेटत।'
सीता दाई महफाक ओहारकें हटाकय दू घोंट जल पिबैत छथि।कमल -नयन सँ साओन भादो झहरि रहल छनि। हिचुकैत स्वर मे सीता कहैत छथि--
' हम अपना नहिराक भूमिपर सदति कमलाक रूप मे लोटाइत रहब।सतत् एहि भूमिके़ हरित- भरित ओ सुजला सुफला बनौने रहब।' से लागि रहलए सीताक वरदान लुप्त तँ ने भ' जायत।कमला विलुप्त तँ ने भ' जेती।सकल मिथिला समाजक लेल ई बहुत चिंतनीय खबरि अछि।
संसारक कोनो भूभागक लेल एहि सँ बेसी त्रासद गप की भ' सकैछ जे एकहि भूभागपर किछु लोक पानिक लेल तड़पि रहल अछि,किछु लोक अवांछित पानि सँ जान गमा रहल अछि। एक दिस पानिक अभावमे खेतीक काज ठमकल अछि।दोसर दिस पानि सँ आबाद खेती बोहिया गेल ,जीवन अस्त व्यस्त भ' जाइत अछि। प्रश्न अछि की मिथिलाक लोक प्रकृतिक अभिशाप बुझि सभदिनाक लेल ई दुख भोगैत रहत? की एकर कोनो उपायो भ' सकैत छैक? पछिला दस बर्खक मिथिला क्षेत्रमे बर्खाक रेकार्ड देखब त' बुझबामे आबि जायत जे एहि क्षेत्रमे प्रति बर्ख औसत सँ कम बर्खा भ' रहल छैक ,जकर भयावह परिणाम पछिला कैक बेरसँ देखबामे आबि रहल अछि,जे पेय जलक स्रोतसभ सुखाय लागल,मधुबनी एहन छोट शहरमे टैंकर सँ पानिक आपूर्तिक अक्षैतो कतेको लोक केँ घर छोड़ि पलायन करय पड़लैक।पछिला दस बर्ख सँ एतुका मुख्य फसिल धानक उपज औसत सँ दिन-दिन कम भ' रहल छैक। ई जानि थोड़ेक विस्मय हैत जे संसारक सभसँ पैघ जनघनत्वबला भूभागपर वास करैबला लोक छी हमरा लोकनि।लगभग पचास प्रतिशत आबादी मिथिला सँ मात्र अन्नक लेल पलायन क' गेल ! की जँ पानिक एहन भयावह समस्या रहत एकदिस बाढ़ि दोसर दिस अकाल आ पेयजल संकट तँ मिथिलाक जे वर्तमान आबादी से एहि कष्ट के सहन क' सकत! हमरा जनैत नहि। तखन हुए की? हमरा लोकनि प्रति बर्ख एहि क्षद्म बाढ़िक बिभीषिका देखैत रही।अकालक मारि सहैत रही ।
नहि! इएह बेर अछि चिंतन करबाक आ एहि समग्र बिषयपर एकटा जनान्दोलन ठाढ़ करबाक।
आब प्रश्न अछि एहि सभ बिषयपर सोचबाक पलखति ककरा छैक? आम लोक नित्तह खाधि खुनैत अछि आ पानि पिबैत अछि। एतुका राजनीतिक लोक चेतना शून्य अछि।सत्तापक्ष अपना सत्ताक मदमे चूड़ अछि। अपन सभटा समय अगिला चुनावमे जातीय गणित फिट करबामे लागल रहैत अछि।विपक्षक सेहो ओएह दृष्टिकोण छैक।वर्तमान समयमे जाहि राजनीतिक चेतनाक लोक मिथिलामे अछि एहिसँ बेसीक उमेद हुनका लोकनि सँ नहि कयल जा सकैछ।ई समस्या मगध आ भोजपुर मे नहि छैक।ई सिर्फ आ सिर्फ मिथिलाक समस्या छैक तें सोचैयो मिथिले के पड़त अपना क्षेत्रक राजनीति सँ इतर छात्र ,नौजवान, पत्रकार शिक्षक,लेखक,कवि,सामाजिक कार्यकर्ता लोकनिक ई दायित्व नहि जे एहि महत्वपूर्ण मुद्दा केँ बहसक केन्द्रमे लाबथि।पानि जे बिनु मतलब बान्ह तोड़ि हमरा सभक जन- जीवन के तबाह क' रहल अछि तकरा अपना सुखायल खेत आ खाली घैलमे भरबाक जोगाड़ लगाबी।की सभदिन आपदा प्रबन्धन विभागक राहत सामग्रीक भरोसे जीवन खेपल जा सकैत अछि।
मिथिलाक लेल जलप्रबन्धन मिथिलाक परिप्रेक्ष्यमे हैत तखने कोनो निदान हैत,तेँ एहि क्षेत्रक जे वि
शिष्ट विषय विशेषज्ञ छथि हुनके हाथमे रहबाक चाही एकर निर्णयक अधिकार।कमला नदीकें विलोपनसँ बचेबाक लेल सबसँ पहिने कमलाक पेटीमे जमल गादिकें साफ करबाओल जेबाक चाही।अनावश्यक जे बान्ह बान्हल गेल अछि ताहिपर फेरसँ विचार कयल जेबाक चाही।बदलैत परिवेशमे विशेषज्ञ लोकनि एहि विचार - विमर्श करथि।मिथिलाक बहुत बेसी आबादी कोनो ने कोनो नदीक कछेरमे वास करैत अछि से जँ नदी सब विलुप्त होइत जाएत तँ की हम सभ बाँचि सकब!
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वाह 👏 अद्भुत.. कमला धार क'बखान 👌👍
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