Sunday, December 28, 2025

कथा कीर्तिनाथक


सम्प्रति बहुत दिनक बाद कथाक कोनो पोथी पूरा पढ़ि जेबाक इच्छा भेल से डा.कीर्तिनाथ झाक कथा संग्रह'कथा कीर्तिनाथक' पूरा पढ़लहुँ।संग्रहमे २० गोट कथा संकलित अछि।एक पांतीमे कहल जाय तँ कथा सब पढ़बामे मनलग्गू अछि। हिनक किछु कथा सम्प्रति मैथिलीमे लिखल जा रहल कथा सभसँ फराक  स्वाद दैत अछि कारण अछि हिनक सैनिक पृष्ठभूमिमे रचब-बसब तथा हिनक घुमक्करी जीवनवृत्ति।जाबे धरि अहाँ संसारकें लगसँ नहि देखबैक संसार भरिमे पसरल मानव समुदायक जीवन संघर्षक अनुभव नहि करबैक साहित्यमे प्राणतत्व भेटब मोसकिल।एहिसँ पूर्ब हिनक यात्रा संस्मरणक पोथी 'लोहना रोडसँ लासबेगस' पढ़बाक अवसर भेटल छल। अपनहुँ हम यात्रा पसिन लोक छी से हिनक संस्मरणात्मक  पोथी  रोचक लागल छल।हमरा ई ज्ञात नहि छल जे पहिनहुँ हिनक एकगोट कथाक पोथी प्रकाशित भेल अछि।एहि पोथीसँ सूचना भेटल जे 2005 ई.मे हिनक पहिल कथा संग्रह 'किछु पुरान गप,किछु नव गप' प्रकाशित भेल छनि। अर्थात ई हिनक कथा संग्रहक दोसर पोथी भेलनि।एहि कथा संग्रहकें पढ़लाक बाद ओहो कथा संग्रह पढ़बाक इच्छा भेल अछि।



संग्रहक पहिल कथा'अब्बास अली बताह छथि? संवेदना कें छुबैत अछि।अनंतकालसँ देशक सीमा-सरहदक लेल होइत झगड़ा-झंझटमे  सीमा परहक गाम -शहरक लोकक जीवनक बहुत मार्मिक चित्र कथाक माध्यमसँ सोझा आयल अछि। आमजनक कोन कथा युद्धमे लड़ैवला सैनिकक की दुर्दशा होइत अछि से कथा बहुत फरीछसँ अपन बात कहैत अछि।जहाँ धरि कथाक शील्पक बात कही तँ आरंभ तँ लागल जे हिनक कोनो संस्मरण पढ़ि रहल छी मुदा जेना-जेना कथा आगाँ बढ़ैत अछि अब्बास अलीक दशासँ पाठक अवगत होइत अछि, लोक संवेदनाकें मजगूतीसँ स्पर्श करैत अछि कथा।दू गोट महत्वपूर्ण युद्ध लड़ैवला जाहिमे एकटा विश्वयुद्ध सेहो एकटा सैनिक कें अपन पेंसनक लेल आजीवन संघर्ष कर'पड़ैत छैक।अंतमे अपन पेंसन बुककें जुमा क'सयोक नदीक तेज धारमे फेकि दैत छथि।एकटा अद्भुत् कथा अछि ।एहन कथा कियो सैनिके लिखि सकैत अछि।कथाक संग पूरा न्याय केलनि अछि लेखक।



संग्रहमे एकटा कथा अछि समाङ।समाङ कथाकें दू ढंग सँ देखल जा सकैत अछि पहिल ई स्मृतिक कथा थिक।एखन भारतमे बहुतो भाषामे नास्टेलाजिक कथा सब लिखल जा रहल अछि मुद एहि कथाकें गाछक प्रति प्रेम ओ पर्यावरणक प्रति चिंताक कथा सेहो कहल जा सकैत छथि।कथाक पात्र दुखमोचन स्मृतिमे बसल नेनपनक ओ  सबटा  बात साझी करैत छथि।सिनुरिया आमक गाछक स्थानपर खाधि देखि दुखमोचन विस्मित होइत छथि! ई तँ नियति छै।मनुक्खो मड़ैत छैक,गाछो सुखाइत छैक मुदा चिंताक बात ई जे आइ तथाकथित विकासक लेल रहरहाँ  काटल जा रहल गाछ बहुत सीदित करैत छैक चाहे वो सड़क बनेबाक  लेल काटल जाय वा नहरि खुनेबाक लेल।एकटा कथा अछि 'गपक भुखलि'।गामोमे लोक कतेक एकाकी भय गेल अछि।गामोक लोकक  जीवन सेहो आब मोबाइलमे ओझरा गेल छैक।कथामे एकटा संवाद छैक,"बाबी की कहु ,आब की छोटका,आ की बड़का सबहक घरमे चाउर दालिसँ बेसी डाटाक खर्च छै।देखियौ ने टोल पर।"मनुक्ख रहत तँ मनुक्खे लग मुदा आबक जे समाज अछि  ओतय लोक मनुक्खसँ बेसी  निकटता इलेक्ट्रानिक उपकरण लग पबैत अछि।चिंता स्वाभाविक अछि।

संग्रहक अनेक कथामे  वर्तमान मिथिलाक दशा -दुर्दशाक चित्रण तँ अछिये संगहि मिथिलामे जल प्रबंधनक अव्यावहारिक तरीकाकें सेहो चित्रित करबाक कथाकार प्रयास कयलनि अछि।एकटा कथा अछि'बान्हकेँ ढाहि दे'।2008ई.मे कुसहामे जे कोसीक बान्ह  टुटलै ताहि विभिषिकाक जीवंत ओ मार्मिक चित्रण कयलनि अछि लेखक।कोसीक बान्ह वास्तवमे बहुत अवैज्ञानिक तरीकासँ बनाओल गेल अछि,ताहुपर बान्हक उचित देखभाल नहि भ' रहल अछि।यदि समय रहैत सरकार ध्यान नहि देथिन तँ कुसहा एहन त्रासदी फेर भ' सकयै।कथाक पात्र पञ्चमणि जे बान्हक निर्माणमे सहयोगी छलाह से कुसहाक त्रासदीसँ विक्षिप्त भ'गेलाह आओर बजैत रहैत छथि'ढाहि दे बान्हकेँ,ढाहि दे! ई बान्हे सब फसादक जड़ि छी!!

