Friday, March 15, 2019

Maithili Poem On My Father

पिता बहुत आगाँ छथि----------------
हमर पिता विद्वान नहि रहथि
साहित्यकार त' नहिये रहथि
जीबाक लेल कोरथि माटि
उपजाबथि रंग- विरंगक अन्न
स'ख छलनि लगेबाक रंगबिरही गाछ
जेना हमरा व्यसन अछि रचबाक ई पाँती
पिता बड़ यत्नसँ गाछ रोपैत छलाह
ओकर वृद्धि आ पोषणपर
पूर्ण धियान दैत छलाह
आइ ओ गाछसभ भकरार भ' रहलए
फल-फूलसँ महमह करैत उद्यान
हुनक स्वप्नकेँ साकार क' रहलए
हमर शब्दक ई संयोजन
कहियो बराबरी क' सकत हुनक गाछक
हमरा जनैत नहि
कहियो हुनक गाछ जकाँ
बिलहि सकत प्राणवायु वातावरणमे
तकरो संभावना नहिये अछि
कृषक रहितो पिता
हमरा सँ बहुत आगाँ छथि
बहुत...

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