Saturday, March 23, 2019

Reality Of Mithila

                                                                          

                                                                                     एकटा प्रश्न त' पुछियौ

नदी मातृक प्रदेशक रहैबला छी हमरा लोकनि, कमलासन जीवनदायी नदी विलोपन हेबाक कछेरपर अछि।जोत-कोरक अभावमे मिथिलाक भूमि तीव्रता सँ उसर,बज्जर भ' रहल अछि। एहन उर्वर माटि,पर्याप्त जल आ उपयुक्त  जलवायुक अछैत हकन्न कानि रहल अछि मिथिलाक लोक।ज्ञान- विज्ञानक त'कथ कोन हमरा लोकनि नमहर - नमहर दाबी करबामे पारंगत छी।

 ई जानि क' बहुत आश्चर्य होयत जे दुनियांक सर्वाधिक जनसंख्या घनत्ववला क्षेत्र अछि मिथिला। चेतनाहीनताक स्थितिक कारण मिथिलाक हिस्साक टाका देशक आन-आन क्षेत्रमे खर्च कयल जा रहल अछि।कहियो एतय समृद्ध खादी उद्योग छल,जूट आ रेशमक उत्पदन होइत छल ,चीनीक कतेको मिल चलैत छल।शिक्षा प्राप्त करबाक लेल शिक्षार्थी मिथिला अबैत छलाह एहि परिपेक्ष्यमे जखन हम सोचैत छी त' चिंता  होइत अछि। मिथिला बौद्धिक स्तरपर कतबा पिछड़ि गेल अछि!ई जानि बहुत आश्चर्य हैत जे मिथिलाक सकल घरेलू उत्पाद( GDP) दक्षिण बिहार सं सोझे आधा छैक।दोसर प्रान्त आ देशसं एकर तुलना केनाइ त'ब्यर्थक गप भेल। एखनो मिथिलाक बिरानबे प्रतिशत लोक गाममे रहि रहल अछि।जखन कि तीव्रता सँ गामक लोक पलायन क' रहल अछि।

ई सभ बात किये क' रहल छी हम,से जिज्ञासा भ' सकैत अछि।हँ,त' सुनू गेल रही गाम।  चौकपर चलैत रहै राजनीतिक चौपाड़ि।ऋतुक अनुसारे चलबे करतै। मुदा  मात्र एकटा प्रश्न कयलापर  सभक बोलती भ' गेलनि बन्न।
औ श्रीमान भारतक विकाशक मानचित्रमे मिथिलो कतौ छैक?

अहाँ केँ सोचक चाही जे अहाँक कोटि-कोटि समांग दोसरा प्रान्तमे जाक' घोर संकटपूर्ण जीवन निर्वाह कय रहल अछि।पानीक अभावमे,लोकक अभावमे,उचित मार्गदर्शनक अभावमे अहाँक किताक किता खेत पड़ती पराँट पड़ल अछि। स्थापित उद्योग धन्धा चौपट भ' गेल।इएह बेर ने छैक प्रश्न पुछबाक।किछु चर्च करबाक ।एकर उत्तरदायी के?

 हमर नेना सभ अपन डीह डाबर छोड़ि दिल्ली ,कोटामे घोर संकटपूर्ण स्थितिमे अपन सुन्दर भविष्य बनेबाक लेल लागल अछि।एतुका मेहनतिक टाका आन प्रदेशमे पानि जकाँ बहि र हल अछि।

