Sunday, April 23, 2023

कावेरी कछेरसँ निलगिरी पहाड़ी धरिक यात्रा



                                      कावेरी कछेरसँ निलगिरी पहाड़ी धरिक यात्रा

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

पछिला सप्ताह कर्नाटक के यात्रापर रही।पुत्री सुश्री मैत्रेयी बंगलुरुमे सूचना प्रोद्योगिकी क्षेत्रमे काज क' रहलीह अछि।से हुनका सँ भेटघाट करबाक लेल पत्नी श्रीमती पुष्पा झाक संग बंगलुरु गेल रही।पर्यटनप्रेमी लोक छी,ल'ग सँ जीवन देखय चाहैत छी से जे किछु देखि सकलहुँ तकरे संक्षिप्त अनुभव साझी क' रहल छी।उमेद अछि नीक लागत। बंगलुरु एकटा साफ सुन्दर महानगर,कर्नाटक प्रदेशक राजधानीक संगहि संसार भरिमे सूचना प्रौद्योगिकी लेल एकटा केन्द्रीय स्थलक रूपमे जानल जाइत अछि। ओना बंगलुरु नगरमे हमरा आधुनिक मौल जे महानगरीय संस्कृतिमे आधुनिक विकासक तीर्थ स्थल मानल जाइत अछि से नीक अवश्य लागल ,फिनिक्स माल बेस पसिन पड़ल मुदा नदीक कछेरक रहैवला,गाछ पातसँ प्रेम करैवला लोक छी हम से महानगर तँ बेसी आकर्षित  नहिये करैत अछि ई सीमेन्ट कंक्रीट महावन सभ। हँ,मुदा एतुका इस्कान मंदिर बहुत पसिन पड़ल।ओना समवेत कन्नर संस्कृति हमरा बेस प्रभावित कयलक। आगाँ  जे किछु  देखल  सैह परसि रहल छी।

कर्नाटक  सांस्कृतिक रूपसँ उन्नत क्षेत्र अछि।ओ लोकनि अपना भाषासँ अगाध प्रेम करै छथि।भाषा आओर लिपिक संरक्षण मन प्राणसँ करैत छथि।मैथिली आओर कन्नर भाषामे कोनो साम्यता तँ नहि बुझायल मुदा किछु शब्द मैथिली आओर कन्नरमे एकेरंग प्रयोग होइत देखायल जेना-केश,उपनयन,तरकारी,लोटा इत्यादि।ओना शोध कयलापर आरो शब्द भेटि सकैत छैक।हमरा लगैत अछि शब्दक साम्यताक कारण दुनू भाषापर संस्कृत भाषा-साहित्यक प्रभाव रहल होयत कियैक तँ संस्कृत भाषाक बहुत शब्द कन्नरमे कने-मने इमहर-ओमहर क'क'प्रयोग होइत छैक।जेना मीन (माछ) कें मीनू  नीर(पानि) नीरू कहल जाइत छैक।ई तँ भेल शब्दक बात,अरिपन देबाक संस्कृति दुनू ठामक एकरंगाहे बुझायल।ओना मिथिलामे पाबनि-तिहार ,धार्मिक, सामाजिक ओ पारिवारिक उत्सव ओ संस्कारक अवसर अरिपन देल जाइत अछि मुदा कर्नाटकक गाममे आँगनमे  तथा शहरमे घरक आगाँमे नित्तह अरिपन पाड़ल जाइत अछि से पीसल अरबा चाउरक पिठारसँ। अवसर विशेषपर अरिपनकें शोभायमान करैक लेल अनेक रंगक प्रयोग करैत अरिपन बनैत अछि।मिथिला आओर कर्नाटकक अरिपनमे अन्तर एतबैक जे मिथिलामे अरिपन पारलाक बाद ओहिपर सिन्दुरक ठोप लगायल जाइत छैक मुदा ओतय सिन्दुर ठोप नहि लगायल जाइत अछि। अरिपनक संग-संग रंगोली सेहो पारल जाइत अछि।ो

