Friday, September 26, 2025

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

 


भाग ४ 

देबु मनोहरसँ पुछलनि-

'मनोहर भाइ! की भेल?'

देबु!अहाँ कहु ने की भेल?


'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये ने देब ।'


'ताहिमे कोनो सक ! से तँ छी मैथिले ने।'


'देबु बजलाह! हमर बात सकारात्मक अछि मनोहर भाइ।सेठ कहलक -ए कल सुबह नौ बजे तुम कोठी पर आ जाओ।कार्ड देलकए


हौजखासमे छैक ओकर कोठी।'


मनोहर देबुसँ  पुरक प्रश्न पुछैत कहै छथि- 'काज की देत?'


मनोहर भाइ!एकाउण्टक काज लेल बजौने छल तँ एकाउण्टेक काज ने देबाक चाही।


'सेठ कहलकए तोरा कम्पुटर खीख'पड़तौ।इहो कहलकए जे हमर आफिसक लोक तोरा कम्पुटर सीखा देतौ।


मनोहर देबुक बात सुनिक'कहलनि जे अहाँक तँ  पक्का बुझू।


अहाँ के की भेल मनोहर भाइ? से तँ कहु


की हैत देबु भाइ?साक्षात्कारमे बहुत गोटे जुटि गेलै।पाँच गोटेकें दोबारा साक्षात्कारक लेल बजेलकै अछि ताहिमे हमरो बजेलक


अछि।मालिकक बेटी छै सबटा कर्ता-धर्ता।


कोन कंपनी छै?


कंपनी नै छै देबू भाइ।प्राइवेट कालेज छै।बहुत स्टाफ छै।हमर सबहक साक्षात्कार मैनेजर लेलक अछि।फाइनल  साक्षात्कार मैडम


लेतै।


भोरे सबगोटे संगे चाह पिबैत रहथि से पुकारे झा देबू आओर मनोहर सँ पुछि देलखिन जे अहाँ सब खाली बौआइते छी कि किछु


परिणामो भेट रहल अछि।


मनोहर पुकारे झाक प्रश्नक उत्तर दैत कहलनि -


भैया!हमरा एकटा काज भेट गेलए। 


पुकारे झा-कोन काज?


मनोहर उत्तर दैत कहलनि- भैया एकटा प्राइवेट कालेज छै ताहिमे हमरा क्लर्क  के नोकरी भेट गेल।आइ चिट्ठी सेहो द' देलक।काल्हिसँ


काजपर बजेलक अछि।


बहुत नीक,हमर शुभकामना अहाँकें।पढ़ल लिखल छी तँ काजो तेहन भेट गेलए‌।संकट एकेटा छैक जे दिल्लीमे  पढ़ल लिखलकें सेहो


बड़  कम दरमाहा दैत अछि।


मनोहर पुकारे झाकें उत्तर दैत कहलनि-करबै की भैया! उपायो तँ कोनो नै छै।


देबू अहाँकें  की भेल यौ!


भैया हमहुँ दूठाम इंटरव्यू देलियै अछि।मुदा एखन कतहुँ फाइनल नै भेल अछि।


'ठीक छै,प्रयास जारी राखू।


'पुकारे भैया!एकटा सेठ आइ कोठीपर बजेने छल।बातचीत सब ठीक भेलै।मुदा पुछलक  जे तुँ कतय के रहेवला छें?


जखने कहलियै बिहारक छी। ओ किछु सुनबाक लेल तैयार नहि भेल।एकेठाम कहि देलकै जे तुँ जो,हम बिहारीकें नहि राखब।'


पुकारे सांत्वना दैत कहलनि -कोनो बात नै छै।चिंता नहि करू।काल्हि हमरा संगे चलू।एकटा पंजाबी सिक्ख अछि ,हमरा बड़ मानयै।


दोस्ती जकाँ भ' गेल अछि।ओकरा कैकटा प्लाइउड के फैक्ट्री छैक।ओकरा सँ चलिक'बात करैत छी।


देबू पुकारे झाकें कहलनि ठीक छै भैया जेना कही।


काल्हि हम काजपर सँ एक बजे आबि जायब।हम मंगल दिन क' एके बजे तक काज करैत छी।मंगल व्रत रहयै ने।साँझमे कनाट


प्लैसवला हनुमान मंदिर जाइत छी।एतहि पंजाबीबाग मे सेठक आफिस छै‌।पहिने सेठ सँ भेट करबै फेर हनुमानजीक दर्शन करय


चलब।


बिहान कार्यक्रमानुसार पुकारे झा आ देबू कामति गेलाह पंजाबी सेठसँ भेट करय।


पुकारे झा सेठ के अभिवादन करैत कहलखिन-सत श्री अकाल सरदार जी 


सरदारजी- सत श्री अकालजी।


'कैसे हो झाजी?'


पुकारे झा-ठीक हूं सरदार जी।


सरदारजी-कैसे आना हुआ जी?


सरदारजी! ये हैं देबू।मेरे गाँव से आये हैँ।पढ़े -लिखे हैं, अपने फैक्ट्री में कोई काम दे देते इनको।यही निवेदन करने आया हूँ।


सरदारजी-किता पढ़ा है जी?


देबू- बी काम तक पढ़े हैं।


ठीक है झाजी!इसे कल भेज दो। हम एकाउटेंट को बोल देते हैं,इससे वे बात कर लेंगे।फिर जैसा होगा  देखते हैं‌। आप आये हो कुछ


तो होगा ही।आदमी तो पक्का है न जी।


आप निश्चिंत रहो सरदार जी।


बिहान देबू सरदिरजीक फैक्ट्रीपर गेलाह।


एकाउटेंट किछु पुछताछ केलकनि फेर कहकनि-जे आज से ही कामपर लग जाओ।चलो मेरे साथ।कुछ काम समझा देते हैं।

Wednesday, September 10, 2025

जे.जे. कॉलोनी: भाग २ और भाग ३

                 

              

भाग २

साँझ पड़ैत देरी  पुकारे झा आओर हुनक संगी सभ रतुका बुतातक आटा,अल्लू-पियाजु आओर किछु हरियर तीमन- तरकारी नेने डेरापर जुमि गेलाह।

अबिते मातर  मनोहर आओर देबूक हालचाल लेखिन।

'की यौ मनोहर! केहन रहलै अजुका दिवस।दुनू गोटा आराम केलहुँ ने।

हँ,भैया  रेलक झमारल रही से खूब निन्न भेल।दुनू गोटा खूब आराम केलहुँ।

मनोहर !तखन जाउ नीचाँमे मदर डेयरीक दोकान छै एक लीटर दूध नेने आउ। पहिने एक कप गरमागरम चाह भ' जाय। तखन गामक गपसप।हे लिअ ई टाका।

'ठीक छै  भैया।'

मनोहर दूध ल'क' आबि गेलाह-' हे लिअ भैया दूध'

सबगोटा हाथ पैर धो लिअ।हम चाह बना रहल छी।-पुकारे झा बजलाह।

पुकारे झा देबू सँ पुछलखिन-'की यौ देबू !अहाँ किछु बजैत नहि छी।

सब अपने गाम घरक लोक सब छथि।दू तीन गोटे अपने पड़ोसिया गामक छथि। दू गोटे  दोसरो जिलाक छथि।

देबू उतारा दैत कहलखिन-, नै भैया एहन कोनो बात नै छै।अहाँ छी तँ हमरा सभकें बहुत बल भेटल अछि।

पुकारे झा सभक हाथमे चाहक गिलास दैत कहलखिन- भाइ लोकनि! ई दुनू गोटा मनोहर आओर  देबू हमर गौंवा छथि।उमेरमे दुनू  गोटे छोट छथि तें भैयारी इलाकामे छोट भैयारिये भेलाह। दुनू पढ़ल-गुनल छथि।पढ़ले नहि छथि बहुत व्यवहारिक छथि,सामाजिक छथि।एहन युवा सबहक लेल हमरा मोन मे बड़ इज्जति अछि।

देबू आओर मनोहर दिश ईसारा करैत पुकारे झा बजलाह-

हे ई छथि कामेश्वर भगत ,हिनक घ'र बरदेपुर छनि।ई भेलाह नबोनाथ झा ,हिनक घर भेलनि हरिपुर मालटोल।ई छथि कमलेश सिंह हिनक घर भेलनि नरार।आओर ई छथि सुधीर पासवान घर छनि बेलमोहन।ई छथि गुरशरण कामति घर भेलनि सुपौल जिला आओर ई छथि गोरख राय घर छनि मानिक चौक सीतामढ़ी।

'फेर पुकारे झा बजलाह!एकदम मिझ्झर छी हमसब।गामक भोजक डालना बुझू।'

 चाहे पीबैत -पीबैत पुकारे झा देबू  आ मनोहरसँ गामक गपसप करय लगलाह‌।गप बड़ीकाल धरि चलैत रहलै।


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भाग ३

पुकारे झा देबु सँ पुछलनि-' देबु! गाम घरक हाल-चाल कहु!'

केहन समय-साल बीत रहलए मिथिलाक?

  देबु उतारा दैत कहलनि- 'गाम घरक  हाल -चाल  नीक नहि अछि भैया! '

 पछिला  पांच बर्षसँ नीकसँ धान नहि उपजल अछि।दू बर्ष बाढ़िक छछकालमे सबटा जजाति दहा गेल।तीन बर्षसँ पानिए ने ठीकसँ भ' रहल अछि। अपना ओतुका मुख्य जे फसिल छल धान से प्राय: नहिये जकाँ उपजि रहल अछि।तखन  दमकल- बोरिंगसँ  जेना तेना जे किसान रोपनी  क' लयै तँ किछु ने किछु उपजिये जाइ छै। मुदा रब्बीक फसिल धरि नीक उपजयै। मोटामोटी ई बुझू भैया जे किसानी  के भरोसे अहाँ गाममे नहि टिक सकैत छी।

हे यौ देबु ! 'सगर संसारमे जलवायु परिवर्तन भ'रहल अछि।मिथिलामे सेहो जलवायु बहुत तेज गतिये बदलि रहल अछि।एहि बातकें जतेक जल्दीअकानि लेत मिथिलाक लोक ततेक जीवन सुगम रहतै।ओना अबैवला समय हमरा आर भयावह बुझाइत अछि। '

'देबू! अच्छा ई कहु जे गामक कीर्त मंडली चलयै ने!'