एकटा सुन्दर कथा अछि ' गंगा कातसँ सिन्धुक कछेर धरि'।वास्तवमे ई मिथिलासँ पलायनक कथा अछि।ई मात्र कथा नहि  मिथिलाक जन-जनक व्यथा सेहो अछि।बी.ए पास सुर्युकें मजदूरी करबाक लेल लेह-लद्दाख जाय पड़ैत छनि।से सम्प्रति एकटा सुर्यूक कथा नहि मिथिलाक लाखो सुर्यू पेटक खातिर लेह,कारगिल,आसाम ,पंजाब,महाराष्ट्र,गुजरात ,दिल्ली धयने छथि।अथक परिश्रम करैत छथि तथापि यदा-कदा  स्थानीय राजनीतिक कारणें हुनका सबकें अपमानित,प्रताड़ित होबय पड़ैत छनि।कथा सुर्यूक संघर्षक संग लद्दाखी लोकनिक जीवन संघर्ष,धर्म ओ संस्कृतिक  ईर्द- गिर्द घुमैत अंतमे प्रेम कथामे बदलि जाइत अछि।सुर्यू आ लामोक प्रेम कथाकें बहुत रोचक बना दैत अछि।एकटा अत्यन्त सफल कथा अछि।शेफाली,फूरपरासवाली आ हम शीर्षक कथामे लेखक राजकमल चौधरीक कथा सबकें पड़ताल करबाक चेष्टा कयलनि अछि।तहिना एकटा आर कुंती सेहो मार्मिक कथा अछि।

संग्रहक प्राय:सब कथा पठनीय अछि।हमरा जनैत कथा आओर उपन्यासक लेल पठनीयता सभसँ बेसी जरूरी तत्व अछि।पठीनयता तखने होयत जखन ओहिमे कथातत्व विद्यमान रहत।एतय हम संग्रहक किछु आर कथाक उल्लेख करय चाहब।एकटा कथा अछि'अहाँ आउर नहि बुझबै' ई कथा कोरोना महामारीक संकटक समयक चित्रांकण करैत अछि।कोरोना महामारीक भयसँ आक्रांत लोक कोना महानगरसँ गाम दिस पड़ाय लागल। कहानीक अंत बहुत मार्मिक अछि।भारत गामक देश अछि गामक रहैवला ग्रामीण लोकनिक जीवन शैली महानगरीय जीवन शैलीसँ फराक होइत अछि।गाममे एखनो संवेदना बाँचल छैक।गाममे अपनत्वक बोध होइत छैक।शहरमे सब किछु व्यावसायिक छैक।अपन कहबा लेल शहर लग कोनो शब्द  नहि बाँचल छैक।कोनो व्यक्ति जखन कोनो महानगरकें छोड़ि दोसर महानगर जाइत अछि ओकरा कोनो विशेष फर्क नहि बुझाइत छैक।ओहने अपार्टमेंट,ओहने सड़क ,ओहने मौल प्राय:सब किछु एकरंगाहे।मुदा गामक एक-एक वस्तुसँ गामक लोक भावनासँ जुड़ल रहैत अछि तेँ कोरोना संकट एलापर गामक लोक नगरसँ गाम दिश पड़ाइत अछि,जखन कि बिमारीसँ बचाव ओ उपचारक बेसी व्यवस्था नगरमे छैक मुदा नगर गामक लोककें अपनत्वक भरोस दियेबामे असफल रहल तेँ ने एकटा गमैया लोक शहरूआ लोककें कहैत छनि अहाँ आउर नहि बुझबै। 

संग्रहक अंतिम दुनू कथा 'सबतरि  बिहारे छैक'आओर 'चर्चित' हमरा कथासँ बेसी व्यंग्य बुझायल।एहि दुनू कथामे कथातत्व कम मुदा व्यंग्य अधिक छैक।विशेषकय  चर्चित कथामे तँ मैथिली साहित्यमे सम्प्रति जे सेटिंग-गेटिंग के खेल चलि रहल छैक तकर जीवन्त चित्रण केलनि अछि लेखक।

पोथी पढ़बामे हमरा बहुत नीक लागल।एतेक तँ हम नीश्चित रूपसँ कहि सकैत छी जे पाठक लोकनि पढ़तातँ नीक लगतनि।कथाक माध्यमसँ समकालीनताक बोध हेतनि।देश दुनियाँ सँ अद्यतन हेताह।कथा सबहक भाषा-शैली रोचक अछि।आश्चर्यचकित करैवला बात ई जे लेखक अनेक दशकसँ  मिथिलासँ दूर रहै छथि तथापि हिनका लग खाँटी मैथिली शब्दक पर्याप्त भंडार छनि,तकर भहुत सम्यक प्रयोग कथा सबमे केलनि अछि।शब्दक एहन विलक्षणता सँ प्रयोग कथाक सौन्दर्यकें चारि चान लगबैत अछि।बधाइ डा.साहेब

1 comment:

  1. अहाँक समीक्षा हमरा हेतु प्रेरणा थिक। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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कथा कीर्तिनाथक

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