Friday, March 15, 2019

EXAM---Poem in Maithili

परीक्षा
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आइ भ' रहलनिहें आरभ नेना लोकनिक परीक्षा

बहुतरास बुतरू डेरायल सहमल छथि 
परीक्षाक भयसँ
परीक्षा डेरेबाक बिषय नहि छैक बाउ लोकनि
परीक्षा छियै साहससँ स्थिति केँ सामना करबाक नाम
चाहे ओ परीक्षा मैट्रिकक हो वा
देशक सीमा,सरहदपर
देखियैन बाबू केँ कएकबेर परीक्षा दैत
जखन धानक बाउग कयल बिहनि सुड्डाह होम' लगनि
कोना क' राति- राति क' करीन पटा क'
ओकरा बचाबथि
जाहि साल रोपल,कमौठ कयल धान पानिक अभावमे बौक भ' जानि
अपनहुँ किछु दिनक लेल बौक भ' जाइत रहथि
मुदा किछुए दिनक पछाति
अगिला फसिलक ओरियानमे लागि जाइत रहथि
बौआ/बुच्ची परीक्षा एतहिटा नहि छैक
जखनि अहाँ आगाँ बढ़बै
विद्वान पढ़ल,लिखल लोकक दुनियाँमे जेबै
त'एहनो लोकसँ सोझां- सोझी हैत
ओहो अहाँक परीक्षक बनता
जे अपने कहियो निष्ठा सँ परीक्षा नहि देलनि
तखन कतेक ग्लानि आ आक्रोसक बोध होइछ
जकर अन्दाज लगायब सहज नहि
तथापि देखिते छी
बेर-बेर अनुतीर्ण भेलाक बादो
हम परीक्षा देनाइ नहि छोड़ल अछि
अहुँलोकनि बिनु कोनो तनाव के दियौ परीक्षा
साहस आ धैर्यक परीक्षा
असफतलासन नकारत्मक शब्द केँ
सफलतामे बदलि देबाक परीक्षा।

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