नै भैया! अपन गामक कीर्तन मंडली तँ कहिया ने बन्न भ' गेल।

पुकारे अफसोच! करैत देबु सँ पुछलनि-' से एना कियै भेल देबु?

 'की कहु भैया ! गामक अवस्था आब ओ नहि रहलै।गाममे आब  सामाजिकताक नामपर  भोज छोड़ि क'किछु गतिविधि नहि होइत अछि।

पंचायतीराजक राजनीति आओर जातीय गोलबन्दी चरमपर अछि।स्थिति एहन अछि जे समाजिकताक नामपर दस गोटे कतहुँ एक जगह बैसत से आब मोसकिल अछि। गामक कीर्तन मंडली समाप्त अछि।सामूहिक जे ढोल-झालि छल से भगतजी ओतय पड़ल अछि।भगतजी सेहो आब कतहुँ नहि जाइत छथि।भोर -साँझ अपने दूरापर हरमुनिया ल'क' भजन गबैत रहैत छथि।

'एँ यौ देबु! तखन तँ आब फागुनमे फगुआ गायन सेहो बन्न भ' गेल हैत!


'पुकारे भैया! आब गाममे फगुआ गायन तँ दूर,गाममे आब फगुआ कियो नहि खेलाइत अछि। अहाँ सभक बैच जखन रहै ,केहन गुलजार रहै गाम। तहिया हमसब ओतेक छेटगर नहि भेल रही मुदा सबटा मोन अछिये।वसंत पंचमी दिनसँ मंदिरपर फगुआ शुरूह भ' जाइ।अहाँक बैचक लोकसब गाम छोड़लनि सबटा खतम।'

'ओह की कहु देबू !  बहुत व्यथित छी-पुकारे बजलाह'

दबू! हमर आत्मा तँ आइयो गाममे बसैत अछि।हम कहियो गाम नहि छोड़य  चाहैत रही।मुदा उपाये की रहय? 'पापी  पेट का सबाल है।'

दूबू पुकारे झा सँ कहैत छथि--

'भैया अहुँ तँ आब बड़ कम गाम अबैत छी।

हँ देबु; सत पुछै छी तँ आब गाम जेबाक मोने नहि करयै।जँ गामोमे दिल्लीए जकाँ भरिदिन कोठरीमे बन्न भ' क' रहय पड़य तँ गाम कियैक जाउ?गाम जाइत छी तँ गामक हालत कें देखैत माय सप्पत द' दयै जे तों गामक कोनो बातचीतमे नहि परिह'।गामक संस्था बड़ खराप छै।तोँ गाममे नहि रहैत छह,चारि दिन लेल एलह अछि तँ गामक झमेलमे कियै पड़बह?

से देबू भाइ!एहन हालतमे गाम जेबाक मोन नहि करयै।

एहिबेर जे छठिमे गाम जायब तँ दिलखुश आओर ओकर मायकें सेहो आनि लेबै।हमर पत्नी अपन बेटाक प्रति बड़ साकांक्ष छथि।

कहै छथि-'हमर सबहक जीवन जे भेल से भेल मुदा अपन बेटाक जीवन हम बर्बाद नहि होब' देब।हमहुँ दिल्ली जायब।ओतहि जेना तेना गुजर करब।अहाँ काज करिते छी।हमहुँ किछु काज करब‌।बेटाकें पढ़ायब।काबिल बनायब।'

'देबू!चिंता एके बातक अछि जे  माय-बाबू आब बूढ़ भ' गेल छथि ओ दुनूगोटा कोना रहतथि।मुदा कयै कि सकैत छी।दस बर्षसँ पत्नीक बात टारि रहल छी।आब विद्रोहक स्थिति अछि।बात मानयै पड़त।मायो कहैत रहयै-'कनियाँ जे कहै छथुन  सैह करह।समय बड़ खराप छै।हमर सबहक चिंता जुनि करह।जाबे हाथ-पयर चलैत अछि कोनो चिंता नहि।जखन समांग जबाब देत अहाँ सबकें भार उठबयै पड़त ।कहैत छथि दिल्ली आब पयर  त'र छै।एक जाइ छै,एक अबै छै।मोन उबिआयत तँ रेल धरब आ हमहुँ सब पहुँच जायब दिल्ली।

देबू पुकारेक बात सुनि कहैत छथि-'पुकारे भैया! हम तँ अपन जीवनक तीस बर्ष गामेमे बितौलहुँ अछि।काकी सही कहेत छथि।जँ अपन काज राज करैत गाममे शांतिससँ जीवन बितबय चाहैत छी ,से आब गाममे शाइत  संभव नहि अछि।गाममे अनेक गोल छै।सबहक अपन नेता छै।सबहक अपन गोलैसी छै।गाममे रहबाक अछि तँ कोनो ने कोनो गोलमे शामिल रहू।गोलैसीमे सक्रिय रहू।मासमे दू चारि दिन काजक हर्जाना क'क' ब्लौक-थाना,कोट-कचहरी जेबाक लेल अपन ढौआ-कौड़ीक संग  तैयार रहू।तखन तँ ठीक अन्यथा अहाँ कोपभाजन बनबे करब।'


देबूक बात सुनि क'पुकारे बजलाह,' देबू एहन स्थितिमे गाम कियैक जाउ?

एटका बात कहै छी देबू! दक्षिणी दिल्लीक संगम विहार इलाकामे जे एकटा नबका जे जे कालोनी बनि रहल छै ओतय पचास गज जमीनक हमरो जोगार लागि गेल अछि।किछु टाका अग्रिम देने छियै।इच्छा अछि हमहुँ आब दिल्लीए बैसि जाइ।

Sunday, August 31, 2025

जे.जे. कालोनी: भाग १



इलाका मादीपुर  जे पंजाबी बागसँ सटले छै।रोहतक रोड जे बेस नमगर चौड़गर रोड अछि जे पश्चिमी दिल्लीक  नागलोइ दिस गेलयै‌ आगाँ ओ सड़क  हरियाणाक रोहतक धरि जाइये ।मादीपुर नमहर मोहल्ला अछि,बीस बरख पहिने तँ बहुत असार पसार नहि रहै।जेना अपन सभक बेनीपट्टी बजार अछि एकदम सँ रोडक काते कात तेहनेसन पसरल बजार।जाट गुज्जरक संख्या बेसी,हेबाको चाही दिल्लीक मूलवासी तँ ओएह लोकनि  छथि।

ओहि मादीपुरमे एकटा नमहर झुग्गी रहै।ओहि झुग्गियोमे बेसी स्थानीय अर्थात् दिल्ली -हरियाणाक बेसी लोक रहैत रहथि‌।जाहिमे बेसी अनुसूचित जातिक गरीब लोकसभ झुग्गी बना क' रहैत छल।किछु बिहारी लोकसभ सेहो ओहिमे झुग्गी बना लेने रहय जे मादीपुर एक समयमे दिल्लीक बाहरी इलाका मानल जाइत रहै से रसे-रसे दिल्लीक बीचोबीच आबि गेल।आब मादीपुरक जमीनक महत्व बढ़ि गेलै।बिल्डर सभ बड़का-बड़का बहुमंजिला भवन बनाब' लगलै।शौपिंग मौल सभ खुज' लगलै मुदा तीन सितारा  कालोनीक बीचमे ई झुग्गी सब बहुत असभ्य जकाँ  लगै से संभ्रांत लोकसभ एमहर फ्लैट लेबाक लेल नहि तैयार होइ।फेर बिल्डर सब सरकार पर दबाब बनेलक। मुख्यमंत्रीक बेटाकें पकड़लक जे एहि झुग्गी सभकें हटबा दियौ।  एक दिन सरकार घोषणा केलकै जे मादीपुरक झुग्गी सभकें हटा देल जेतै।ई सरकारी जमीन अछि झुग्गीवला  सभ जमीन खाली करय।मुदा गरीब लोक सभ जाइत कतय? कियो खाली नहि केलक।फेर सरकार सभकें लिखित आश्वासन देलकै जे सब एखन एहि झुग्गीमे रहि रहल अछि सरकार सभकें दू कोठरीक घर बनाक' देतै।सबटा झुग्गी टुटि गेलै।सरकार अपन आश्वासनक अनुकूल सभकें एकटा क' घर बना क' द' देलकै।शेष जमीन लिजपर बिल्डरसभ ल' लेलक।ओहिमे बहुमंजिला भवन  बनि गेल।ओहि झुग्गी बस्तीक नाम आब  जे.जे.कालोनी मादीपुर पड़ि गेलै।ओहि जे.जे कालोनीक एकटा कोठरीमे रहैत रहथि कमिथिलासँ पलायन क'क' गेल  सातटा बैचलर नौजवान।ओ मकान एकटा धोबीक रहै।धोबीकें सरकार दिससँ दू कोठरीक घर देल गेल रहै।नीचाँ कोठरीमे अपन परिवार संग रहैत रहय।उपरका भाड़ा पर लगा लेलक।नीचाँमे अपन घरक आगाँमे एकटा चौकी लगाक' एकटा आयरन प्रेस करबाक दोकान सेहो चलब' लागल।एहि जे.जे.कालोनीक प्राय:सभ मकानक बनाबट आओर बसाबट एहने रहै।सभ नीचाँक कोठरीमे अपने रहय आओर उपरका भाड़ापर द' देने रहै।प्राय:मकानमे बिहारी दिहारीवला मजदूर सभ रहैत रहय। मिथिलामे चिन्नीक मिल सभ बन्न भ' गेल रहै।  

