Saturday, August 19, 2023

The enlightening literature and culture of Maithili nationalism

मैथिलीक राष्ट्रीय ओ उद्बोधनात्मक साहित्य ओ यदुवर।
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१८५७ के पहिल स्वतंत्रता संग्रामक विफलताक पछाति देशक अनेक प्रान्तमे राजनीतिक ओ सांस्कृतिक जागरण आरंभ भेल। वास्तवमे १८५७ क बादेसँ भारतीय जनगणमे सम्पूर्ण रुपसँ भारत राष्ट्रक अवधारणा विकसित भेल । एहिसँ पूर्व प्रान्त,रिआसत ओ भाषाक नामपर भारतीय समाज बहुत असंगठित छल ,जकर लाभ अंग्रेजी हुकूमत उठबैत रहल।कंपनी शासनक अत्याचार, हड़प  के नीति,किसान सभक शोषण आदिसँ समूचा देश आक्रान्त छल। अंग्रेजीराजक शोषणक विरुद्ध छिटफूट विरोधक स्वर आब' लागल छल मुदा कोनो संगठित स्वर नहि आबि पाबि रहल छल। आब लोकमे ई  भरोस जागल जे देश जँ संगठित भ' जाय तँ अंग्रेजी हुकूमतकें हटाओल जा सकैत।स्वदेशी शासन व्यवस्था कायम कयल जा सकैछ।स्वतंत्रता आन्दोलन रसे- रसे जोड़ पकड़' लागल।देश भरिमे अनेक सामाजिक संगठन बढ़ि-चढ़ि क' हिस्सा लेबय लागल।




एहि कालखंडमे अंग्रेज वायसराय लार्ड रिपनक सुधारवादी काजकें बिसरल नहि जा सकैछ।ओ भारतक शासनमे अनेक सुधार कयलनि जाहिमे भारतीय प्रेस अधिनियमक समाप्ति बहुत महत्वपूर्ण अछि। एहि अधिनयमक समाप्तिसँ भारतमे साहित्य ओ पत्रकारिताकक बहुत विकास भेल।मैथिली पत्रकारिताक आरंभ सेहो एहि कालखंडमे १९०५ई.मे भेल। विभिन्न् प्रान्तक साहित्यिक लोक विशेष कय कविवृन्द अपन ओजस्वी ओ उद्बोधनात्मक रचनासँ गाम -गाममे सामाजिक चेतना जगाब' लगलाह।जे आगाँ चलिक' राष्ट्रीय चेतना बनि गेल। स्वतंत्रता हुनक सभक ध्येय छलनि।पछाति इएह जेतना स्वतंत्रता आन्दोलनक स्वरुप अखिल भारतीय स्वरुप धारण कयलक।भारतक आन-आन भाषाक सदृश्य मैथिली साहित्यमे सेहो स्वाधीनताक लेल जनजागरण हेतु  अनेक कवि सोझा एलाह।जाहिमे धेमुरांचलक दूटा कवि अत्यन्त महत्वपूर्ण छथि--यदुनाथ झा'यदुवर' ओ छेदी झा द्विजवर।यदुनाथ झा 'यदुवर' पुरना भागलपुर सम्प्रति मधेपूरा जिलाक मुरहो गामक रहैवला छलाह। देशक परतंत्र दशाकें देखि क' यदुवरजीक मोन बहुत उद्वेलित ओ व्यथित छलनि ।




अपन पीड़ाकें ओ अपन गीत ओ कविताक माध्यमसँ व्यक्त केलनि। सुतल समाजक जागरण हेतु अपन गीतक माध्यमसँ अलख जगबैत रहलाह।अपन राष्ट्रीय चेतनामूलक गीतक पहिल संग्रह' मिथिला गीतांजलि नामसँ १९२७ई.मे प्रकाशित करबौलनि। गितांजलि भूमिकामे ओ लिखलनि,"आब समय बदलि गेल अछि। वीर भेषमे माता भक्तिपूर्ण गानमे तन्मय हैबाक चाही। एहि संकलनमे देशानुराग, देश ओ समाज ,कुरीतिक सुधार सम्बन्धी उत्साहवर्धनी 
कविता ,विशेषतः गानक संग्रह भेल अछि।

एकटा आरंभिक गीतमे यदुवर जी लीखैत छथि -:

'भारतभूमिक देखि दुर्दशा दया विचारू

हमरा सबकें पतित नरकसँ शीघ्र उबारू।'


गीतांजलिक अतिरिक्त हिनक रचना ओहि समयमे  प्रकाशित पत्रिका 'मिथिला मोद' ओ मिथिला मिहिर मे जतय-ततय छिड़िआयल छनि। बहुतो रचनाकें डा.रमानन्द झा 'रमण' द्वारा संपादित यदुवर रचनावलीमे समेटबाक स्तुत्य प्रयास भेल अछि।

यदुवरजी डाकघरमे काज करैत छलाह,सरकारी कर्मचारी छलाह तथापि ओ प्रखर राष्ट्रवादी ओ प्रगतिशील विचारक लोक छलाह।ओ प्राचीन ओ नवीन रीतिक गीति साहित्यक संगहि 'अन्योक्ति शतक' नामक मुक्तक काव्यक रचना सेहो कयने छलाह। ओ प्रत्यक्ष आन्दोलनमे तँ भाग नहि  सकैत रहथि मुदाअपन रचनाक माध्यमसँ समाजकें जागृत ओ आन्दोलित रखबामे कोनो कसरि नहि छोड़ने छलाह।जतबे ओ भारतक स्वतंत्रताक लेल चिंतित छलाह ओतबे ओ अपन मातृभाषा मैथिलीक दशापर सेहो चिंतित छलाह।ओ समान रुपसँ दुनू बिषयपर लिखलनि।लिखबेटा नहि कयलनि साहित्यकें जन-जन धरि पहुँचेबाक लेल प्रकाशित करबौलनि।गामे गाम प्रचार-प्रसार कयलनि।

जाहि कालखंडमे ओ  काव्य रचैत छलाह ओ अंग्रेजी साम्राज्यक क्रूरतम काल छल।यदुवरजीक जन्म १८८५ई.मे भेल छलनि।ताहिसँ कतेको बर्ष पूर्ब बंगालमे बंगला भषाक कवि,साहित्यकार लोकनि अपन योगदान देब आरंभ क' चुकल छलाह।१८८२ई.मे बंकिंमचन्द्र चटर्जी द्वारा  आनन्दमठ उपन्यास लिखल गेल।आनन्दमठमे प्रकाशित 'वंदे मातरम' गीत भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन मुख्य गीत बनि चुकल छल,जकर प्रभाव मिथिलाक साहित्यकार सबपर सेहो  पड़़लनि।ओहो सब राष्ट्रीय आन्दोलनकें प्रेरित करैवला गीत सभ लिखय लगलाह।वन्दे मातरम गीतमे बंकिंम बाबू  लिखैत छथि -:

सप्तकोटि कण्ठ - कलकल निनाद कराले

द्विसप्त कोटि भुजैर्धुत खरकर वाले

अबला केनोमा तुमि एतो बले 

बहुबल धारणीम नमामि तारणीम

रिपुदल वारणीम मातरम।

स्वतंत्रताक एहि धाराक अनुसरण करैत मैथिली कवि यदुनाथ झा यदुवर  कहि उठैत छथि -:

उठू जागू औ बन्धुगण त्यागू ई बिषधर निन्नकें

कर्तव्यपालनमे लागू भजूमा चरण अरविन्दकें।


ई ओएह कालखंड अछि जाहि समयमे सम्पूर्ण देशमे  स्वतंत्रता आन्दोलनक शंखनाद भ' चुकल अछि।महाराष्ट्रमे बालगंगाधर तिलक आओर एनीबेसेंट के नेतृत्वमे होमरुल आन्दोलन चलि रहल छल।देशमे राष्ट्रीय आन्दोलन दू धारा विभक्त भ' गेल रहय।उदारवादी धारा जकर प्रतिनिधित्व वोमेश चन्द्र बनर्जी,दादा भाइ नौरोजी,फिरोज शाह मेहता ,सुरेन्द्रनाथ बनर्जी आदि क' रहल छलाह।ओमहरर उग्र राष्ट्रवादी धाराक नेतृत्व लाल-बाल ओ पाल क' रहल छलाह।पछाति उदारवादी धारा महात्मा गाँधीक नेतृत्वमे असहयोग आन्दोलन व  सविनय अवज्ञा आन्दोलन  चलेलक।तिलक नारा देलनि जे 'स्वराज हमर जन्म सिद्ध अधिकार अछि ई  हम ल'क' रहब।ओहि समकालमे मिथिलामे धेमूरा नदीक कछेरमे एकटा मैथिली कवि जान मानस  अपन गीतक माध्यमसँ राष्ट्रीयताक प्रति  जोश ओ उर्जा भरि रहल छलाह ओ छलाह यदुनाथ झा 'यदुवर'। ओ देश मुक्तिक लेल भिथिलामे छात्र सभक संगठन बनय तकरो लेल ओ प्रयास कयलनि।कोनो आन्दोलनक रीढ़ हैइछ ओहि समाजक युवजन से ओ नीक जकाँ बुझैत छलाह।अपन गीतांजलिक समर्पण ओ मिथिलाक युवजने सबकें कयने छलाह।

