Friday, March 15, 2019

Maithili On Environment Day

विश्व पर्यावरण दिवसक अवसर पर एहि बेर दूटा काज कयलहूं अपन विद्यालय परिसर मे छः टा गाछ (दू टा आम ,दू टा अशोक,एकटा गुलमोहर आ एक टा भालसरिक) गाछ लगौलहुँ संगहि,अलोपित शिर्षक सँ ई तीन टा कविता---
अलोपित(कविता)
(१)
सतुआइनो होइते अछि
माटिक घैल सेहो उसरगल जाइते अछि
सनातनी होइत आयल अछि
होइते रहत घट-दान
मुदा माटिक घैल कहिया धरि ?
माटि ने अलोपित भअ जेतै
सोन-चानी ,लोह -ताम
पित्तरि-फाइवर थोड़े अलोपित हेतै|
(२)
आइ माननीय कें गृह-प्रवेश छनि
वास्तु शास्त्रक अनुसारे श्रीमतीजी रखती
चरण-कमल नव-घर मे
सब सरमजाम जुटाओल गेल
पंचरत्न,पंचगव्य ,मंचामृत
सप्तमृतिका/नवग्रह काठ
सबटा भेटि गेलै कारक जीक दोकान मे
मुदा पंचपल्लव नहि भेटलै
आदेश
जतअ सं हुए लाउ
जेना हुए पंच पल्लव जुटाउ
साहेब/आब कतहु छैक गुल्लरि,गम्हारि
कतहु छैक बड़,पाकरि
पुरोहित जी तखन करबै की
कोना हुए ओकर निदान
फाइवरक पंच पल्लव मंगाओल जाय
श्रीमान |
(३)
गामे गाम वासंती नवरात्रक अछि आयोजन
मुरुतक रंग-टीप
साज-सज्जा
ध्वनि-विस्ताकर यंत्र
सबटा अफरात
वातावरण भक्ति उल्लास सं गुंजायमान
किछु अलोपित भेल अछि
ओ अछि वासंता सुरभि|

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