पण्डौलक सूता मिल,समस्तीपुरक अशोक पेपर मिल सेहो बन्न। बात अस्सी आओर नब्बेक दशकक अछि।बिहारक कालेजसँ पढ़ाइक वातावरण समाप्त भ' गेल रहै।तीन बर्षक स्नातक करैमे सात-आठ बर्ष धरि लागि जाइत रहै।बिहारक नवयुवक सभ  किंकर्तव्यविमूढ़ भ' गेल रहय।एक तँ खेतक जोतक छोट आकार दोसर दाही -रौदीक मारि।नोकरीक खोजमे नौजवान सभ जतय-ततय बौआइत टौआइत रहय।किछु नौवजान जे गामपर रहय से त्रिकाल विजया द'क' भरि दिन तास फेटयमे मस्त रहय लागल।भांग आ पान तँ हेबे करय जँ कतहुँ जोगार लागि जाय तँ किछु मधुरो भ' जाइ‌।एहन सन वातावरणमे मिथिलाक नौजवान सभक लेल एकटा नब ठेकाना उभरि क' जे शहर आयल ओ छल दिल्ली।दिल्लीकें मिथिलामे दिलवाला शहर कहल जाइत छैक।जाहि दिल्लीकें कुतुबुद्दिन एबक 'दिल्ली दूर अस्त'कहने रहै।से दिल्ली आब मिथिलिवला लोकसभक लेल पैर त'र भ' गेलै।सबहक कोनो ने कोनो सम्बन्धी ओहि दिल्ली महानगरमे रहिते रहै।ताहि दिल्ली लेल विदहा भेल रहथि कालिकापुर गामक मनोहर आओर देबू ।दुनू बचपनक मीत रहथि।समस्तीपुर सँ वैशाली एक्सप्रेस पकड़ि  दुनू दिल्ली पहुँचल रहथि।नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरि दुनू गोटे पुछारि करैत नागलोइ जायबला  डी .टी. सी क बस पकड़ि पहुँच गेल रहथि  जे.जे.कालोनी मादीपुर।ओहि जे.जे.कालोनी मे रहैत रहथिन हिनकर गौंवासभ।सभ दिहारीपर मजूरी करैवला।माने कोनो स्थायी नोकरी नहि रोज कमाउ रोज खाऊ।ओ लोकनि साधारणे पढ़ल -लिखल मुदा मनोहर आओर देबू तँ बी. ए पास रहथि। से जखन गौंवा सभक डेरापर पहुँचल रहथि तँ ओ लोकनि हिनका सभक स्वागत केलखिन आओर पन्द्रह दिन धरि संगमे रहबाक संगहिअपन संयुक्त मेसमे भोजन करबाक अनुमति सेहो द' देलखिन।एकटा अनजान महानगरमे ई बड़ पैघ बात भेलैक।

मनोहरक पड़ोसिया रहथि पुकारे झा से कहलखिन ," देखू मनोहर अहाँ सभ पढ़ल लिखल छी।एहि कोठरीमे रहैमे बहुत दिक्कत हैत।हमसब छ:गोटा पहिनहि सँ छी।जँ एहि दिक्कत-सिक्कत मे गुंजाइस करब तँ हमरा सभकें कोनो आपत्ति नहि।शौचालय  समगर्दा छै भोरे सँ लाइनमे लाग' पड़त।पन्द्रह दिन धरिक किरेया अहाँलोकनिसँ नहि लेल जायत जँ ओहि सँ बेसी दिन रहब तँ भाड़ा लागत।।"

मनोहर पुकारे झा कें जबाव दैत कहलखिन," भैया !अहाँ तँ जनिते छी पहिलबेर दिल्ली आयल छी।दोसर ककरा लग जायब।अपन आर जे किछु ग्रामीण सभ रहैत छथि वा कुटुमवर्गादि से सभ भी आइ पी इलाकामे परिवारक संग रहैत छथि।ओतय हमरा सभक  गुंजाइस नहि हैत तें अहीं लग हम दुनू गोटा एलहुँ।आब तँ आबि गेल छी।कोनो छोटोमोटो नोकरी भेटि जाय बस। हमसब एखन एतहि  रहब।आगाँ देखल जेतै।

पुकारे झा कहलनि,'मनोहर!तखन अटैची राखू आओर हाथ-पैर धो लिअ।जे किछु बनल अछि से खा लिअ।हमसब गोटा काजपर निकलैवला छी।हमसब सांझूपहर घुरब।अहाँसभ रेलक झमारल छी।आइ आराम करू। 

मनोहर- बेस भैया !

'जाउ अहाँ सब।'

'सांझूपहर भेटब  तँ बातचीत करब।'

Thursday, July 3, 2025

गुण-कथाक गुनगर विवेचन -- दिलीप कुमार झा

डा. शिवशंकर श्रीनिवास मैथिलीक अति प्रतिष्ठित कथाकार छथि।अपना कथाक कारणें मिथिला आ मिथिला क्षेत्र सँ बाहरो अर्चित- चर्चित छथि। हिनक कथा ने फटाफट समाचार अछि ने एलोपैथिक दवाई। हिनक कथामे समाजक छोट -छोट घटनाक बहुत तार्किक आ मार्मिक ढंग सँ विश्लेषण कयल जाइत अछि।प्राय: कथा अपन नव आयाम प्रस्तुत करैत अछि। हिनक कथा एलोपैथिक दवाई जकाँ तत्क्षण रोगक शमन वा दर्द निवारण करबाक उपाय नहि करैत अछि,ने कोनो साइड इफेक्टक खतरा। हिनक कथा केँ हम शुद्ध आयुर्वेदिक औषधि मानैत छी जे सिर्फ इलाज नहि रोगक निदान करैत अछि। कतहुं - कतहुं हम पढ़ैत रहैत छी जे श्रीनिवासजी गामक कथाकार छथि हम एहि बात सँ सहमति नहि रखैत छी।ओ गाममे रहैत छथि तेँ ओ गामक कथाकार भ' गेलाह! ओ मिथिलाक कथाकार छथि, ओ भारतक कथाकार छथि,ओ अखिल विश्वक कथाकार छथि से ओ अपन नीजी वैशिषट्यक संग छथि। वैश्विक जनतब आ ओकर विश्लेषणक संग सभठाम कथामे उपस्थित छथि।ताहिलेल हिनक कथा केँ पढ़' पड़त,गुण' पड़त। सम्प्रति हम गप करय चाहैत छी हिनक चारिम कथा संग्रह " गुण कथा क प्रसंग।

एहि संग्रहक पहिल कथा अछि साहुकारी। बजारवाद कोना सगरे संसारमे पयर पसारि लेलक अछि तकर कथा अछि।टाकाक सोझां व्यक्तिक रुचि, अपना कार्यसँ संतोष ,जीवन मूल्य जेना किछु रहिये ने गेल हो ।प्रस्तुत कथामे गोपीनाथ एकटा शिक्षक छथि आ कहानीकार सेहो।ओ अभावमे रहितो अपना काज सँ संन्तुष्ट छथि मुदा हुनक चारुकातक वातावरण हुनक महत्वक आकलन टाकाक आधारपर करैत अछि।चाहे हुनक सहपाठी अमरनाथ होथि वा हुनक पुत्र छोटे वा पत्नीए किये ने होथि।सभ कियो हिनक कथा के बाजार मूल्यपर तौलबाक ताक' मे लागल रहैत छथि। हिनक कथाक बजारक अतिरिक्त किछु सामाजिक मूल्य नहिअछि। हिनक कथा सभमे मानवीय मूल्यक अवलोकनक फुरसति ककरा छैक?महानगरमे गामक गप शप केँ मीर्च - मशाला बुझल जाइछ। बजारवादक प्रभाव नेना सभपर सेहो बहुत नीक जेकाँ पड़ि रहल छैक।सभ प्रोफेशनल बनय चाहैत अछि ,उद्देश्य टाका कमेनाय।जं कियो देश सेवा करय चाहैत अछि ,ओ प्रहसनक बिषय भ' जाइत अछि।कतेक खराप परस्थिति उत्पन्न भ' गेल अछि से ई कथा स्पष्ट रुपें बाजि रहल अछि। मुदा एकटा बात एतेक भेलाक बादो गोपीनाथसन मास्टरो लागल छथिये,भले कियो मानय वा नहि मानय।

संग्रहक दोसर कथा अछि सहरजमीन, एहि कथाक कथानायक छथि बलदेव जे समाजमे उँच्च जातिक जमिंदार सँ लड़ैत छथि मुदा ओकर दबंगता सँ पीड़ित भ' गाम छोड़ि चलि छाइत छथि।परदेशमे जतय रहैत छथि ओतय अपन गौंआ -घरुआ जे भेटैत छनि सभके यथासंभव मदति करैत छथि। गामक एकटा समांग सोहन जे हुनके लग काज करैत अछि ओ हिनका गाम एबाक लेल बहुत उत्प्रेरित करैत अछि ओ कहैत अछि बड़का जातिक उपर सँ नीचाँ धरि राजपाट खतम भ' गेलै ।गाम बदलि गेलै चलि क' देखहक ।बलदेव चालीस बर्खपर गाम अबैत छथि मुदा गाममे जे पुरनका बात रहै,अपनैती रहय से आब कतहु नहि भेटलनि।अपनत्वक नामपर ओएह गोसाइं पोखरि आ पाकरिक गाछ भेटै छनि। अपने समांग आनंद चौधरी मंत्री बनि जाइत छथि मुदा हुनकर रहन- सहन ,हाव - भाव सँ सभटा ओहने जेहन पुरना जमिंदार सभक रहैत छलै। समाजमे सत्ताक हस्तान्तरण अवश्य भेलैक ।पहिने पंचायत सं संसद धरि सभठां उँच जातिक कब्जा छलैक जे आब पिछड़ा ,दलित लग आबि गेलै मुदा लोक ओहिना अछि।सत्तामे नवब्राह्मणवादक आगमनक अतिरिक्त आर किछु नहि भेलै से ई कथा निर्णायक प्रश्न ठाढ़ करैये।

