चोंचाक खोता
एक जोड़ चोंचा कैएक दिन सँ
हमरे घरक भीतर बनब चाहैछ
अपन आश्रय/ अपन खोंता
यत्र-तत्र सँ / रंग-बिरंग क तिनका
संग्रहित कअ लागल अछि उद्यम मे
छिटल खर- पात के बहारैत काल
नितह कहै छथि पत्नी
एकरा भगाउ/तंग कयने अछि
अहा ! की करबै
अपन घर बना रहलए
कखनो गर सँ देखलियै
एहि चोंचाक जोड़ा केँ
जुआनी मे पायर धरबे कयलक अछि
खोंता बना ओहि मे विश्राम करत
निश्चिंत सँ प्रणय विहार करत
ओ लोकनि ओ सबटा करअ चाहैत अछि
जे हमरा लोकनि नञि कअ पौलहुँ
नष्ट कअ लेलहुँ सुवर्ण जुआनी
एहि दू कोठरीक घरक लेल
करअ दियौ विलास
भेटतै ई दिन फेर
गाछ -बिरिछ पर खोंता कियो बनबअ दैत छैक
गाछवला कें गाछक किरेजा चाही
आ सरकार के सर्विस टैक्स
सोचियौ ! बेचारा कतय जाय
चोंचाक जोड़ा कें सांकेतिक भाषा मे पुछलियै
घरके भितर घर बनेबह
संकेते मे उतारा देलक
ककरो घर पर घर
आ हम सब दिन रहू
अकाशे तर ---
एक जोड़ चोंचा कैएक दिन सँ
हमरे घरक भीतर बनब चाहैछ
अपन आश्रय/ अपन खोंता
यत्र-तत्र सँ / रंग-बिरंग क तिनका
संग्रहित कअ लागल अछि उद्यम मे
छिटल खर- पात के बहारैत काल
नितह कहै छथि पत्नी
एकरा भगाउ/तंग कयने अछि
अहा ! की करबै
अपन घर बना रहलए
कखनो गर सँ देखलियै
एहि चोंचाक जोड़ा केँ
जुआनी मे पायर धरबे कयलक अछि
खोंता बना ओहि मे विश्राम करत
निश्चिंत सँ प्रणय विहार करत
ओ लोकनि ओ सबटा करअ चाहैत अछि
जे हमरा लोकनि नञि कअ पौलहुँ
नष्ट कअ लेलहुँ सुवर्ण जुआनी
एहि दू कोठरीक घरक लेल
करअ दियौ विलास
भेटतै ई दिन फेर
गाछ -बिरिछ पर खोंता कियो बनबअ दैत छैक
गाछवला कें गाछक किरेजा चाही
आ सरकार के सर्विस टैक्स
सोचियौ ! बेचारा कतय जाय
चोंचाक जोड़ा कें सांकेतिक भाषा मे पुछलियै
घरके भितर घर बनेबह
संकेते मे उतारा देलक
ककरो घर पर घर
आ हम सब दिन रहू
अकाशे तर ---

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