तोहीं लोकनि छियह भविष्य
जे किछु बाँचल अछि तोरहि लोकनिक हाथे
गछैत छियह
जे बिरहि गेल हमरा लोकनिक माथे
मोन पड़ै छथि माय
भरिदिन टकुरि जकाँ नचैत छलि
तैयो नितह पराती गबैत छलि
तोरा लोकनिक केँ
सर्कसक वस्तु बनेबाक चलिए रहल छह प्रयास
ताहि सँ रहिह' सावधान
तों प्रदर्शन नहि
संरचना थिकह
रीति नहि नीति थिकह
पूरा विश्वासक संग
हम ई कहि सकैत छी जे
तोरहि सँ ई निर्माण
आनंदक एक -एक क्षण तोरहि लोकनिक नाम
एहि आनन्दोत्सवक सहयोगी बनि
हमहुँ अपना केँ धन्य बुझैत छी।
No comments:
Post a Comment