एहि संग्रहक तेसर कथा थिक सतभैंया । जाति - पातिक समाजमे दुरावस्थाक कथा थिक सतभैंया। समाजमे एखनो जाति पाति छैके मुदा कालक्रमेण समाज बहुत आगु बढ़ल अछि। विनोदक पढ़ल लिखल बेटी अपर्णा अपना मोन सँ अपन विवाह एकटा नीक कलाकार,नीक मनुक्ख जे ओकरा पसिन करैत छैक तकरा सँ करबाक निर्णय लैत अछि।मुदा छैक ओ मुसलमान। विनोद अन्तर्द्वन्द्व मे पड़ल रहैत छथि मुदा समूचा परिवार कोनो सामाजिक रीति रेवाज के बिनु परबाहि कयने बेटीक खुशीक चिंता करैत अछि । ताहि मे सभसँ बढ़ि चढ़ि क' भाग लतै छथि विनोदक माय।ओ कहैत छथि एहि जाति धर्मक हमहूँ मारल छी। हमर सक्क चलय त' ई जाति-पाति- धर्म के चुल्हि मे डिहि दितियै।मात्र मनुक्ख रहितै आर रहितै ओकर गुण। जाति पाति राजनीतिक आ समाजिक मंचपर एखनो अकादारुण जकाँ ठाढ़ अछि।ई कथा समाजक समक्ष एकटा गंभीर बहस त' अबस्से आरंभ करैत अछि।

एकटा महत्वपूर्णकथा अछि एहि पोथीक शीर्षक कथा ' गुणकथा' ।गुणकथा मनुक्खताक गुणक कथा अछि।भीड़ मे रहैत आइ मनुक्ख असगर अछि।अपन झूठक अभिमान आ देखाबाक कारण लोक मनुक्खता बिसरि गेल।एहि कथाक अंजनी देवी जे गाम सँ जयपुर गेलीह त' बेटाक आलीशान बंगला ,सुख सुविधा अछैतो ओ गरीब ,मजदूर लोकक बस्तीमे जाक' बच्चा सभके आखर सिखब' लगली ,ओकरा सभके मिथिला चित्रकलाक प्रशिक्षण सेहो देब'लगली।ओहि सामान्यजनक बीच काज क'क' अंजनी देवी कें अपार सुखक प्राप्ति होइन मुदा अपना के आधुनिक कहयबला बेटा पुतहु के अंजनी देबीक काज सँ मानहानि बुझाय लगलनि।अंजनी देवी गामो मे एहने सामाजिक काजमे लागल रहैत छलि।तेँ अंजनी देवी अपना जीवन सँ प्रसन्न छलि।हिनक सेवाभावनाक कारण गरीब लोकक ई बड़ी माँ भ' गेल छलि मुदा चिंताक बात ई जे हिनक पोता जे अमेरिकामे नामी कंपनीमे काज करैत अछि अपन दादीक कलाप्रेम , शिक्षा आ समाजसेवा सँ ओतेक प्रभावित नहि अछि।ओ हुनक यशक मार्केटिंग करबाक सोचैत अछि।।कथामे मानवीय मूल्यक क्षरण आ निकट सँ निकट सम्बन्धक पहिचान बाजारमूल्पर आँकल जयबाक बात एहि कथामे आयल अछि।संगहि कथामे मातृभाषा प्रेम सेहो यत्र - तत्र झलकैत अछि।

"रूमाल" दाम्पत्य जीवनक विलक्षण कथा अछि। बड़ा साहेब,विमलचन्द्र ठाकुर,आ बूढ़ा-बूढ़ीक जोड़ीक तीनटा दम्पतिक कथा अछि।एकटा विलक्षण बिम्ब अछि एहि कथामे 'मात्र कोनो बाँसक खुट्टाक सोंङर पर कोनो टाट ठाढ़ देखलिए? ओहिमे देखू जँ टाट के हटा लेबै त' खुट्टा खसि पड़त आ जँ खुट्टा के हटा लेबै त' टाट खसि पड़त मुदा दुनू दुनू के ठाढ़ केने रहैए'।ई थिक दाम्पत्य जीवनक बेगरता।आपसी प्रेम आ सहयोग सँ चलैत अछि पारिवारिक सम्बन्ध।

एकटा कथा अछि दबाइ।एकटा बंगालिन जे प्रेम विवाह क' के सुखदेवा संगे कलकत्ता सँ आबि गेल।सुखदेब ओकरा आ ओकरा मामीक संग छल केलकै ओ कहलकै जे ओ बाभन अछि मुदा एतय एलाक बाद पता चललै जे ओ दुसाध अछि। बंगालिन के अपना ल' क' कोनो दुख नहि छैक मुदा ओकर मामा -मामी के ई बड़ ठकान ठकलकै से ओकरा बड़ तकलिफ छै।।ई विश्वास तोड़ल जयबाक कथा अछि।एहि कथाक एकटा विलक्षण संवाद जे डा. शिवशंकर श्रीनिवासक नीजी विशेषता छनि अन्यत्र भेटब दुर्लभ ।देखल जाय,"भाउज- दिअरक पहिले भेंट मे झगड़ा! हमर गपपर फुटि क' हँसलि, से लागल जेना फुलही थारी पर दू- चारिटा अठन्नी गुड़कि गेल हो। सुखदेबाक माय सेहो हँसलि रहय।

'उग्रह' कथा आजुक समयक यथार्थ अछि ।आइ लोक अपन स्वार्थ सिद्धिक लेल नैतिक ,अनैतिक कोनो पड़बाह नै करैये । कहनो हथकंडा अपनाबै सँ परहेज,बनहेज नहि ,से जँ कियो निश्छल आ निर्मल अछि त' सहजे कियो ओकरा नहि मानैत छैक।नहि मानैत छैक ताहि लेल कोनो बात ने मुदा ओहि व्यक्तिक नीजी जीवनक सेहो बिनु कोनो परबाहि कयने जँ कोनो प्रकार लाभ कोनो व्यक्ति सँ होइबला अछि त' लाभ लेबाक लेल ओहि व्यक्ति केँ कोन रुप सँ बेवहार कयल जाइछ से एहि कथामे आयल अछि। कथानायक जे स्वयं कथाकार छथि जिनक मित्र अपनहि जिलाक कलक्टर छथिन ओहो कथाकार छथि।दुनू साहित्यकारक मध्य आपकताक बात पसरि गेल । जकरा ककरो लगलै जे हिनका माध्यम सँ कलक्टर सँ हमर काज सिद्ध भ' सकैत अछि से हिनका पाछु लागि गेल।कथानायक त' एकदिन बहुत चिंतित भ' गेल छलाह मुदा रक्ष रहलै विहाने कलक्टर साहेबक बदली दोसरठाम भ' गेलनि। ई गौरवबोध ककरो नहि भेलै जे हमर समाजक एक व्यक्ति एतेक पैघ कथाकार छथि! आ ईहो महत्व नहि बुझलक जे कलक्टर होइतो कलक्टर साहेब अपन साहित्यकारक धर्म के निमाहि रहलाह अछि।आजुक ई सामाजिक सत्य अछि।अहाँ देशक पैघ वैज्ञानिक छी,अहाँ बहुत नीक शिक्षक छी,अहाँ बहुत पैघ साहित्यकार छी।लोकक लेखें धनसन।हँ,अहाँ ककरो बेटा के चाकरी लगा सकैत छी। अहां अपनह रौबदाव सँ ककरो अनर्गल लाभ पहुंचा सकैत छी।नहि त' दसटा लफंगा सभकें संझुका खर्चा द' सकै छी ।त' लिअ ने जे छी से अहीं।

'रसक अर्थ' ई दूटा माम भागिनक कथा अछि।मामा कालीचरण आ भागिन गिरधर। गिरधर माय के फोन करै छथि जे माय हम गाम आबि रहल छी।माय के बहुत खुशी होइत छनि मुदा फेर दोसरे क्षण ओ कहैत छथि माय हम सभदिनक लेल गामे रहबाक लेल आबि रहल छी । बादक गप माय केँ बड़ अनसोंहाँत लगैत छनि।गिरधर गाम रहि क' की करता? हुनका मोन पड़ि जाइत छथिन कालीचरण अपन भाय जे सुन्दर नौकरी छोड़ि क' गाम रहबाक लेल एला खेतीबारी करय लगलाह,किछु दिन बनिज सेहो कयलनि मुदा सफलता नै भेटलनि ।बहुतरास ऋण पैंच क'क' फेर शहर घुरि गेलाह।मुदा गिरधरक पिता एहि सँ प्रसन्न छलाह जे जँ गिरधर सन योग्य व्यक्ति गाममे रहय लगताह त' गामट काया पलट भ' जायत। कहु जँ सभक माय एहिना सोचतै जे हमर बेटा गाम किये रहत? तखन गामक की हेतै?गाम आ शहरक संतुलन बनक चाही। लेखकक ईशारा साफ छनि। गिरधर त' आबि रहलाह अछि से ठीके मुदा भारत सरकार जे हुनका गामे लग वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र खोललक अछि ओकर मुख्य वैज्ञानिक बनि क' आबि रहलाह अछि‌।वैज्ञानिक संगे चाही किसान,मजदूर,शिक्षक,डाक्टर आर बहुतो पेशाजन्य लोक से गाम के बसेला सँ हेतै उजारला सँ नहि।