 बेसी की कहब? बात एतबे छैक जे कृषि रोडमैप आ शिक्षा क्षेत्रक पुनरुद्धार सँ  बहुत किछु हासिल कयल जा सकैछ।बिरहल गाम आबाद भ' सकैछ।दलान दरबज्जा  रमणगर ,सोहनगर भ' सकैछ।भाषा ,भूमिक मर्यादा बचाओल आ बढ़ाओल जा सकैछ।
एकटा प्रश्न त' पुछक साहस करियौ श्रीमान/ श्रीमती।



https://www.facebook.com/dilip.jha.5059/videos/2541301406095535/

Saturday, March 16, 2019

Rhythm of Spring





 
                                                                 राग वसन्त

कल्हि विद्यालयमे छात्र/छात्रा लोकनि केँ वसंत पर कविता पढ़बैत रही । बच्चा लोकनि सँ पुछलियनि वसंत ऋतु आबि गेल से बुझलियै अहाँ लोकनि । एकटा बचिया उठि क उतारा देलक हम त' नै बुझलियै श्रीमान। कोना बुझबै ! एक मिनट हमहुँ सोचमे पड़लहुँ कोना बुझाबी एही एगारह वर्षीय बालिका केँ ? एकटा गप कहु अहाँक घरक निकट कनैल,कचनार फूलक गाछ अछि? की ओ फूलाय लागल?की आम लीची मजरि गेल ? कोंइली कू,कू करय लागल ।
जी श्रीमान कनैल त' फूलाय लागल । कचनारक गाछ त' हम देखनहि नहि छी,करबीर सेहो फुलाय लागल । हँ त' वसंत आबि गेल । जँ कियो ठेठ गिरहस्थ होयता त' पुछता कि अगहनि चाउरक मांर पातर होबय लागल? त' बुझू वसंत आबि गेल।
कोइलीक आवाज कियो सुनलक अछि से नहि कहलक ,थोड़ेक निराशा भेल । आइ अहल भोरे ओछाओन छैड़ैत काल दू बेर कोयलीक बाजब सुनलहुँ। आबाज अकानिते रही ताबत कोनो मंदिरसँ कोनो भजनक  ध्वनि सुनाइ पड़ल फेर दोसर आ तेसर मंदिर सँ । कने 'फरीछ होइत कोनो महजिद सँ  अजान पड़ल ,फेर महजिदमे सेहो कोनो गीत बाजय लागल । हम तैयो कोइलीक बजबाक  ध्वनि अकानिते रही कि एकटा दलमलित करैबला कानफाड़ू डी.जे.क  ध्वनि सुनाइ पड़ल। कोनो घुरती बरियाती मधुबनी सँ रामपट्टी  दिस जा रहल छल।
परसुए अखबारमे एकटा खबरि पढ़ि क' स्तब्ध  भ' गेल रही जे बसैठ(मधुबनी) गाममे डी.जे बजेबाक प्रश्नपर अपने पड़ोसिया सँ कहासूनी भ'गेलै ।बात एत ' धरि आबि गेलै जे  आवेसमे आबि पड़ोसिया केँ गोली मारि हत्या क' देलकै!खबरि पढ़ि मोन बहुत जबदाह भ' गेल रहय।संगीत प्रकृति सँ वा ईश्वरसँ तादात्म्य स्थापित करबाक  सभसँ सशक्त माध्यम अछि,तकर एहन विभत्स रुप किएक विकसित भ' रहल अछि।
फरिछ होइते हम मधुबनी सँ पूब राँटी गामदिस टहल' निकलि गेल रही।राँटी गामक तेज गति सँ  नगरीकरण भ' रहल छैक।गाछी ,बिरछी,झार-झंखार साफ क'क'  घरारी बनाओल जा रहल छैक।तथापि एखनो बहुत कलमबाग ,खेत -पथार  बाँचल छैक ,जकरा देखला सँ वसन्तक साक्षात आभास भ' आयल।मोबाइल सँ किछु चित्र सेहो लेलौं। भोरका मलयक सीहकी।आम,लीची,जामुनक मज्जरक सुरभि सँ पूरा वातावरण महमह क' रहल छल।किछु चिड़ैसभ सेहो चहचहा रहल छल।लागल जँ कने पलखति हुए त' वसंतक सहजताक संग अनुभव कयल जा सकैछ ।
दू-तीनक पछाति फगुआ छैक।कतहु फगुआसन वातावरण नहि बुझा रहल अछि।मोन पड़ै अछि अपन नेनपनक ओ दिन जहिया गाम सभमे वसन्त पंचमीक पछाति लोक फगुआ गाबय लगैत छल। टोल-टोल सँ डंफा,मृदंग,हारमोनियमक आवाज साँझ सकाल सुनाइ पड़' लगैत छल।हँ,एहि फगुआ गायनमे कतहु ध्वनि विस्तारक यंत्रक प्रयोग नहि होइत रहय तैयो कोस  दू कोसक लोक आवाज सहजता सँ सुनि सकैत रहय। आब फगुआ गेबाक प्रचलन समाप्त जकाँ भ' गेल अछि।सम्मत दिन गाम आ नगरक चौक - चौराहापर भोजपूरी ,पंजाबीअश्लील संगीत बजेबाक परंपरा कायम भेल अछि।
वसंत जीवनक राग थिक। शास्त्रीय संगीतमे त' वसंतराग नाम सँ फराक एकटा राग अछि।गाछ  सँ पुरान पात सभ झहरि रहल अछि,नवका कनोजरि सेहो आयब शुरुह भ' गेल अछि।कवि,संगीतज्ञ लोकनिक लेल वसंत एकटा प्रिय बिषय रहल अछि। सम्प्रति मैथिली कवितामे कोमल तन्तुक अभाव देखा रहल अछि मुदा पूर्बमे मैथिलीमे बहुतरास कविता रचल गेल अछि। चिड़ै सभ सेहो वसंतमे  वासंती सुरभि सँ  प्रभावित भ'  गबैत अछि,उड़ैत अछि।कतेको ठाम  दूर देश सँ प्रवजन क'क' रंग- विरंगक चिड़ै सभ  सेहो अबैत अछि।  वसंत प्राणीमात्र लेल नव उमंग,नव उत्साह ल'क'अबैत अछि।अनुभव केनाइ,नै केनाइ ई अपना उपर निर्भर अछि।