पहिराबा सेहो मिलैत जुलैत अछि।स्त्रीगण लोकनि साड़ी पहिरैत छथि से पहिरबाक शैली मिथीले जकाँ बुझायल।स्त्री लोकनि विशेष अवसरपर इल्कल शैलीमे साड़ी पहिरैत छथि‌।पुरुष लोकनि धोती पहिरैत छथि मुदा धोती पहिरक ढंग मिथिलासँ पृथक‌ अछि।ओना पुरुष सब मिथिले जकां  ओतहु तेजीसँ अपन परिधान छोड़ि रहल छथि‌।

भोजनमे भात प्रिय दुनू क्षेत्र अछि।तीमन -तरकारीक ढंग अलग।इडली,डोसे ,साम्भर,सागू, बड़ा आदि प्रिय भोजन छनि हुनका सबहक।माछ ओतहु लोककें प्रिय छैक।नदीसँ माछ पकड़ि क' भोजनमे शामिल करबाक रेबाज ओतहु छैक।मैसुर पाक प्रसिद्ध मिठाइ अछि, मैसुर पाकक अपना ओतुका रसगुल्ला जकाँ पहिचान ओ प्रतिष्ठा छै।मैसुरक एकटा रेस्तरांमे ब्रेड हलुआ खुएलक से बड़ स्वादिस्ट लागल।

गीत-संगीत प्रेमी अछि कन्नर कावेरीक ई प्रदेश।ओतय शास्त्रीय संगीतक गायन प्रमुख अछि। कर्नाटक संगीत बेस प्रसिद्ध अछि।लोकगीतमे यक्षगान  सेहो बेस प्रसिद्ध अछि।बोलचालक प्रमुख भाषा कन्नर अछि जकर समृद्ध साहित्य छैक,भारतीय संविधानक आठम अनुसूचीमे मान्यता प्राप्त छैक।भाषा मात्र कन्नरे टा नहि अछि,तुलु, कोंकणी,कोडव आदि भाषा सेहो बाजल जाइत अछि।अनेक जनजातीय भाषा सेहो बाजल जाइत अछि‌। कन्नर भाषाक साहित्यक भारतीय भाषाक मध्य महत्वपूर्ण स्थान अछि।पौराणिक कविमे कुंवपु ओ अंविकातनयदत्त कें सर्वश्रेष्ठ स्थान छनि। कन्नर साहित्यमे लघुकथा बेस लोकप्रिय विधा अछि ओना नाटक आओर उपन्यास सेहो खूब विकास कयलक अछि। अनुवादक क्षेत्रमे महान योगदानक लेल कवि,अनुवादक वसवप्पा शास्त्रीकें अभिनव कालिदास कहल जाइत छनि‌।आधुनिक साहित्यक सेहो एतय खूब विकास भेल अछि। हमरा तीनगोट कन्नर साहित्यकार जिनका हम पढ़ने छी मोन पड़ैत छथि।पहिल वैदेही जिनक मूलनाम ' जानकी श्रीवासवामूर्ति जे कन्नरक प्रसिद्ध कथाकार ओ उपन्यासकार छथि।'पक्षीगलू'  पुस्तकपर हुनका साहित्य अकादमी पुरस्कार हुनक भेटल छनि।दोसर जे मोन पड़ैत छथि शिवराम कारंथ जिनका आधुनिक भारतक रवीन्द्रनाथ टैगोर कहल जाइत अछि‌। कारंथकें ज्ञानपीठ पुरस्कार सेहो प्राप्त छनि,तेसर नाम जिनकासँ हमरा लगातार सम्पर्कबनल अछि ओ छथि  एस. सिद्धिरमैया जे प्रसिद्ध कन्नर कवि ओ.नाटककार छथि।

