Friday, March 15, 2019

Eye -- Maithili Poem



आँखि
जहिया हम अहांकें पहिल बेर देखने रही
अहां रहल होएब उनैसक
आ हम एकैसम मे प्रवेशे कयने रही
एके अझक मे अहांक आँखि हमरा मोहि नेने रहय
सांच कहैत छी
पहिल बेर अहांक आँखि देखला उत्तर केनो आन अंग देखबाक
कनियों नञि भेल रहय लिलसा
प्रिय, अहां आइ सत्तरिक छी
आ हम बहत्तरिक
आर जे भेल हुए
मुदा अहांक आँखि ओहिना अछि
अजगुत जे एखन सुन्दरता
सिसोहल टांग मे तााकल जाइया
उघार आंग मे ताकल जाइया
सुन्दरता एल.इ.डी. सं नहायल इजोत मे थोड़े भेटत
एकरा लेल तरेगनक दुधिया इजोत मे नहायल पूर्णिमाक चान देखियौ
बेसी फरिछा क देखबाक हुएत
विद्यापतिक राधा मे तकियौ
महाकविक मेघदूत उनटबियौ
सुन्दरताक नहि होइछ कोनो पाँखि
सुन्दरताक लेल चाही ओहेन आँखि

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