वसंत ऋतुपर मैथिली कवि लोकनिक किछु पाँती।

विद्यापति
नव रति पति नव परिमल नागर नव मलयालिन धार
नव नागरि नव नागर विलसए पुन फले सबे-सबे पार।

चन्द्रभानु सिंह
मधुकेर पड़ल दुलेब कोइलिया घूलल घामल बोल छौ
की कहियौ गई करिकी तोहर बाजब बड़ अनमोल छौ।

कांचीनाथ झा 'किरण'
पबइत दूध  पवित्र   मधुर माँ मिथिला केर कोर बैसल
के बताह कवि भाङ पीबि स्वागत वसन्त अछि गाबि रहल।


 YOUTUBE LINK:::आमक गाछ (कविता)





Nest Of Bird-- Maithili Poem

चोंचाक खोता
एक जोड़ चोंचा कैएक दिन सँ
हमरे घरक भीतर बनब चाहैछ
अपन आश्रय/ अपन खोंता
यत्र-तत्र सँ / रंग-बिरंग क तिनका
संग्रहित कअ लागल अछि उद्यम मे
छिटल खर- पात के बहारैत काल
नितह कहै छथि पत्नी
एकरा भगाउ/तंग कयने अछि
अहा ! की करबै
अपन घर बना रहलए
कखनो गर सँ देखलियै
एहि चोंचाक जोड़ा केँ
जुआनी मे पायर धरबे कयलक अछि
खोंता बना ओहि मे विश्राम करत
निश्चिंत सँ प्रणय विहार करत
ओ लोकनि ओ सबटा करअ चाहैत अछि
जे हमरा लोकनि नञि कअ पौलहुँ
नष्ट कअ लेलहुँ सुवर्ण जुआनी
एहि दू कोठरीक घरक लेल
करअ दियौ विलास
भेटतै ई दिन फेर
गाछ -बिरिछ पर खोंता कियो बनबअ दैत छैक
गाछवला कें गाछक किरेजा चाही
आ सरकार के सर्विस टैक्स
सोचियौ ! बेचारा कतय जाय
चोंचाक जोड़ा कें सांकेतिक भाषा मे पुछलियै
घरके भितर घर बनेबह
संकेते मे उतारा देलक
ककरो घर पर घर
आ हम सब दिन रहू
अकाशे तर ---

