नहि किन्नहु नहि!
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किन्नहु नै छोड़बाक लेल तैयार छी
अपन मरौसी ई साबा कट्ठा घरारी
चलि गेला समांग सभ
डीहकेँ अन्हारगुज्ज जानि क'
प्रभात काल टहलै छथि बड़का उद्यानमे
जाहिमे एकोटा फलदार गाछ नहि
प्रसन्नता एहिबातक जे ओ लोकनि
स्वस्थ आ सहज छथि
मुदा
हमरा मोनक कोनो कोनमे
आशक एकटा इजोत सदिखन टिमटिमाइत अछि
मोन उबियेलापर
जखन कखनो असहज होब' लगता नगरमे
अओता अपना डीहपर
देखता एकर विकास अपने नयनसँ
विकास शब्दसँ भ' सकैये
अहाँ अचंभित भेल होइ
मुदा पूरा होसमे हम देखि रहल छी
डीहकेँ फेर सँ जगजिआर होइत
माटिक चुम्बकीय तागति
लओतनि हुनको लोकनिकेँ घिचि क'
जहिया ओ लोकनि अओता
हमहुँ मनायब दियाबाती
ताबत एहि उमेदमे बचौने छी डीह
नितह बारैत छी
काँच माटिक एकटा दीप।
किन्नहु नै छोड़बाक लेल तैयार छी
अपन मरौसी ई साबा कट्ठा घरारी
चलि गेला समांग सभ
डीहकेँ अन्हारगुज्ज जानि क'
प्रभात काल टहलै छथि बड़का उद्यानमे
जाहिमे एकोटा फलदार गाछ नहि
प्रसन्नता एहिबातक जे ओ लोकनि
स्वस्थ आ सहज छथि
मुदा
हमरा मोनक कोनो कोनमे
आशक एकटा इजोत सदिखन टिमटिमाइत अछि
मोन उबियेलापर
जखन कखनो असहज होब' लगता नगरमे
अओता अपना डीहपर
देखता एकर विकास अपने नयनसँ
विकास शब्दसँ भ' सकैये
अहाँ अचंभित भेल होइ
मुदा पूरा होसमे हम देखि रहल छी
डीहकेँ फेर सँ जगजिआर होइत
माटिक चुम्बकीय तागति
लओतनि हुनको लोकनिकेँ घिचि क'
जहिया ओ लोकनि अओता
हमहुँ मनायब दियाबाती
ताबत एहि उमेदमे बचौने छी डीह
नितह बारैत छी
काँच माटिक एकटा दीप।

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