'प्रियवर मिथिलावासी युवजन हृदय मैथिली अर्पित

अछि भवदीय कमल करमे ई लघु उपहार समर्पित

करू भवदीय  सकल श्रम सार्थक

स्वयं अमूल्य दयासँ

निज भाषा निज देशक रक्षा करू तत्परतासँ।'


यदुवरजीक प्रसंग मैथिलीक प्रसिद्ध साहित्यकार रामकृष्ण झा 'किसुन' लिखने छथि--

'यदुवर जीमे लोक चेतना तथा राष्ट्रीय चेतनाक भावना बड़ उग्र रुपमे छल।पुरान परंपराकें तोड़ि राष्ट्रीय कार्यक सुत्रपात संगहि संगीतक रागपाशसँ मैथिली कविताकें सर्वप्रथम यदुवरेजी मुक्त कयने छलाह।प्रो.मायानन्द मिश्र तँ हुनक कालखंडक काव्यकें 'यदुवर युग' नामसँ सम्बोधित करैत छथि यदुवरजीक बिषयमे लिखैत छथि," स्मरणीय जे मैथिलीक आधुनिक काव्य सामाजिक चेतनासँ राष्ट्रीय चेतना तथा राष्ट्रीय चेतनासँ व्यक्तिवादी चेतना केर यात्राक काव्य थिक। चन्द्र युगक सामाजिक चेतनाक काव्य अगिला युगमे राष्ट्रीय चेतनाक काव्य बनि गेल। जकर प्रेरणा सूत्र रहलाह यदुनाथ झा'यदुवर'।वस्तुतः यदुवरजीक मैथिली गीतांजलि ओहि युगक काव्य गीता थिक।"

यदुवरजीक समयमे हिनक गाम मुरहो  बिहारक राष्ट्रीय आन्दोलनक केन्द्रमे  छल।प्रसिद्ध स्वतंत्तता सेनानी रास बिहारी मंडल एहि गामक छलाह।एतय देशक बड़का-बड़का आन्दोलनी नेता सब अबैत रहैत छलाह।तकरो प्रभाव यदुवरजीपर सेहो पड़ल होयतनि।

यदुवरजी स्वतंत्रता आन्दोलन, मातृभाषा मैथिलीक संरक्षण।मिथिलाक ओ भारतक दुर्दशाकें लक्ष्य क कें अनेक राग-भासपर गीत सब लिखैत रहलाह

 बटगमनी

 स्वर्ग सदृश सुखदायक सजनी 

सब विधि भारत देश

नन्दन वन सम सुन्दर सजनी 

मोहथि देखि सुरेश

एकबेर हेरिय जनक दुलारी

मिथिला देश भेल नीन्दारत

देखिय नयन उघारि |


राग भैरवी (प्राती)

भेल भोर उठु मिथिलावासी,आबहु निद्रा त्यागू

जागत लोक सबहि पशु-पक्षी,निज कर्तव्यहि लागू

झट उठि मातृभूमि भाषा ओ जाति अनुरागू

यदुवर करू उद्धार हिनक सब नहि तँ भिक्षा माँगू |


फागु

बन्धु आब पावन फागु खेलाउ

स्वदेशक म।दंग झांझ ओडम्फ सितार बजाउ

सभ मिलि प्रेम हृदय हर्षित एके तान लगाउ

देशक दुःख बेगि मिटाउ।


अनेकानेक गीतक रचना कय भारतवासी ओ मिथिलावासीकें जगेबाक आ स्वतंत्रता प्राप्त करबाक लेल आह्वान करैत रहलाह।कहैत छथि -:

'कहु अहाँ जन्म कथि लेल लेल

जँ उपकार देश ओ जातिक किछुओ ने अहाँसँ भेल

जननी जन्मभूमि नित कानथि,किन्तु ध्यान ने देल।’


मैथिली भाषाक प्रचार -प्रसारक लेल सेहो निरंतर आह्वान करैत रहलाह।बिनु सांस्कृतिक चेतनाक एकटा राष्ट्र ,राष्ट्र नहि कहा सकैत अछि।सांस्कृतिक चेतनाक सबसँ पहिल शर्त थिक भाषिक चेतना,ताहि भाषिक चेतनाक संग यदुवरजी अपन काव्यक संग यत्र-तत्र समुपस्थित छथि।कहैत छथि-- भए कटिबद्ध उठु मैथिलगण !शीघ्र

कय भाषाक प्रचार

राज-काज ओ विद्यालय हो सर्वत्र हिनक सत्कार।

एखन धरि मैथिली प्राथमिक पाठशालामे नेना सबकें नहि पढ़़ाओल जाइछ।सरकारी राजकाजमे मैथिलीक कोनो स्थान नहि भेटि सकल अछि।ताहि बातकें ल' क' आइयो मिथिलाक लोक संघर्षरत छथि।बिडंवना ई जे जाहि बातक संघर्ष हमसब अद्यावधि क' रहल छी ताहि ज्वलंत मुद्दा यदुवरजी अपन कवितामे बहुत पहिनहि  राखि चुकल छलाह।निश्चितरुपसँ जहि सिद्ध होइछ जे ओ एकटा पैघ मातृभाषा प्रेमी आओर आन्दोलनी सेहो छलाह जे परतंत्र भारतमे सेहो अपन मातृभाषाक माँग बहुत साहसक संग रखैत ररहलाह।

मिथिला भूमिसँ अनन्य प्रेम छनि कवि यदुवरकें।

जयति जय विदेह भूमि आनन्द सुखराशी

पूर्व कौशिकीक धार,पश्चिम गंडकि किनार

कमला इत्यादि बहथि मध्य दुःख ह्रासी

ज्ञानक चर्चाविशेष शिष्य जनिक आनदेश

यदुवर नहि तुअ समान तीर्थराज काशी

मंगलमयि मैथिली महरानी

मंगलमयि मिथिला भूमिक जे स्वसिनि गुणखानी।


यदुवरजीक रचनाक अवलोकनसँ बहुत फरीछसँ हम देखि पबैत छी जे भारतक स्वाधीनताक लेल कविक मोनमे बहुत अकुलाहटि छलनि,छटपटाहटि छलनि। यदुवरजी जतबा राजनीतिक स्वतंत्रताक लेल ग़भीर छलाह ओतबहि ओ सांस्कृतिक स्वतंत्रताक लेल सेहो चिंतित छलाह।जे एकटा स्वतंत्र राष्ट्रहिमे संभव भ'सकैत अछि।ओ समस्त भारतवासीमे प्रगतिशील शिक्षाक प्रसार देखय चाहैत छलाह।सिग्नल नामसँ एकटा कविता छनि।तकर ई पाँती--

' देखि रेलक सिग्नल तक तों झुकि जाइत छह

 की शिक्षा किछु एकरासँ संसारी जीब पबइ अछि नीक।'

 यदुवरजीसँ प्रारंभ भेल मैथिलीमे राष्ट्रीय चेतनाक काव्य आगाँ बढ़ैत गेल।हिनक समकालीन महत्वपूर्ण कवि ओ  आन्दोलनी छेदी झा द्विजवर अपन कविता  'चरखा चौमासा'  मे लिखैत छथि -:

'अहाँ मन दय पीर बाँटू,सूत काटू देसिया

देशक सब धन बाँचत, अरि दूर थरथर काँपत।’

आगाँ मैथिली साहित्यक काव्यधारा राष्ट्रीय चेतनाक प्रति आर मुखर होइत गेल।  राष्ट्रीय आन्दोलनमे मैथिली भाषाक साहित्यकारक योगदान आन भाषाक साहित्यकारसँ कनियों कमतर नहि अछि।सरस कवि ईशनाथ झा भारतवासीक तुलना  सिंह शावकसँ करैत छथि -:

' की केहरि शिशु केहनो निर्बल

नहि कुदि पड़य गजवर सिरपर

निज जन्म सिद्ध अधिकार हेतु

यदि मरब मरब नहि बनब अमर।’

तहिना आगाँ मैथिली कवितामे राष्ट्रीयताक प्रमुख स्वर आरसी प्रसाद सिंह कहैत छथि -:

'स्वाधीनता हमर अछि अधिकार जन्मजाते

के दस्यु ल' सकैत अछि एकरा उधार खाते

हम ऐक्य सूत्र बान्हल जन कोटि-कोटि  बासी

युग आइ रचि रहल छी

नव सर्जना करैत छी

हे जन्मभूमि भारत हम वन्दना करैत छी।'

कवि यदुनाथ झा'यदुवर' जे राष्ट्रीय चेतनाक काव्यधारा आरंभ कयल से अद्यावधि चतरि-पसरि रहल अछि।मिथिला आइयो भारतीय राष्ट्रीयताक मजगूत केन्द्र अछि। भारतीय संविधानक मूल तत्व एना कही जे प्राणतत्व अछि  राष्ट्रीय एकता -अखंडता, सांस्कृतिक ओ भाषाइ विविधता,सर्वधर्म समभाव जकर अनुपालन बहुत चैतन्यतासँ मिथिलावासी क' रहल छथि। यदुवरक रचनामे राष्ट्रीयताक भावना कुटि-कुटि भरल अछि। जाहिसँ राष्ट्रीय एकता मजगूत भेल अछि। यदुवर तँ भारतकें स्वतंत्र स्वयं नहि देखि सकलाह।हुनक निधन १९३५ई.मे भ' गेलनि मुदा हमरा लोकनि हुनक वंशज आइ हुनके सभक कर्मक प्रतापें स्वतंत्र भारतमे खुलि क' साँस ल' रहल छी।जे नहि बजबाक सेहो सब बाजि रहल छी।

मैथिली साहित्यक इतिहासमे डा. जयकान्त मिश्र यदुवरजीक बिषयमे लिखैत छथि -:

'Under the influence of new conditions,A growing body of poets  which are calculated to  arose the the people of Mithila. They realised that poetry could no longer be written to please  it has no interest too. Two remarkabke anthologies Mithila Gitanjali edited by  Yadynath Jha 'Yaduvar' and Maithili Sandesh edited by Shyamand Jha ,where published in the twenties Which expressedly announced the birth of these spirit.'

मैथिलीक अनेको आलोचक,विद्वान लोकनि यदुवरजीकें  राष्ट्रीय चेतनाक महत्वपूर्ण कवि मानलनि अछि। मैथिलीक मान्य आलोचक आओर यदुवर रचनावलीक संपादक डा. रमानन्द झा 'रमण' यदुवर जीक बिषयमे लिखैत छथि,"  हमर ई मान्यता  आओरो पुष्ट भए गेल अछि जे मैथिली साहित्यकें अपन देश कालसँ जोड़बाक जे प्रवृत्ति कवीश्वर चन्दा झासँ चलल ओहिपरसँ धार्मिक लेप पोछि राष्ट्रीय ओ देशोत्थान बिषयक रचनाक परिपाटी यदुनाथ झा यदुवरक रचनेसँ प्रारंभ भेल अछि। राष्ट्रीय चेनतामूलक स्वर कंपनकें एक सबल रुप प्रदान करबाक गरिमा यदुवरकें प्राप्त छनि।

एतावता,यदुवरजीक उपलब्ध रचनाक अध्ययनसँ स्पष्ट अछि जे मैथिली साहित्यमे राष्ट्रीय चेतनाक महत्वपूर्ण कवि छथि।हिनक सबटा रचना अद्यावधि उपलब्ध नहि  भ' सकल अछि।हिनक यत्र-तत्र छिड़िआयल ,अनुपलब्ध रचनाक खोज ओ अनुशीलन  आवश्यक अछि।हिनक रचनापर अनुसन्धानपरक काज सेहो हेबाक चाही।अनुसंधानसँ नव -नव बात उजागर होयत।


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