Saturday, March 16, 2019

Rhythm of Spring





 
                                                                 राग वसन्त

कल्हि विद्यालयमे छात्र/छात्रा लोकनि केँ वसंत पर कविता पढ़बैत रही । बच्चा लोकनि सँ पुछलियनि वसंत ऋतु आबि गेल से बुझलियै अहाँ लोकनि । एकटा बचिया उठि क उतारा देलक हम त' नै बुझलियै श्रीमान। कोना बुझबै ! एक मिनट हमहुँ सोचमे पड़लहुँ कोना बुझाबी एही एगारह वर्षीय बालिका केँ ? एकटा गप कहु अहाँक घरक निकट कनैल,कचनार फूलक गाछ अछि? की ओ फूलाय लागल?की आम लीची मजरि गेल ? कोंइली कू,कू करय लागल ।
जी श्रीमान कनैल त' फूलाय लागल । कचनारक गाछ त' हम देखनहि नहि छी,करबीर सेहो फुलाय लागल । हँ त' वसंत आबि गेल । जँ कियो ठेठ गिरहस्थ होयता त' पुछता कि अगहनि चाउरक मांर पातर होबय लागल? त' बुझू वसंत आबि गेल।
कोइलीक आवाज कियो सुनलक अछि से नहि कहलक ,थोड़ेक निराशा भेल । आइ अहल भोरे ओछाओन छैड़ैत काल दू बेर कोयलीक बाजब सुनलहुँ। आबाज अकानिते रही ताबत कोनो मंदिरसँ कोनो भजनक  ध्वनि सुनाइ पड़ल फेर दोसर आ तेसर मंदिर सँ । कने 'फरीछ होइत कोनो महजिद सँ  अजान पड़ल ,फेर महजिदमे सेहो कोनो गीत बाजय लागल । हम तैयो कोइलीक बजबाक  ध्वनि अकानिते रही कि एकटा दलमलित करैबला कानफाड़ू डी.जे.क  ध्वनि सुनाइ पड़ल। कोनो घुरती बरियाती मधुबनी सँ रामपट्टी  दिस जा रहल छल।
परसुए अखबारमे एकटा खबरि पढ़ि क' स्तब्ध  भ' गेल रही जे बसैठ(मधुबनी) गाममे डी.जे बजेबाक प्रश्नपर अपने पड़ोसिया सँ कहासूनी भ'गेलै ।बात एत ' धरि आबि गेलै जे  आवेसमे आबि पड़ोसिया केँ गोली मारि हत्या क' देलकै!खबरि पढ़ि मोन बहुत जबदाह भ' गेल रहय।संगीत प्रकृति सँ वा ईश्वरसँ तादात्म्य स्थापित करबाक  सभसँ सशक्त माध्यम अछि,तकर एहन विभत्स रुप किएक विकसित भ' रहल अछि।
फरिछ होइते हम मधुबनी सँ पूब राँटी गामदिस टहल' निकलि गेल रही।राँटी गामक तेज गति सँ  नगरीकरण भ' रहल छैक।गाछी ,बिरछी,झार-झंखार साफ क'क'  घरारी बनाओल जा रहल छैक।तथापि एखनो बहुत कलमबाग ,खेत -पथार  बाँचल छैक ,जकरा देखला सँ वसन्तक साक्षात आभास भ' आयल।मोबाइल सँ किछु चित्र सेहो लेलौं। भोरका मलयक सीहकी।आम,लीची,जामुनक मज्जरक सुरभि सँ पूरा वातावरण महमह क' रहल छल।किछु चिड़ैसभ सेहो चहचहा रहल छल।लागल जँ कने पलखति हुए त' वसंतक सहजताक संग अनुभव कयल जा सकैछ ।
दू-तीनक पछाति फगुआ छैक।कतहु फगुआसन वातावरण नहि बुझा रहल अछि।मोन पड़ै अछि अपन नेनपनक ओ दिन जहिया गाम सभमे वसन्त पंचमीक पछाति लोक फगुआ गाबय लगैत छल। टोल-टोल सँ डंफा,मृदंग,हारमोनियमक आवाज साँझ सकाल सुनाइ पड़' लगैत छल।हँ,एहि फगुआ गायनमे कतहु ध्वनि विस्तारक यंत्रक प्रयोग नहि होइत रहय तैयो कोस  दू कोसक लोक आवाज सहजता सँ सुनि सकैत रहय। आब फगुआ गेबाक प्रचलन समाप्त जकाँ भ' गेल अछि।सम्मत दिन गाम आ नगरक चौक - चौराहापर भोजपूरी ,पंजाबीअश्लील संगीत बजेबाक परंपरा कायम भेल अछि।
वसंत जीवनक राग थिक। शास्त्रीय संगीतमे त' वसंतराग नाम सँ फराक एकटा राग अछि।गाछ  सँ पुरान पात सभ झहरि रहल अछि,नवका कनोजरि सेहो आयब शुरुह भ' गेल अछि।कवि,संगीतज्ञ लोकनिक लेल वसंत एकटा प्रिय बिषय रहल अछि। सम्प्रति मैथिली कवितामे कोमल तन्तुक अभाव देखा रहल अछि मुदा पूर्बमे मैथिलीमे बहुतरास कविता रचल गेल अछि। चिड़ै सभ सेहो वसंतमे  वासंती सुरभि सँ  प्रभावित भ'  गबैत अछि,उड़ैत अछि।कतेको ठाम  दूर देश सँ प्रवजन क'क' रंग- विरंगक चिड़ै सभ  सेहो अबैत अछि।  वसंत प्राणीमात्र लेल नव उमंग,नव उत्साह ल'क'अबैत अछि।अनुभव केनाइ,नै केनाइ ई अपना उपर निर्भर अछि।

वसंत ऋतुपर मैथिली कवि लोकनिक किछु पाँती।

विद्यापति
नव रति पति नव परिमल नागर नव मलयालिन धार
नव नागरि नव नागर विलसए पुन फले सबे-सबे पार।

चन्द्रभानु सिंह
मधुकेर पड़ल दुलेब कोइलिया घूलल घामल बोल छौ
की कहियौ गई करिकी तोहर बाजब बड़ अनमोल छौ।

कांचीनाथ झा 'किरण'
पबइत दूध  पवित्र   मधुर माँ मिथिला केर कोर बैसल
के बताह कवि भाङ पीबि स्वागत वसन्त अछि गाबि रहल।


 YOUTUBE LINK:::आमक गाछ (कविता)





5 comments:

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...