Friday, March 15, 2019

Maithili On Environment Day

विश्व पर्यावरण दिवसक अवसर पर एहि बेर दूटा काज कयलहूं अपन विद्यालय परिसर मे छः टा गाछ (दू टा आम ,दू टा अशोक,एकटा गुलमोहर आ एक टा भालसरिक) गाछ लगौलहुँ संगहि,अलोपित शिर्षक सँ ई तीन टा कविता---
अलोपित(कविता)
(१)
सतुआइनो होइते अछि
माटिक घैल सेहो उसरगल जाइते अछि
सनातनी होइत आयल अछि
होइते रहत घट-दान
मुदा माटिक घैल कहिया धरि ?
माटि ने अलोपित भअ जेतै
सोन-चानी ,लोह -ताम
पित्तरि-फाइवर थोड़े अलोपित हेतै|
(२)
आइ माननीय कें गृह-प्रवेश छनि
वास्तु शास्त्रक अनुसारे श्रीमतीजी रखती
चरण-कमल नव-घर मे
सब सरमजाम जुटाओल गेल
पंचरत्न,पंचगव्य ,मंचामृत
सप्तमृतिका/नवग्रह काठ
सबटा भेटि गेलै कारक जीक दोकान मे
मुदा पंचपल्लव नहि भेटलै
आदेश
जतअ सं हुए लाउ
जेना हुए पंच पल्लव जुटाउ
साहेब/आब कतहु छैक गुल्लरि,गम्हारि
कतहु छैक बड़,पाकरि
पुरोहित जी तखन करबै की
कोना हुए ओकर निदान
फाइवरक पंच पल्लव मंगाओल जाय
श्रीमान |
(३)
गामे गाम वासंती नवरात्रक अछि आयोजन
मुरुतक रंग-टीप
साज-सज्जा
ध्वनि-विस्ताकर यंत्र
सबटा अफरात
वातावरण भक्ति उल्लास सं गुंजायमान
किछु अलोपित भेल अछि
ओ अछि वासंता सुरभि|

Eid ----- Maithili Poem

Eid
मित्र सदरे आलम गौहरक लेल
गौहर अहां कें ईदक मोबारकवाद दैत काल
मन कमलाक कल-कल पानि जकां गुनगुना उठल
जेना अहांक मोन गुनगनाइत रहैए
विद्यापतिक पांती गवैत काल
मीर्जा गालिब के पढैत काल
मित एहि मिलै जुलै वला पावनिक बहन्ने हम ई संदेश देब चाहैत छी जे
धर्मक नाम पर बन्न हुए धमकी
बन्न हुए धमक आ ध्वंस
मित अपने दूनू भाई के लगब परत आवाज
अपना रंग मे रंगल
हरियर,उज्जर, आ केसरिया वस्त्र फोलि राखि दौक कोठीक कान्ह पर
आब एकेटा रंग चलतै
मात्र 'पानिक ' रंग जकर खगता छैक सबके
जाहि लेल सगरे मचल छैक हाहाकार
अहां गोनू झाक खिस्सा कहैत छी
हमहूं मूल्ला नसिरूद्दीनक कहानी परसैत छी
मुदा आब ! नहि पियाब देबै बिष कोनो सुकरात के
नहि टांग देबै कोनो यिशू कें क्रास पर
नहि बन देबै ककरो अशपृश्य अपने गाम मे
दूनू मित कें संक्ल्प लेबाक दिन अछि आइ
कोनो धमकी आ धमक क' डर सं
नञि चलतै आब राज
आब सब कियो सिर्फ आ सिर्फ
'अढाई आखर' पर चलाबौ काज
ईदक शुभकामनाक संग