कन्नर आओर मिथिलामे एकटा आओर साम्यता बुझायल जे नदी संस्कृति जनजीवनमे दुनू ठाम गहींर तक अपन पैसार कयने अछि।कावेरी ओतुका प्रमुख आओर पवित्र नदी तीर्थ अछि।कावेरीकें दक्षिणक गंगा कहल जाइत छैक‌।जे पूण्य काज उत्तर भारतक लोक गंगाक तटपर करैत छथि ओ सबटा काज हम कावेरीक तटपर अत्यन्त श्रद्धाक संग होइत देखल। हमहुँ दुनू गोटा कावेरीमे स्नान कयल।कावेरी ओतुका महानगर बंगलुरु आओर मैसुरु सहित अनेक नगरक जल आपूर्तिक करैत जीवनदायिनी बनल अछि।कावेरीक तपपर अनेक पर्यटन स्थल अछि जे पर्यटककें आकर्षित करैत अछि।ओना कावेरीक अतिरिक्त अनेक छोट पैघ नदी सेहो अछि।जनमानसमे नदीक प्रति बहुत श्रद्धा अछि।

कन्नर लोकनिक भाषा प्रेम आओर बंगलुरू,मैसुरुसन महानगर बनलाक बादो अपन संस्कृतिकें ओ सब अक्षुण्ण रखने छथि।मिथिलाक  लोक जे तीव्र गतिये अपन भाषा,अपन भोजन,अपन पहिराबा-ओढ़ाबा सबटामे पंजाबीक नकल क' रहल छथि।एहन कश्चगामी समाजक लोकक लेल निश्चिते ओ लोकनि अनुकरणीय छथि।


                                           मैसुरु आओर रंगपटनमक यात्रा

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------



कर्नाटक धरोहर शरह अछि मैसुरु,पुरान नाम मैसुर।

मैसुरु भारतक एकटा धरोहर(Heritage) नगर अछि।एकरा सीटी आफ पैलेस सेहो कहल जाइत अछि।मैसुरक राजाक महलक बनाबट,सजाबट ओ संरक्षण ठीके अद्भुत अछि।आधुनिक रुपसँ सेहो एकटा विकसित नगर अछि मैसुरु।मैसुरक नाम आब मैसुरु भ' गेल अछि ओना एकर पुरान नाम महिषसूर छल जे राक्षसराजा महिषासुरक नामसँ राखल गेल छल।भारतमे कोनो महल के देखबाक लेल ताजमहलक बाद मैसुर पैलेस सबसँ बेसी लोक अबैत अछि‌। एतय संसार भरिक पर्यटक  अबैत छथि।



कृष्णराज वाडियर-३ के द्वारा वर्तमानक ई महल बनाओल गेल अछि। अद्भुत् अछि महल।साँझक लाइटिंग तँ आर अद्भुत होइत अछि जे हमरा देखबाक अवसर नहि लागल।एतुका राजा द्वारा एकटा विलक्षण वास्तुकला,चित्रकला ओ संगीतकलाक विकास कयल गेल छल जकरा समवेत रूपसँ ' मैसुर शैली'क नामसँ जानल जाइत अछि।एतबे नहि वर्तमानमे आइ.टी सेक्टरक कंपनी सबहक ई बेस आकर्षण केन्द्र ओ हब बनल अछि। एतय  देश - विदेशक अनेको आइ.टी कंपनी काज करैत अछि। भारतीय भाषा संस्थान आओर मैसुरु विश्वविद्यालय सेहो भारतक शिक्षाक मानचित्रपर बेस प्रशस्त अछि।एतुका महल सबकें देखिहक' हमरा बेर- बेर राजनगर ओ दरभंगाक जर्जर ओ विपन्न अवस्थामे पड़लअभिशप्त महल सब मोन पड़ैत रहल।