मिथिलामे वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्रक स्थापना कथाक एकटा दूरदृष्टि पथ सेहो देखबैत अछि।

जीवनमे राग आ अनुरागक बड़ महत्व होइत छैक। एहि संग्रहमे एकटा कथा छैक अनुराग।अनुराग ओकरे प्रति उमरैत छैक जकरा लेल कोनो व्यक्तिक मोनमे अथाह प्रेम रहैत छैक। ओहि व्यक्ति सं कतेक प्रेम करैत अछि से ओ अपनहुं नहि बुझैत अछि।अनुराग कथामे नरेन्द्रक पीसी कें नरेन्द्र सँ बड़ प्रेम छनि।नेनपने सँ नरेन्द्र के बड़ मानथि पीसी ।जखने नरेन्द्र पीसी सँ भेट करय जाथि पीसीक अनुराग छिलक' लागय।पीसी भातिजक प्रेम के देखि क' कियो ई अनुमान लगा सकैत छल।पीसी बड सुन्दर लिखिया करथि।सभटा चित्र लिखि- लिखि क' रखने जाथि।एक दिन नरेन्द्र जे देखलनि त' आश्चर्यचकित भ' गेलाह! केहन -केहन अवधारणा हिनका मोनमे उपजल छनि।अद्भुत! पीसी ई सभटा चित्र ओरिया क' राखू एकरा हम किताब छपा देब ।जाहि सँ पुरा दुनियांक लोक अहाँक कला के देखि सकत संगहि एकटा मिथिलाक सामान्य नारीक सोच सं सेहो अवगत भ' सकत। युवापनक ई गप नरेन्द्र गिरहस्थ जीवनमे आबि बिसरि गेलाह।मुदा पीसी त' एकटा कलाकार,सृजनधर्मी छलीह।सृजनकर्ताकें जकरापर मोन मानतै छैक तकरे ओ अपन सर्वस्व न्योछाबर क' सकैये।से पीसी के अपन भरल पुरल परिवार अछैत अपन जीवनक सभसं अमूल्य वस्तु नरेन्द्र के देलखिन एहि विश्वासक संग जे ओ हमर सृजन के महत्व देत।बिरहोबांट नहि होब' देत।एकटा लेखक,कवि वा कलाकारक मोल एहने कोनो पारखी जानि सकैये।

'आयास' कथा मे गाममे नेना सभक कमी के रेखांकित कयल गेल अछि,विशेष क' लड़की सभक।भारतमे स्त्री - पुरुष लिंगानुपात बहुत चिंताजनक स्थितिमे छैक से मिथिलामे सेहो।कुमारी भोजन लेल गाममे कुमारि कन्या भेटब दुरूह भ' गेल अछि। ई कथा गाम सं लोकक पलायनक दुरावस्थाक चित्रण करैत अछि।हिनक कथामे गामक बहुतरास दृश्य जे चिंतित करैत छैक मुदा लेखक एक दूटा एहन पात्रक सृजन अवश्य करैत छथि जे गाम के ओ नहि बुड़' देत चाहे ओ भोलानाथ ठाकुर होथि,लाल यादव होथि वा अनुराधा । गाम के हर हालति मे बचेनाय सेहो कथाकारक एकटा आन्दोलन छनि से हमरा फरिछा क' बुझय पड़त।

'पितामही' कथा आजुक नगरीय जीवनमे जे पारिवारिक टुटन अछि,घुटन अछि तकर कथा अछि।पोता - पोती के बाबा -बाबी बड़ प्रिय से सभदिना। असली दुलार त' लोक अपन पितामही- पितामहे सँ पबैत अछि। से पोती स्वातीक व्यथा सुनि विश्वेश्वरजी आ हुनक पत्नी के बड़ भावुक क' दैत छनि।से कथा पढ़निहार के सेहो।ओह! की भावुकताक कथा अछि ई। एहन घटना अपना समाजमे घनोरो होइत रहैत अछि।एहि कथा के कहबाक जे शैली , शब्दक जे गढ़नि आ वाक्य विन्यासक कमाल हमरा मोन के छहोछित्त क' देलक।एहि कथा के पढलाक बाद बस आर किछु नहि !लेखकक कलमक नीचां हम नतसिर भ' जाइत अछि।

धार नहि मजरलै एहि संग्रहक एकटा महत्वपूर्ण कथा अछि।ई रुपनी नामक एकटा विधवाक कथा थिक। एकटा एहन स्त्रीक कथा जे कमे उमेरमे विधवा भ' जाइत अछि।ओकरा एकटा संतान सेहो होइछ ,तैयो दोसर विवाहमे कोनो रुकावट नहि छलै।माय -बाप विवाह करेबाक लेल तैयार छलै मुदा अपना सासु ससुर के हालति देखि नै केलक।लागि गेल सासु ससुर आ बेटाक लालन - पालन मे।एकटा समय एहनो एलै जे अधवयसमे जखन बेटा ओकर कोनो छौंड़ीक संग भागि गेलै।ओ असकरुआ भ' गेल।असकरुआपनक अवसाद घेरि लेलकै।ओहि समयमे ओकरा भेटै छथि विराटबाबू सन पुरुख जे जिनक आकर्षण सं रुपनीक मोनमे वैधव्यक पछाति पहिलबेर हलचल मच' लगलै । पाठक कें लगैत छैक जे फेर सँ रुपनीक नव जीवन आरंभ हेतै से नहि भेलै आ भेबो केलै। रुपनी एकटा गाय आ बाछीक वात्सल्यमे फेर रमि गेल।धार नहि मजरलै। ई कथा एकटा अन्तर्द्वन्द्व उत्पन्न करैछ। रुपनी एकटा नव जीवन आरंभ करैत विराट बाबूक संग से सभटा तैयारी भेलाक बाद नहि भ' सकलै। मुदा भ' सकैयै ओकर आगांक जीवन आओर खराप भ' जइतै।तखन जे निर्णय लेलनि से नीके लेलनि।

मनुक्ख नदी थिक भारतीय समाजक बदलैत परिवेशक कथा थिक। समाज जे सय बर्ख पहिने छल से आब नहि अछि।भेष भूसा,खान पीन सँ ल' क' सभ किछु बदलि गेलैक अछि। एक संस्कृति सँ दोसर संस्कृति मे मिश्रण पुरान पीढ़ी कें असहज करैत छैक।मुदा वरिष्ठ लोकनि कें श्यामजी जकाँ पहाड़ नहि नदी बनय पड़तनि, कारण मनुक्ख नदी थिक।सभ नदीक अपन बाट होइछ। सभके अपना बाटे बहबाक आजादी देबहि पड़तै।

तखने नवपीढ़ी आ पुरान पीढ़ीक अंतर पाटल जा सकत। कथा नीक अछि।

एहि संग्रहक तेरहो कथा पढलाक बाद पाठकीय दृष्टिकोण सँ हम ई मजगुती सँ कहि पाबि रहल छी जे ' गुणकथा ' समकालीन मैथिली कथाक प्रतिनिधि पोथी अछि।हमरा लग एहन उँच्च कोटि कथाकार छथि ,तकर हमरा गौरव अछि।आइ मैथिली कथा भारतीय कथा साहित्यक समक्ष एकटा महत्वपूर्ण स्थान रखैत अछि ताहिमे डा.शिवशंकर श्रीनिवास बहुत महत्वपूर्ण छथि। हिनक कथा गढ़बाक अपन नीजी शिल्प आ शैली छनि। गुण- कथा मैथिली कथाक महत्वपूर्ण संग्रह अछि।