Maithili Poem On My Father

पिता बहुत आगाँ छथि----------------
हमर पिता विद्वान नहि रहथि
साहित्यकार त' नहिये रहथि
जीबाक लेल कोरथि माटि
उपजाबथि रंग- विरंगक अन्न
स'ख छलनि लगेबाक रंगबिरही गाछ
जेना हमरा व्यसन अछि रचबाक ई पाँती
पिता बड़ यत्नसँ गाछ रोपैत छलाह
ओकर वृद्धि आ पोषणपर
पूर्ण धियान दैत छलाह
आइ ओ गाछसभ भकरार भ' रहलए
फल-फूलसँ महमह करैत उद्यान
हुनक स्वप्नकेँ साकार क' रहलए
हमर शब्दक ई संयोजन
कहियो बराबरी क' सकत हुनक गाछक
हमरा जनैत नहि
कहियो हुनक गाछ जकाँ
बिलहि सकत प्राणवायु वातावरणमे
तकरो संभावना नहिये अछि
कृषक रहितो पिता
हमरा सँ बहुत आगाँ छथि
बहुत...

EXAM---Poem in Maithili

परीक्षा
----------------
आइ भ' रहलनिहें आरभ नेना लोकनिक परीक्षा

बहुतरास बुतरू डेरायल सहमल छथि 
परीक्षाक भयसँ
परीक्षा डेरेबाक बिषय नहि छैक बाउ लोकनि
परीक्षा छियै साहससँ स्थिति केँ सामना करबाक नाम
चाहे ओ परीक्षा मैट्रिकक हो वा
देशक सीमा,सरहदपर
देखियैन बाबू केँ कएकबेर परीक्षा दैत
जखन धानक बाउग कयल बिहनि सुड्डाह होम' लगनि
कोना क' राति- राति क' करीन पटा क'
ओकरा बचाबथि
जाहि साल रोपल,कमौठ कयल धान पानिक अभावमे बौक भ' जानि
अपनहुँ किछु दिनक लेल बौक भ' जाइत रहथि
मुदा किछुए दिनक पछाति
अगिला फसिलक ओरियानमे लागि जाइत रहथि
बौआ/बुच्ची परीक्षा एतहिटा नहि छैक
जखनि अहाँ आगाँ बढ़बै
विद्वान पढ़ल,लिखल लोकक दुनियाँमे जेबै
त'एहनो लोकसँ सोझां- सोझी हैत
ओहो अहाँक परीक्षक बनता
जे अपने कहियो निष्ठा सँ परीक्षा नहि देलनि
तखन कतेक ग्लानि आ आक्रोसक बोध होइछ
जकर अन्दाज लगायब सहज नहि
तथापि देखिते छी
बेर-बेर अनुतीर्ण भेलाक बादो
हम परीक्षा देनाइ नहि छोड़ल अछि
अहुँलोकनि बिनु कोनो तनाव के दियौ परीक्षा
साहस आ धैर्यक परीक्षा
असफतलासन नकारत्मक शब्द केँ
सफलतामे बदलि देबाक परीक्षा।

Maithili Poem On ---- Election

बाजि गेल अछि शंख
ढोल नगारा पहिनहि बाजय
भाँति-भाँतिक रूप बनाकऽ
फेर ठाढ़ भेल अछि,
अगबे रावण आ कंश
बाजि गेल अछि शंख ।