एहि पैलसक अतिरिक्त जगमोहन पैलेस आओर वृन्दवन गार्डेन सेहो  बहुत आकर्षित केलक।६० एकड़मे पसरल कावेरी डैम के नजदीक अद्भुत अछि वृंदावन गार्डन। वृन्दावन गार्डेनक निर्माण १९३२ मे भेल छल।एतुका फाउण्टेन सब  विशेषक' म्युजिकल फाउण्टेन  पर्यटक लोकनिक लेल आकर्षक केन्द्र अछि।

मैसुरु सँ पंन्द्रह किलोमीटर दूर अछि चामुण्डी हिल्स एकटा मनोरम पहाड़ी अछि।पूरा रस्ता चाननक गाछसँ  महमह करैत जंगल अनामति आओर संरक्षित अछि।एतय अवस्थित अति प्रचीन द्रविड़शैलीमे निर्मित भगवती चामुण्डेश्वरीक प्रसिद्ध मंदिर अछि।जकर निर्माण १२म शताब्दीमे होयसल राजवंश के राजा द्वारा कयल गेल छल।एहि मंदिरकें भारतक एकावन शक्तिपीठमे सँ एक मानल जाइत अछि। एतय पहाड़ी पर महिषासुरक भव्य प्रतिमा सेहो लगायल गेल अछि।मार्कण्डेय पुराणक अनुसार  भगवती दुर्गा एतहि महिषासुरक बध कयने छलीह।




दू सय बर्ष पुरान सेंट कैथोलिक फिलोमेना चर्च सेहो बहुत नीक अछि आओर पर्यटक लोकनिक आकर्षणक केन्द्रमे अछि। श्रीरंगपट्टनम सेहो एकटा ऐतिहासिक नगर अछि जे मैसुरुसँ १५ किलोमीटर उत्तर -पश्चिममे पवित्र कावेरी नदीक कछेरमे मांड्या जिलामे अवस्थित अछि।

नौम शतिब्दीमे निर्मित बैष्णव सम्प्रदायक श्रीरंगनाथस्वामीक प्रसिद्ध मंदिर आओर टिपू सुल्तानक महल,किला ओ समाधिक लेल जानल जाइत अछि श्रीरंगपटनम।

टीपू सुल्तान ईस्ट इण्डिया कंपनीक सेनासँ बहुत बहादूरीसँ लड़ल छलाह। टिपू सुल्तानक सेना आधुनिक शस्त्रास्त्रसँ सुसज्जित छल।कैकबेर ओ अंग्रेजी सेनाकें परास्त कयने छल मुदा चारिम  आंग्ल -मैसुर युद्ध १७९९ मे टीपू सुल्तान मारल गेल छलाह।एतय हिनक पूरा परिवारक सारा (समाधि)ओ महल दर्शनीय अछि‌।ओ कैकटा हिन्दूमंदिरकें सेहो नष्ट कयने छलाह से जनतब ओतुका गाइड लोकनि देलनि ओ भग्नावशेष सब देखयबो कयलनि।आब श्री रंगपट्टनम कोनो आकर्षक नगर नहि अछि मुदा ऐतिहासिक महत्वक हेबाक कारण एखनो  पर्यटक लोकनिक आकर्षण केन्द्रमे अछि।दुनू नगरकें भ्रमण क' बहुत आनन्द आयल।



मैसुर आओर श्रीरंग पटट्नमक भ्रमण के बाद हमसब नीलगिरि पहाड़ीक भ्रमणपर निकसि गेलहुँ।मैसुरसँ लगभग 160 किमी दूर ऊटीक लेल चारि पहिया वाहनसँ निकललहुँ। रास्तामे  मैसुरु सँ 80 किमी दूर चामराजनगर जिलामे अवस्थित बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान पड़ल।बीचे उद्यान देने गाड़ी जाइत  रहय। एहि उद्यानकें  बाघक लेल सेहो संरक्षित रखल गेल छैक।नीलगीरि पहाड़ीक बीच अवस्थित एहि दीर्घ उद्यानमे अनेक जंगली जानवर विचरण करैत सद्यः देखलहुँ से अद्भुत् अनुभव अछि हाथीक बच्चा सबहक एकटा झुण्ड अनचोके एकटा जंगल सँ निकसि सड़क पार करय लागल से ओहि बच्चा सबहक अनुशासित झुण्ड देखि  मोन गदगद भ' गेल।कतहुँ हरिण तँ कतहुँ बारहसिंगाक झुण्ड देखैत