Thursday, February 27, 2025

Seeta in the realm of Maithili literature : Dilip Kumar Jha

मैथिली साहित्यमे सीता



सीताक जन्मक बिषयमे रामायणमे वाल्मीकीजी लिखैत छथि,
"अथ मे कृषत:क्षेत्रे लाङ्गलादुत्थिता तत:।।
क्षेत्रं शोधयता लब्धा नाम्ना सीतेती विश्रुता।
भूतला दुत्थिता सा तु व्यवर्धयत् ममात्मजा।।
एक दिन यज्ञक लेल भूमिशोधन करैतकाल खेतमे राजा जनक ह'र  जोतैत छलाह ओहि समय ह'रक अगिला भाग जकरा फार वा फाल  सँ किछु ठेकैत अछि ओहि कालमे भूमिसँ एकटा सुन्दर कन्या प्रगट भेलीह (घिचल रेख जकरा सीता कहल जाइत छलैक) सीता सँ उत्पन्न हेबाक कारणें कन्याक नाम सीता राखल  गेल। धरतीसँ प्रकट भेल कन्या बढ़ि क' आब सियान भ' गेलीह‌।
संसार भरिमे अनेकानेक भाषामे रामायणमे सीताक विराट चरित्रक चित्रण भेल अछि।मैथिली भाषा साहित्यमे सेहो सीताक बहुत विस्तृत वर्णन कयल गेल अछि।जाहिमे सभसँ पहिने हम चन्दा झा विरचित 'मिथिला भाषा रामायण'क चर्चा करब उचित बुझैत छी।महाकवि चन्दा झा जानकीक जन्मक बिषयमे लिखैत छथि---
'कन्या रमा-समा मिथिलेश। तप-बल पाओल तिरहुति देश।।
धरणी तनया अति सुकुमारी।छविमय रति विजय अवतारि।।
त्रिभुवन देखल सुनल नहि कान।वनिताजन विरचल विधि आन।।
आगत नृपवर जनक समाज।जनकक कहल सुनल हो काज
शिवक धनुष भञ्जन कर जैह।वैदेही व'र होयताह सैह।।
मिथिला भाषा रामायण सेहो आने रामायण जकाँ  सम्पूर्ण रूपसँ रामकथा पर आधारित अछि तेँ एतहुँ सीता सभठाम उपस्थित छथि।प्राय:रामकथा मे सीता  धनुष  यज्ञ के समय प्रकट होइत छथि मिथिला भाषा रामायण मे सेहो तहिना छथि।सुन्दरकांड मे सीताक वर्णन बहुत फरीछ सँ आयल अछि। जानकीकें अपना जन्मभूमि सँ बहुत लगाव छनि।अपन  परिचयमे अपन माता-पिता,पति, देओर के नाम तँ लैते छथि संगहि अपन नैहरक नाम लेब नहि बिसरैत छथि।
जनक जनक जननी अवनि,रघुनन्दन प्राणेश।
देवर लक्ष्मण हमर छथि,नैहर मिथिला देश।।
हुनका गर्व छलनि जे हमर जन्मभूमि मिथिला अछि एहन गर्व हमरो सभकें हेबाक चाही।से कियैक नहि अछि ?ताहिपर हम सोचैत रहैत छी।कवीश्वर चन्दा झा अपन रामायणक सुन्दरकाण्डमे सीताक उपस्थापन बहुत महत्वपूर्ण ढंग सँ कयलनि अछि।।एना कहल जाय जे एहि कांडक मुख्यपात्र सीते छथि।हेबाको चाही से बिभिन्न रामायणमे सैह अछि‌।सुन्दरकाण्डक रचनाक मूलमे अछि सीताक खोज करब।जखन हनुमानजी सीताकें तकै लेल लंका विदा होइत छथि तँ सीताक दर्शन लेल हनुमानजी व्याकुल भ' उठैत छथि--
'वैदेही हम देखब आज।दोसर गहन आन की काज
(सुन्दरकाण्ड पृष्ठ-187)
सीता अशोक वाटिका मे बहुत डेरायल सहमलि बैसल  रहैत छथि।
तकर वर्णन कवीश्वर एकटा गीतक माध्यम सँ कयलनि अछि।केहन मार्मिक वर्णन छै से देखल जाय
'हा रघुनाथ अनाथ जकाँ दशकंठ पुरी हम आयल छी।
सिंहक त्रास महावनमे हरिणीक समान डेरायल छी।।
चन्द्र चकोरि अहैंक सदा हम शोक-समुद्र  समाइलि छी।
देवर दोष कहू हम की अपन अपराध सँ काइलि छी।
(सुन्दरकांड,पृष्ठ-198)
रमेश्वर चरित मिथिला रामायणमे महाकवि लालदास सीताकें लक्ष्मीक अवतार रूमे प्रतिष्ठित कयलनि अछि।एकटा अद्भुत् बात एहि रामायणक ई जे एहि रामायणमे सीताक महत्ताकें हुनक चरित्रक विराट फलककें पं.लालदास बहुत प्रमुखता सँ वर्णन कयलनि अछि।रामायणक नामो तँ मिथिला रामायण अछि तखन सीताक प्रधानता कोना नहि रहतनि।मङ़्लाचरण मे लालदास सीताकें लक्ष्मी आओर कालीक रूपमे  वर्णन करैत छथि।
'प्रणमों लक्ष्मीक दश विधि रूप।पुरथु मोर अभिलाष अनूप।।
सीता प्रथमा काली नाम।कृत सहसासन-पुर संग्राम।।
दोहा--'मूल प्रकृति लक्ष्मी जनिक,सीता रूप प्रधान।
तनिक नाम जपि पाब नर, दुहु लोकक कल्याण।।
महाकवि सीता नाम जपक अमित प्रभावक बखान करैत कहैत छथि--
'सीता नामक अमित प्रभाव।चतुरवर्ग फल जातक पाव।।
सीता जन्मक बिषयमे महाकवि वाल्मीकिजीसँ किछु फराक कथा कहैत छथि।हुनक कहब छनि जे जखन रावन  तीनू लोकपर विजय प्राप्त क' लेलक तखन ओ सुर,नर,मुनि सभकें  अपार कष्ट देबय लागल।एकबेर ओ दण्डकारण्यमे मुनि सभसँ कर मंगलक ,मुनि सभ लग की रहनि जे दितथिन से मुनि सभ अपना शरीरक शोणित पाचि क' द' देलथिन।ओ सभटा शोणितकें घटमे जमा क' लेलक।ओकर एहि कुकृत्य  सँ  मुनि सभ बहुत क्रुद्ध भ' गेलथि आओर कहलनि जे  रावण ई शोणित घट तोहर विनाशक कारण बनतौ। मिथिलाक महान  विद्वत् परंपरा सँ रावण बहुत क्रुद्ध छल से ओ सोचलक कियै ने एहि घट कें मिथिलेमे गड़वाय दी।बुझथु मिथिलाक लोक बड़ ज्ञानी बनैत छथि से आब हिनका सभक विनाश हेतनि। एहि विचार सँ ओ घट दूतक माध्यमसँ मिथिलामे गड़बाय देलनि--
'बड़ पंडित कहबथि मिथिलेश बुझता जखन विनाशत देश।।
ई विचार द्रूत दूत पठाय। मिथिलामे घट देल गड़बाय।।
एहि विधि किछु दिन बीतल जखन।अनावृष्टि मिथिलामे तखन।।
ज्योतिष पंडित सम्मति देल।जनक स्वयं हर कर गहि लेल।।जोतय लगला जेहि खन भूमि।बहरायल घट तेहि खन घूमि।।
घटसौं ज्योति विनर्गत भेल।तेजमयी कन्या लखि लेल
विस्मय मानव जनक नरेश। गगन गिरा तगनहि भेल बेश
ई कन्या लक्ष्मी अवतार सीता नाम करब परचार।।
भेल वृष्टि सूख लक्ष्मीक दृष्टि।बाँचल मिथिला भूमिक सृष्टि।।
सुख ऋद्धि सभ सिद्धि।होमय लागल मिथिलामे वृद्धि।।
सीता लक्ष्मीक अवतार छलथि से महाकवि लालदास लिखैत कहैत छथि।सीता शक्ति स्वरूपा छथि तें ने जाहि धनुषकें केहन-केहन योद्धा  टकसा नहि सकल तकरा सीता वाम कर सँ  उठा क'  ओतय ठांवबाट कय लेलनि।
अनायासहि निपितहि धनु धाय।बामहि करसौं लेल उठाय।।
बाम हाथ धनु अवनत माथ।नोचथि तृण कुश दहिना हाथ।।
अयला नृप कयनहि अस्नान।देखि चकित कृत मन अनुमान।।
शिवधनु उठ नहि ककरो बूत।से सीता धयलनि अजगूत।।
जानकी जन्म प्रसंग कविवर सीताराम झाक रचित महाकाव्य छनि 'अम्बचरित'।अम्ब चरित मे सेहो सीताक जन्मक रोचक कथा अछि जे लालदास कृत रमेश्वर चरित रामायणसँ  थोड़ेक फराक अछि।अम्ब चरितमे कविवर लिखैत छथि सीताक जन्म रावनक पत्नी  मंदोदरीक गर्भ सँ  भेल छलनि।अम्ब चरितमे कहल गेल अछि गृत्समद नामक मुनि अपना पत्नीक आग्रह पर  एकटा कन्याक उत्पत्ति हेतु एकटा नव कलश कें अभिशिक्त क' ओहिमे गाइक दूध ढारलनि आओर पत्नीकें कहलथिन जे आजुक दशम दिन जे  स्त्री एहि दूध कें पीबि लेती तिनका गर्भसँ स्वयं  लक्ष्मी अवतार लेतीह।ओहि कालमे महाविनाशक रावण ओतय पहुंचि गेल।ओ मुनिजन सँ करक रूपमे हुनका लोकनिक रक्त पाचिक' ओहि दूधवला कलशमे राखि घट सहित लंका उड़ि गेल।ओहि घटमे राखल द्रवकें मनदोदरी पीबि लेलनि आओर ओ गर्भवती भ' गेलीह।रावण देशाटन पर गेल छलाह।से ओ लोकापवाद सँ बचबाक लेल मिथिलामे आबि शिशुकें जन्म देलनि आओर अमृत छीटि ओहि शिशु कें मंजुषामे राखि धरती त'रमे गाड़ि देलनि ।राज जनक जखन यज्ञक लेल ह'र जोति रहल छलाह तँ अनायासे सिराउर पर ह'रसँ  मंजुषा  ठेकलनि आओर ओहिमे सँ एकटा दिव्य कन्या बहरयलि।
'पढ़ि स्वस्तिवचन कहि श्रीगणेश
लगला जोतय यागक प्रदेश
लगिचौलनि चास बचाय  ठेस
ता भेल शुभद नवमी -प्रवेश
गम्भीर सिराउर लागि फार
उखरल पेटी शोभा-अगार 
ताहिमे राखल कन्या अनूप
नवजात चकितचित देखि रूप
ई दृश्य जखने उपस्थित भेल सभ आश्चर्यचकित भ' गेल। कविवर सीताराम झा एहि दृश्यक वर्णन एहि तरहें कयल अछि।
'छल निर्निमेष तत जनक दृष्टि
ता भेल गगन सौं सुमन वृष्टि
बिनु देहक वानी भेल व्यक्त
हेभूप! अहाँ छी परम भक्त
रहितहु नित निज कर्तव्य-शक्त
छी भेल करृमफल सँ विरक्त
छी बनल अछैतहुँ तन विदेह
तैं मानि  पितावत् सहित नेह
लक्ष्मी अवतरली स्वयं  जाय
होइछ सुकृतीकेँ सब सहाय
नहि विघ्न बुझू मंगल मनाउ
सकुशल उठाय लय भवन जाउ
छी धन्य अहाँ रिजर्षि- रत्न
ऐली कमला घर बिना यत्न
कविवर सीताराम झा  जानकी जन्मक बहुत रोचक कथा कहलनि अछि।सीताक अवतरणक कथा मे कविवर जी सीताक बाल्यकाल,किशोरी रूप आओर हुनक विवाह द्विरागमनक  बहुत सुन्दर वर्णन कयने छथि।ओ कहैत छथि सीता साक्षात् श्री स्वरूप छलथि।ओ विशेष उद्येश्यसँ मनुक्खक रूपमे अवतरित भेल छलीह।अम्बचरित जानकी जन्म कथाक महत्वपूर्ण महाकाव्य थिक।
'सीतायन' मैथिली साहित्यक अनमोल निधि अछि।सात खंड आओर उनचास सर्ग मे विभक्त एहि विशाल महाकाव्यक रचियता छथि वैद्यनाथ मल्लिक'विधु'।सीतायन महाकाव्यमे सीताक जन्म सँ ल'क' हुनक पाताल प्रवेश धरिक कथाक सांगोपांग वर्णन कयल गेल अछि। अछि ।पहिल सर्ग मिथिला दर्शनमे  जे मिथिला प्रदेशक वर्णन अछि ,से  जनमानसक मोनमे मिथिला प्रदेशक चित्र उपस्थित करैत अछि।मिथिलाक रीति रेवाज,कला संस्कृतिक , अध्यात्मिक उन्नति, कर्म प्रधान मिथिलाक वर्णन सीतायन महाकाव्यक एकगोट महत्वपूर्ण विशेषता अछि।सीता नारी शक्तिक प्रतीक छथि।सीताक बहन्ने महाकाव्यमे नारी शक्तिकें बहुत महत्वपूर्ण स्थान देल गेल अछि।सीतायण महाकाव्यमे पौराणिक कथाकें नवीनत शील्प ओ सौन्दर्यक संग जनमानसक समक्ष अनलनि अछि मल्लिक जी।समस्त संसारक साहित्यक इतिहासमे सीतासन शीलवान,गुणगरि नारी चरित्रक वर्णन  स्त्री जातिक लेल उत्कर्ष, प्रतिष्ठा ओ परम सम्मानक ओ आदरक बात अछि।द्रष्टव्य सीतायनक ई पांती--
'वाचक सीतायन ई शुचि सीताक चरित्रक
महामानवी एक तनिक कृतिकेर शुभ चित्रक
मर्यादा केर मूर्ति प्रिया मृणमयी सुखधामक
प्राणवल्लभा मर्यादा पुरोषत्तम रामक
शुभ चरित्र केर चित्र ई रामायण लिखि देल अछि
किछु करता राम से मुनि पहिनहि कहि देल।'
महकवि लालदास जकाँ मल्लिकजी सेहो सीताकें आदि शक्ति अवतार मानलनि अछि।सीताकें काली,पार्वती, लक्ष्मी,सरस्वती आदिक रूप मानलनि अछि।ईहो सीताकें जन्मना अयोनिजा कहलनि अछि जन्म कथाक वर्णन एना अछि--
'उद्भव शीतल कय जग,सीतोत्पत्ति शुभ प्रेम सं।
तनिक नाम सीता जपत,रहत सदा से क्षेम सँ।
सुखकर सुन्दर नाम सुनल षब कयल समर्थन।
जय सीता जय जनक करथि जयकार सकल जन।
सीताक जन्म सँ  ल' धनुषयज्ञ,विवाह, दूरागमक वर्ण भेबे कयल अछि राम द्वारा सीताक परित्याग करबा सँ कवि दुखी छथि।ई हिनक बिषादक भाव समस्त मिथिलाक भाव अछि।जे आइ धरि समस्त मिथिलावासीकें कचोटैत रहैत छनि।आइयो सीताक परित्याग कथा सुनि समस्त मैथिल संतानक देह सिहरि जाइत छनि।मन हाकरोश क' उठैत अछि।आक्रोश सँ भरि जाइतज अछि। सीतायन महाकाव्य मे सेहो एहि कृत्यक प्रति आक्रोन पकट कयल गेल अछि--
' सीता त्याग अति निन्दा छल
सीताक सुकीर्तिक वर्णन छल
मुनि बालक मुख सँ सुनि-सुनि सब आश्चर्य चकित आनन्दित छल
सुनि सीता सुयश रामदृगसँ झहरैत नोर दुखकर देखल
अबधक नारायणकें लक्ष्मी बिनु शोकाकुल मुनिवर देखल।
सीतायन मैथिली साहित्यक एकटा अनुपम ग्रन्थ अछि।एहि ग्रन्थमे सीताक उदात्त चरित्रक सांगोपांग वर्णन भेल अछि।कल्पनोमे जँ एहन सीता,जनकलली भेल छलीह तँ हमर ई दाबी अछि संसारक कोनो भाषाक साहित्यमे एतेक महान  ओ एहन आदर्श स्त्री पात्रक सृजन कियो कवि नहि क'सकल छथि।वास्तवमे रामायणमे सीताक भूमिका राम सँ बराबरीक अछि।कोनो चरित्र ककरो सँ झूस नहि।तथापि जखन एकटा साहित्यकारक रूपमे वाल्मीकि जीक ग्रन्थक आलोचकीय दृष्टि सँ देखैत छी तँ सीताक उदात्त चरित्र विराट छनि।महान छनि।
'मिथिलाक सिया धिया जगत जननी भेलीह धरणी बनल सुरधाम यौ।'
क्रमश:
दिलीप कुमार झा
dilipKumarjha4169@gmail.com