'रामकृष्ण' छथि झोंझ में झाँपल
निन्न तोड़ि कऽ होस करू
जाति-बिरादरी,कुटुम-कबीला
भाय भतीजा छैल छबीला
एहिबेर सबकें कात करू
अहींक प्रसाद सँ
देशक प्रतिनिधी बनि गेल
गुण्डा,चोर ,उचक्का
माल-खजाना लूटा रहल अछि
ढौआ,कौड़ी टंच
बाजि गेल अछि शंख।
एक-दोसराकें कोसि-कोसिकऽ
बेचि रहल अछि सपना
हमरा गामक बुधनी बूढ़िया
चिकरि-चिकरि कऽ बाजि रहल छल
रौ जनिपिट्टा ! एहिबेर झाँसा मे एबौ!
भोट लेबें तऽ मनुक्ख बनै तों
नहि तऽ दबा-देबौ हम 'नोटा'
हमरे सोणित चूसि-चूसि कऽ मारि रहल अछि डंक
बाजि गेल अछि शंख ।
अपने घर धरि लोकतंत्र छै
बेटा-बेटी ,सार सरोहजिनी
प्रतिनिधि बनवा लय योग्य बचल छै
फरक नञि बुझबै तऽ
पाँच बर्ख तक खाइत रहब अहां सोंटा
पीटि कपार किछु नहि होयत
समय अछैत चिन्ह जाउ
के अछि कृष्ण !
के अछि कंस!
बाजि गेल अछि शंख।
नञि निराश होउ
नञि हतास होउ
एहि रणडंक में
सोचि-बचारि कऽ जँ बटन दबायव
सबटा काज हैत निःशंक
बाजि गेल अछि शंख।

Peom On Mithila

बालुक भीत पर ठाढ़ एकटा प्रान्त
----------------------------------------
बालुक भीत पर ठाढ़ एकटा 
उपटल सन प्रांत
जकरा लग नहि छैक बाँचल 
कोनो खनिज ,कोनो लवण
उद्योग-धंधा पूर्बहि सँ छैक चौपट
नहि रहि गेलै डाँड़ मे सक
जे द' सकय दू साँझक बुतात
अपना लोक के
अपने माँटि पर
सभटा बौद्धिक सम्पदा के कोशी मे डूबा
बेच रहलए नदी कछेरक बालु
खखोर'पर विर्त अछि
सोन,पुन-पुन
कमला ,करेहक करेज
जे किछु बाँचल छल काज -रोजगाड़
सेहो भ' रहल अबाह
सरकार! अपने शिक्षा केँ अधोगति मे पहुँचा
पहिनहि कयल तबाह
खेत आ खेतिहरक हालति पहिनहि सँ भेल घबाह
जेहो मजूर मम्मत सँ धयने छल धरती
सेहो उपटि क' जा रहलए
तोड़' अनकर पड़ती
सरकार अपने लेल धनसन
अहाँ बालु बेचू ,माँटी बेचू
खाक बेचू,पात बेचू
आनोठां के परसादे
ठाढ़ करै छल एकचारी,दूचारी
सेहो भ' गेलै ठप
अकानियौ!
छिना गेलै मजूर सभक काज
बनिक सभ ठाढ़ माँझ सड़क
सोचथि सकल समाज
सभ चलि जायत महानगर
बनि जायत मजूर
महुमंजिला भवन निर्माण मे
कियो ने भेटत किननिहार
जोखैत रहब बालु
अपने माथ पर कंसार पजारि
भूजैत रहब मूरही

Eye -- Maithili Poem



आँखि
जहिया हम अहांकें पहिल बेर देखने रही
अहां रहल होएब उनैसक
आ हम एकैसम मे प्रवेशे कयने रही
एके अझक मे अहांक आँखि हमरा मोहि नेने रहय
सांच कहैत छी
पहिल बेर अहांक आँखि देखला उत्तर केनो आन अंग देखबाक
कनियों नञि भेल रहय लिलसा
प्रिय, अहां आइ सत्तरिक छी
आ हम बहत्तरिक
आर जे भेल हुए
मुदा अहांक आँखि ओहिना अछि
अजगुत जे एखन सुन्दरता
सिसोहल टांग मे तााकल जाइया
उघार आंग मे ताकल जाइया
सुन्दरता एल.इ.डी. सं नहायल इजोत मे थोड़े भेटत
एकरा लेल तरेगनक दुधिया इजोत मे नहायल पूर्णिमाक चान देखियौ
बेसी फरिछा क देखबाक हुएत
विद्यापतिक राधा मे तकियौ
महाकविक मेघदूत उनटबियौ
सुन्दरताक नहि होइछ कोनो पाँखि
सुन्दरताक लेल चाही ओहेन आँखि