निलगिरिक टेढ़-मेढ़ ऊंचाइ कें चढ़ैत रमणीय ओ सुन्दर पहाड़ी पर  चढ़ैत पहुँच गेलहुँ उदकमंडलम् अर्थात ऊटी।



ऊटी प्रवेश करिते गाड़ी एकटा दोकान पर  जाक' ठहरल जतय हाथसँ बनल रंग - विरंगक चाकलेट बिकाइत छल। मैत्रेयी जिनका चाकलेट बहुत पसिन छनि ओ अनेक रंगकहा चाकलेट जोखब' लगली।

ओतय चाकलेट लोक ओना खाइत अछि जेना अपना ओतय पेड़ा या लड्डू।हम चाकलेटसँ परहेज करैत छी,पसिनो ओतय नहि अछि मुदा मैत्रेयीक जिद्पर एकटा चाकलेट चिखलहुँ तँ बुझू जे फेर कैकटा खेलहुँ बादमे ओएह मनो केलनि आब बस करियौ ! ऊटी मे रहबाक लेल एकसँ एक होटल ओ काटेज सब छैक।हम सब एकटा पहाड़ीक नाचाँ काटेजमे ठहरलहुं।जनवरीक मास रहय। जाड़ हाड़ गलबैत रहय। 

मैसुरमे गरमी रहय मुदा एतय एकदमसँ बदलल मौसम।कनिकाल आराम केलाक पछाति निकललहुँ ऊटी दर्शनमे।आइ समय कम रहय कारण एतय 6 बजे बाद  सब किछु बन्न भ'जाइत छैक। तखन जतेक समय रहय ओकर सदुपयोग कयल जाय।सभसँ पहिने गेलहुँ देखबा लय ओतुका प्रसिद्ध विशाल ओ मनोरम बोटनिकल गार्डेन। 








