Friday, March 15, 2019

Peom On Mithila

बालुक भीत पर ठाढ़ एकटा प्रान्त
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बालुक भीत पर ठाढ़ एकटा 
उपटल सन प्रांत
जकरा लग नहि छैक बाँचल 
कोनो खनिज ,कोनो लवण
उद्योग-धंधा पूर्बहि सँ छैक चौपट
नहि रहि गेलै डाँड़ मे सक
जे द' सकय दू साँझक बुतात
अपना लोक के
अपने माँटि पर
सभटा बौद्धिक सम्पदा के कोशी मे डूबा
बेच रहलए नदी कछेरक बालु
खखोर'पर विर्त अछि
सोन,पुन-पुन
कमला ,करेहक करेज
जे किछु बाँचल छल काज -रोजगाड़
सेहो भ' रहल अबाह
सरकार! अपने शिक्षा केँ अधोगति मे पहुँचा
पहिनहि कयल तबाह
खेत आ खेतिहरक हालति पहिनहि सँ भेल घबाह
जेहो मजूर मम्मत सँ धयने छल धरती
सेहो उपटि क' जा रहलए
तोड़' अनकर पड़ती
सरकार अपने लेल धनसन
अहाँ बालु बेचू ,माँटी बेचू
खाक बेचू,पात बेचू
आनोठां के परसादे
ठाढ़ करै छल एकचारी,दूचारी
सेहो भ' गेलै ठप
अकानियौ!
छिना गेलै मजूर सभक काज
बनिक सभ ठाढ़ माँझ सड़क
सोचथि सकल समाज
सभ चलि जायत महानगर
बनि जायत मजूर
महुमंजिला भवन निर्माण मे
कियो ने भेटत किननिहार
जोखैत रहब बालु
अपने माथ पर कंसार पजारि
भूजैत रहब मूरही

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