Friday, September 20, 2024

राम लोचन ठाकुरक गाम बाबूपालीक स्मरणीय यात्रा

 राम लोचन ठाकुरक गाम बाबूपालीक स्मरणीय यात्रा



जहिया-जहिया  राम लोचन ठाकुरजीक बिषयमे हम किछु लिखय बैसैत छी हमरा मोन पड़ैत अछि प्रसिद्ध साहित्यकार जीवकान्तक ई कथन जे ओ रामलोचन ठाकुरक बिषयमे कतहुँ लिखने छलाह 'राम लोचन ठाकुरक समकालीन मैथिलीक साहित्यकार संगी सभ  कतहुँ ने कतहुँ  कें मठाधीश भ' गेल छथि ओहो चाहितथि तँ आइ मठाधीश भेल रहितथि मुदा एतेक पैघ मैथिलीक सेनानी नहि भेल रहितथि जतेकटा एखन छथि। रामलोचन ठाकुर मैथिली भाषा -साहित्यक लेल काज करैवला विरल साहित्यकार छलाह।एकठाम राम लोचनजी लिखने छथि-लिख' बैसैत छी गंगावतरणक कथा लिखा जाइत अछि कोसी प्रांगणक व्यथा।' 

रामलोचन ठाकुर आइ नहि छथि।आइ हुनक मुइना एक बर्ष भ' गेलनि।तारीख अछि १३अप्रैल २०२२ ई.। मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष चन्द्र यादव,डा.शिवशंकर श्रीनिवास आओर केदार काननक संग हम विदा भेल छी राम लोचन ठाकुरक गाम पाली।पाली गाम मधुबनी जिलाक खजौली प्रखंड अन्तर्गत पड़ैत अछि।मधुबनी जिला मुख्यालय सँ पन्द्रह किलोमीटर ठीक उत्तर अछि पाली।राम लोचन ठाकुरक मानब रहनि जे वर्ण रत्नाकरक लेखक ज्योतिरीश्वरक जन्म एतहि भेल रहनि।



मधुबनीक गौशाला चौकपर गाड़ीमे बैसैत छी। आदरणीय अग्रज साहित्यकार लोकनिक सान्निध्यसँ  मोन गदगद  भ' गेल अछि।रामलोचन ठाकुरक चर्च आरंभ भ' जाइत छनि।केना ने होइन रामलोचन ठाकुरक अत्यन्त प्रिय साहित्यिक मित्र सुभाष चन्द्र यादव आओर डा.शिवशंकर श्रीनिवासक ल'ग अनेक संस्मरण छनि रामलोचनजीक  प्रसंग।

जखने गाड़ीमे बैसलहुँ सुभाष भाइकें प्रणाम केलियनि ओ हालचाल बिल्कुल साहित्यिक शैलीमे पुछि बैसलाह--

ऐं हौ दिलीप! पार्थ के बिआह तँ करौलहक मुदा  संतोषक बिआह कियै ने करौलहक?हम बुझि गेलहुँ जे सुभाष भाइ हमर टटका प्रकाशित उपन्यास 'सिराउर' पढ़ि लेलनि अछि।तकरे समीक्षा अछि ई  सुभाष भाइक शैलीमे।सुभाष भाइ उपन्यासपर आर किछु-किछु कहलनि।ओनाहियो सुभाष भाइ अपने माजल कथाकार ओ उपन्यासकार छथि बजितो दिने तका क' छथि।माने एकदम कम,नापल-तौलल, जतबे जरूरी ततबैक बजताह। आदरणीय केदार कानन ल'ग सेहो रामलोचनजीक प्रसंग  अनेक संस्मरण छनि से रामलोचनजीपर गपसप होब' लागल।बीचमे हुनक पार्किंसन बेमारी आओर घर सँ जे बौर गेलाह ताहि प्रसंग मर्मान्त पीड़ा!क चर्चासँ  थोड़ेक कालक लेल चुप्पी पसरि गेल‌।हुनक दुखद मृत्युक पछताबा समस्त मैथिली साहित्यिक संसारकें सीदित करैत रहैत छैक। बहुत दिन धरि सीदित करैत रहतै‌।जखन - जखन मैथिली आन्दोलन पर चर्चा हैत रामलोचन ठाकुर मोन  पड़ैत रहताह। 