Tribute To Indian Army---- Maithili Poem



आब ने रहब हम चुप
...............................
दू फांक कयल गेल हमर देह
तयौ हम चुप रहलहुं
पछुआर मे फूजैत रहल अतिवादी इसकूल
होइत रहल बेर-बेर प्रहार
तैयो हम चुप रहलहुं
हम चलबैत रहलहुं /शान्तिक बस
भैयारीक रेल
तकर किछुओ असरि भेल
ओ फेकैत रहल ग्रेनेड
हम खेलाइत रहलहुं क्रिकेट
कयल गेल शीश(संसद)पर प्रहार
नगरे -नगर होइत रहल विस्फोट
तैयौ हम चुप रहलहु
होइत रहल शहीद हमर सपूत
दैत रहलियै सबूत पर सबूत
ओकरा नञि छैक कोनो अाइन
ओ ने छोड़त अपत बाइन
जकरा मे नञि छैक मनुक्खक
कोनो पात्रता
आब नञि ओकरा संग कोनो मित्रता
आब ने रहब हम चुप
क्रन्दनक आब ने देखब कोनो दृश्य
बदलि देबै परिदृश्य
सुनगा रहलए अतिवादक घूर
ओहि घूरक चिनगोरा सं 
क देबै स्वाहा
गंगा-सिन्धु क पानिसं
करब दूनू क़ातक भूमि आबाद
ओकरो कह'परतै भारत माता जिन्दाबाद !भारत माता जिन्दाबाद!

Love For My Village ---- Maithili Poem


नहि किन्नहु नहि!
-------------
किन्नहु नै छोड़बाक लेल तैयार छी
अपन मरौसी ई साबा कट्ठा घरारी
चलि गेला समांग सभ 
डीहकेँ अन्हारगुज्ज जानि क'
प्रभात काल टहलै छथि बड़का उद्यानमे
जाहिमे एकोटा फलदार गाछ नहि
प्रसन्नता एहिबातक जे ओ लोकनि
स्वस्थ आ सहज छथि
मुदा
हमरा मोनक कोनो कोनमे
आशक एकटा इजोत सदिखन टिमटिमाइत अछि
मोन उबियेलापर
जखन कखनो असहज होब' लगता नगरमे
अओता अपना डीहपर
देखता एकर विकास अपने नयनसँ
विकास शब्दसँ भ' सकैये
अहाँ अचंभित भेल होइ
मुदा पूरा होसमे हम देखि रहल छी
डीहकेँ फेर सँ जगजिआर होइत
माटिक चुम्बकीय तागति
लओतनि हुनको लोकनिकेँ घिचि क'
जहिया ओ लोकनि अओता
हमहुँ मनायब दियाबाती
ताबत एहि उमेदमे बचौने छी डीह
नितह बारैत छी
काँच माटिक एकटा दीप।

International Women's Day---- Maithili Poem

दाइ!
तोहीं लोकनि छियह भविष्य
जे किछु बाँचल अछि तोरहि लोकनिक हाथे
गछैत छियह
जे बिरहि गेल हमरा लोकनिक माथे
मोन पड़ै छथि माय
भरिदिन टकुरि जकाँ नचैत छलि
तैयो नितह पराती गबैत छलि
तोरा लोकनिक केँ
सर्कसक वस्तु बनेबाक चलिए रहल छह प्रयास
ताहि सँ रहिह' सावधान
तों प्रदर्शन नहि
संरचना थिकह
रीति नहि नीति थिकह
पूरा विश्वासक संग
हम ई कहि सकैत छी जे
तोरहि सँ ई निर्माण
आनंदक एक -एक क्षण तोरहि लोकनिक नाम
एहि आनन्दोत्सवक सहयोगी बनि
हमहुँ अपना केँ धन्य बुझैत छी।

जे.जे. कॉलोनी: भाग ४

  भाग ४   देबु मनोहरसँ पुछलनि- 'मनोहर भाइ! की भेल?' देबु!अहाँ कहु ने की भेल? 'अहुँ तँ छी पक्का मैथिल ने  सोझ मुहें उतारा नहिये न...