55 एकड़ मे पसरल एहि उद्यानक सजाबटि हुए जे देखिते रही।उपर  हरियर सुन्दर पहाड़ी नीचाँ  मनोरम उद्यान रंग विरंग गाछ ओ फूलसँ आच्छादित।दुर्लभ प्रजातिक  गाछ सभ।उद्यानमे आनन्दमग्न नेनासभ। युवा पर्यटन प्रेमी लोकनि। बहुत आनन्ददायक क्षण बीतल। तारीख रहय  पाँच जनवरी 2023। प्रात:काल शेष बचल ऊंटीक दर्शनीय स्थल देखबाक लेल निकलहुं,कियो कहलक जे ट्वाय ट्रेन पर चढ़ि क' कुन्नूर भ' आउ से गेलहुँ उदकमण्डलम रेलवे स्टेशन।समुद्रतलसँ 2268 मीटर ऊंचाइ पर अवस्थित नीलगिरि माउण्टेन के एहि स्टेशनकें UNESCO ,World Heritage Site  के दर्जा देने छैक।एतय ट्वाइ ट्रेनमे चढ़बाक लेल टिकट नहि भेटल ।ओहि  लेल पन्द्रह दिन पूर्बहिसं अग्रिम टिकट लेबय पड़ैत छै जे IRCTC के माध्यमसं उपलब्ध रहैत छैक।जे पूर्ब योजना नहि रहबाक कारणें हमसब नहि ल' सकलहुं मुदा उदकमण्डलम स्टेशन ओ ट्वाय ट्रेनकें कें देखब सेहो कोनो कम रोमांचकारी अनुभव नहि छैक।स्टेशन अपन पुरान स्वरुपमे विद्यमान अछि जे लगभग डेढ़ सय बर्ख पहिनेक बनल अछि। ओकर बाद  समसब विदाह भेलहुं नीलगिरि पर्वतक सर्वोच्च शिखर, ८६०६ फीट, डोड्डबेटा  देखबाक लेल।पूरा रास्ता सुन्दर ओ सजायल पहाड़ी सब।ओहि पहाड़ सबपर  चाहक  मनोरम बगान सब‌।गाजर ओ बंझा कोबीक खेत सब देखबामे एहन अनुभूति द' रहल छल जे अवर्णनीय अछि। डोड्डाबेटा शिखरपर सं ऊटी शहरकें निंघारब एकटा अविस्मरणीय अनुभव अछि।पूरा ऊटी शहर ओ पहाड़ी सबपर सख्तीसँ  प्लास्टिकपर बन्हेज कयल गेल अछि।पानिक बोतल धरि नहि ल' जा सकैत छी।नीचाँ उतरैतकाल अनेक चाहक उद्यानक भ्रमण कयल।फेर चाहक सबसँ पुरान फैक्ट्री  जकरा टी म्युजियम कहल जाइत छैक,देखबा लेल गेलहुं।कोना हरियर पातसँ चाहक कप धरि पहुंचैत अछि चाहक पत्ती तकर पूरा प्रक्रिया अपन आँखिये देखि सकैत छी।एतय एहि चाह कंपनीक स्थापना  ओ आरंभिक  इतिहास सेहो प्रदर्शित कयल गेल अछि।

फेर  चीरवन(पाइन फारेस्ट)पाइकारा झील।फिल्मी चक्कर,अपर भवानी झील आदि सेहो भ्रमण कयल।ऊंटीमे बहुत ऊंचाइपर अवस्थित मुरुगन मंदिर बेस प्रभावित केलक।एहन रमणीय पहाड़ीपर अवस्थित एहन भव्य मंदिर जतय कार्तिक भगवानक भव्य मंदिरक संग काली ओ शिव मंदिर सेहो बहुत भव्य ओ दर्शनीय छल।ओ जगह शहर सँ थोड़ेक हटि क' ओ पर्यटक लोकनिक सूचीसँ बाहर छल तें ओतय भीड़भार नहि छल‌।

शान्त ओ सुरम्य स्थल।एतुका दू सय बर्ष पुरान  सेंट स्टिफन चर्च सेहो बहुत दर्शनीय ओ वास्तुकलाक दृष्टिसँ बहुत महत्वपूर्ण अछि।ऊटी तमिलनाडू राज्यमे स्थित अछि।एतय भाषाक किछु समस्या छैक। बेसी लोक तमिल बजैत अछि मुदा अंग्रेजीसँ काज चलि सकैत अछि।हिन्दी बड़ कम लोक प्रयोग करैत अछि।हम भारतक बहुतो जगह घूमल छी मुदा ऊटीसन सुरम्य जगह संभवत: नहि देखि सकलहुं अछि।अहुँ सब ई जगह सब देखू।बड़ नीक छै।बड़ मनलग्गू।





6 comments:

  1. अपन प्रतिक्रियासँ अवगत कराबी।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर यात्रा विवरण।

    ReplyDelete
  3. मनोरम दृश्य के झांकी करेलाऊ,धन्यवाद।

    ReplyDelete
  4. बहुत खूबसूरत दृश्य आ बैंगलुरूके अति सुंदर वर्णन 👌👍🙏

    ReplyDelete
  5. अद्भुत 👌 बैंगलुरू सन खूबसूरत जगहके अति सुंदर वर्णन 👌👍

    ReplyDelete

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...