आजुक यात्राक सूत्रधार सुभाष भाइ छलाह।ओना  रामलोचनजीक बर्षी मे पाली  जेबाक हमय नेयार पहिने सँ छल ताहि प्रसंग श्री नबोनारायण मिश्र(कुसमौल)सँ बातचीत भेल छल।मुदा हिनका लोकनिक अयबाक समाद पाबि हम बहुत प्रफुल्लित भेल रही।रस्तामे रामलोचन ठाकुरक जीवन संघर्षपर बहुतरास गप भेल। कोना गामसँ आगाँक पढ़ाइक करबाक लेल  कोलकाता  गेलाह आओर अपन पितियौत सुकदेव ठाकुरक संरक्षणमे पढ़य लगलाह। लगले फेर ओ कोना कोलकाता विश्वविद्यालयमे मैथिली बिषय पढबाक लेल संघर्ष कयलनि तकर कहानी सभ।सुभाष भाइ अपन कोलकाता प्रवास मे सुकान्त सोम ओ रामलोचनजीक प्रसंग कैकटा रोचक बात सभ कहलनि।हम सबटा सुनि रहल छलहुँ।मोन लागि रहल छल। कोना रामलोचन ठाकुर मैथिली रंगमंच सँ जुटि गेलाह  फेर मैथिली नाटकमे अभिनयक खिस्सा सभ।  रामलोचन ठाकुरक मादे अनेकानेक बिषयपर चर्च चलैत रहल। एतबेमे बेल्हवार,शीवीपट्टी ,दोस्तपुर,करमौली गाम टपैत पहुँच गेलहुँ पाली। रामलोचन ठाकुरक गाम।ऐतिहासिक ज्योतिरीश्वर ठाकुरक गाम।एहिसँ पहिने हम दू बेर गेल रही बाबूपाली।दुनू बेर रामलोचन जीसँ भेट करबाक लेल गेल रही।आइ पहिलबेर जा रहल छी जहियाओ स्वयं नहि छथि। उपस्थित छनि हुनक साहित्यकार।हुनक साहित्यिक कृति।मातृभाषाक मादे हुनक संघर्षक इतिहास।कृति कहियो मरैत नहि छैक तें रामलोचन ठाकुर मुइल नहि छथि! ओ जीबैत छथि।हुनका घरपर पहुँचैत छी।छोटसन दरबज्जा,अँगनामे  दू कोठरीक बिनु प्लास्टर कयल पजेबाक घर।ज्येष्ठ पुत्र पिताक  एकोदिष्टक कर्म करैत छथि।स्वागत लेल ठाढ़ि छथिन हुनक पत्नी सहृदया,आदरणीया श्रीमती सीता ठाकुर। हुनक पुत्र सभ आओर पौत्र आलोक।ओना तँ सभकें देखि क'अतिव प्रसन्न भेलीह सीता ठाकुर' मुदा सुभाष भाइक आगमनसँ सीता ठाकुरक अह्लादक कोनो सीमा नहि रहनि। ओ स्मृतिमे हेरा गेलीह।कंठ अवरूद्ध भ' गेलनि।साहित्यकार लोकनिकें देखैते देरी रामलोचन ठाकुरक जे अवसाद रहनि से लगलनि जेना क्षणहिमे मेटा गेल होइन।हमसभ पहुँचलहुँ लगले कोलकाता प्रवासी दूगोट आओर साहित्यकार सेहो पहुँच गेलाह सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक आओर साहित्यकार श्री योगेन्द्र पाठक वियोगी आओर श्री विजय कुमार इस्सर।योगेन्द्र पाठक वियोगीजी रामलोचनजीकें बहुत प्रिय छलखिन। जहाँ धरि जनतब अछि वियोगीजी आओर केदारनाथ चौधरीजीकें  मैथिली साहित्य लेखन दिश आकर्षित करबामे रामलोचन ठाकुरक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका छलनि‌।एहन कर्मठ व्यक्तित्वक दलानपर एहन नामी साहित्यकार सभक संग बैसि क' विमर्श करब अपना आपमे बहुत महत्वपूर्ण अछि। हमरा लेल तँ विशेष अवसर सौभाग्यक बात। एहि यात्राक मैथिली साहित्यक दृष्टिसँ सेहो बहुत महत्व अछि। बात हुनक अनुवाद कर्मक होबय लागल।हम कहल जे हुनक अनुदित पोथी पद्मानदीक माझी हमरा बड़ पसिन पड़यै ,अनेक बेर हम पढ़ि चुकल छी। ई माणिक वन्द्योपाध्याय लिखित बांग्ला उपन्यास पद्मानदीर माझीक अनुवाद अछि।से एहन विलक्षण अनुवाद जे मूल सँ कनियों कम नहि। एहि क्रममे हमरा नदी संस्कृतिपर तकषि शंकर पिल्लैक मलयालम उपन्यास  'चेम्मिन' मैन पड़ल  जाहि उपन्यासकें मलाहिन नाम सँ मैथिली अनुवाद कयने छथि राम नारायण सिंह।हम डा.शिवशंकर श्रीनिवास पुछलियनि  श्रीमान! मैथिलीमे नदीक कछेर वा नदीक जीवनपर कोन-कोन उपन्यास अछि।तत्काल ओ दूगोट नाम कहलनि साकेतानन्दक सर्वस्वांत आओर धीरेन्द्रक 'ठुमकि बहु कमला'।

राम लोचन ठाकुर एकटा महान अनुवादक छलाह।हुनका बंगला  भाषा पर बहुत पकड़ छलनि।बंगलाक अनेक महत्वपूर्ण उपन्यासक ओ मैथिलीमे अनुवाद कयने छलाह जाहिमे नंदित नरके (हुमायुँ अहमद) कोशी प्राँगणक चिट्ठी(विभूति भूषण मुखोपाध्याय) आदि महत्वपूर्ण अछि‌।डा.  शिवशंकर  श्रीनिवास, केदार कानन,सुभाष चन्द्र यादव,आओर हम दिलीप कुमार झा चारू गोटय पाली सँ घुरतीमे मिथिलाक प्रसिद्ध शक्तिपीठ दु:खहर स्थान गेलहुँ।राजराजेशश्वरी क प्राचीन मंदिर।केदार कानन आओर सुभाष भाई साइत पहिल बेर   डोकहर भगवती स्थान गेल रहथि।शिवशंकर पहिनहुँ ओहि स्थलपर आबि चुकल छलथि।एहि मंदिरमे शिव शक्तिक संयुक्त भव्य प्राचीन प्रतिमा अर्धनारीश्वरक रूपमे विद्यमान छथि।एहि मंदिरक मिथिलाक तंत्र पद्धतिमे बड़ ख्याति अछि।बहुत प्राचीन मंदिर अछि।एहि मंदिरपर लागल एकटा अपठित शीलालेख सेहो अछि। साहित्यकार सभकें दु:खहर(डोकहर) स्थानक शान्ति ओ नीरवता सम्मोहित कयलकनि। हमरा तँ एहि स्थानक नीरवता बहुत आकर्षित करैत रहयै।यदा-कदा जाइत रहैत छी।हम जहिया कहियो मधुबनी सँ अपन गाम उच्छाल जाइत-अबैत रहैत छी किछु क्षण एहि जगह पर बितेबाक इच्छ  रहैत अछि।एहि क्रममे शिवशंकर श्रीनिवास कहलनि जे किछु बर्ष पूर्ब रामलोचन ठाकुर लोहना आयल लहथि।शिवशंकर श्रीनिवसक ओतय रात्रि विश्राम कयलनि। प्रात:काल दुनू गोटे लोहनाक प्राचीन गौड़ीशंकर मंदिर टहल' गेलाह।ओतय कोनो सूचना  हिन्दी मे लिखल देखि रामलोचन ठाकुर क्षोभ व्यक्त कयलनि।मंदिरक प्रबंधन किछु दिन बाद ओतय  बसटा बात मैथिलीमे लिख देलनि।एहि सँ ई स्पष्ट होइत अछि जे समय स्थान देखि क' बाजब बड़ महत्वपूर्ण होइत अछि। मंदिरक परिसरमे मंदिरक गप होइत रहय एहि क्रममे हमरा मोन पड़ि गेल हुनक माटि पानिक गीत‌।राम लोचन ठाकुरकें मिथिलाक जन जीवनमे रचल-बसल मिथिलाक लोक संस्कृतिक अवयव सभ आकर्षित करैत रहैत छलनि।एक दिश परंपरा भंजक छलाह तँ दोसर दिश  अपना देस कोसक संस्कृति सँ आत्मीय लगाओ छलनि।तें मिथिलाक दोग-दोग मे छिड़िआयल लोक कथा सभक संग्रह कयलनि।तहिना माटि पानिक गीत--

'तीर पर अवस्थित पुनि यज्ञ तीर-तीर।

पावन एहि धरतीक तीर्थ गाम-गाम।

स्रष्टा जन पूजक आ पूजित ओ सृष्टि।

माटिक शिव बना पुनि प्रतिष्ठाक प्राण।

महिमा गबैछ जकर उपनिषद पुराण ।

मिथिले मम मातृभूमि तिरहूति ललाम।

फेर हम सभगोटा गाड़ी मे बैसैत छी आओर आबि जाइत छी मधुबनीक जानकी पुस्तक केंद्र पर।ओतय सुभाष भाइ आओर डा.शिवशंकर श्रीनिवास खाइ छथि पान  जयनाथक दोकानक।केदार कानन किन लगलाह मधुबनीक फोका मखान।यात्रा बहुत स्मरणीय,मर्मस्पर्शी तँ रहबे कयल,मनलग्गू सेहो। हमरा लेल बहुत आनन्ददायक क्षण जे एहन विशिष्ट साहित्यकार सभक सान्निध्य प्राप्त भेल।



Tuesday, October 3, 2023

Mithila Makhaan: Revolutionizing Maithili Cinema

मिथिला मखान देलक अछि मैथिली सिनेमाकें नव पहिचान

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...